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राजस्व के 13 हजार मामले लंबित, आचार संहिता के दौरान मामलों के निराकरण में हुआ था विलंब

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रायपुर

जिले में पिछले एक वर्ष से चल रहे राजस्व मामलों के निराकरण की कवायद सफल होती नहीं दिखाई दे रही है। सभी तहसीलों में पहले शिविर लगाकर मामले निपटाने के प्रयास किए गए। इसके बाद भी कोई खास फायदा नहीं हुआ।

वहीं इसके बाद आदर्श आचार संहिता की वजह से मामलों का निराकरण अटका रहा। इसी बीच अभी भी जिले की विभिन्न तहसीलों में 13 हजार से ज्यादा राजस्व मामले भुइयां पोर्टल के अनुसार लंबित हैं, जबकि छत्तीसगढ़ के विभिन्न न्यायालयों में इन प्रकरणों की संख्या 9 हजार 324 ही है, वहीं इन मामलों का निराकरण सिर्फ समीक्षा बैठक और निरीक्षण तक ही सीमित है।

धरातल पर इसका कोई खास असर पड़ता नहीं दिखाई दे रहा है। इसी बीच लोकसभा चुनाव के लिए मतदाता सूची पुनरीक्षण का कार्य 20 दिसंबर से शुरू हो रहा है और फरवरी में मतदाता सूची का अंतिम प्रकाशन किया जाएगा। ऐसे में इसके कुछ ही दिनों के भीतर आचार संहिता लगने के संकेत दिखाई दे रहे हैं। ऐसे में सभी लंबित मामलों का निराकरण करने के लिए सिर्फ दो महीने का ही समय मिलता दिखाई दे रहा है। इसके बाद फिर सभी अधिकारी-कर्मचारी चुनावी कार्यों में व्यस्त हो जाएंगे और लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।

फैक्ट फाइल

  • 9,324 कुल लंबित प्रकरण
  • 3,892 तीन माह से लंबित प्रकरण
  • 2,045 छह माह से लंबित प्रकरण
  • 1,084 नौ माह से लंबित प्रकरण
  • 560 सालभर से लंबित प्रकरण
  • 1,042 दो वर्षों से लंबित प्रकरण
  • 527 पांच वर्षों से लंबित प्रकरण
  • 163 पांच वर्षों से अधिक लंबित प्रकरण

भुइयां और कोर्ट के आंकड़े अलग

 छत्तीसगढ़ राजस्व विभाग की वेबसाइट के अनुसार राजस्व न्यायालयों में लंबित मामलों की संख्या नौ हजार से ज्यादा है, जबकि भुइंया पोर्टल में इनकी संख्या लगभग 13 हजार के करीब है। हालांकि भुइंया के आंकड़े ही सत्य हैं, क्योंकि वेबसाइट पर जो मामले भुइंया में दर्ज हैं, ऐसा जरूरी नहीं वे वहां भी दर्ज हों, इसलिए आंकड़ों में अंतर देखने को मिल रहा है।

जनवरी से ही शुरू हो जाएगी चुनावी ड्यूटी

लोकसभा चुनाव के लिए मतदाता सूची के पुनरीक्षण का काम जनवरी में तेज किया जाएगा। इस दौरान फिर से ज्यादातर अधिकारियों, कर्मचारियों की ड्यूटी चुनावी कार्यों में लगाई जाएगी। ऐसे में जनवरी से ही दोबारा मामलों की पेंडेंसी बढ़ेगी और लोगों को फिर से चक्कर लगाने पड़ेंगे।

शिविरों में नहीं पहुंचे लोग

जिला प्रशासन की ओर से राजस्व मामलों का निराकरण करने के लिए सभी तहसीलों में शिविरों का आयोजन किया गया, जिसमें लोगों ने दिलचस्पी नहीं दिखाई और इसी की वजह से मामलों के निराकरण का प्रतिशत ज्यादा नहीं रहा। ऐसी स्थिति में अब दोबारा शिविर लगाकर निराकरण करने की स्थिति बनती दिखाई दे रही है।

विवादित मामलों में दिक्कतें ज्यादा

अफसरों के अनुसार जिन मामलों में किसी तरह का विवाद नहीं होता है, उनका निराकरण समय सीमा के पहले ही हो जाता है, जबकि जिनमें किसी भी प्रकार के विवाद की स्थिति रहती है। उनमें थोड़ा समय लगता है। वहीं, भुइयां पोर्टल के अनुसार विवादित मामलों की संख्या कम है, ऐसे में सभी मामलों का निराकरण जल्द से जल्द कर पाना संभव दिखाई दे रहा है।