भोपाल
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव परिणाम आने के चार दिन बाद भी बीजेपी सीएम का चेहरा क्लियर नहीं कर सकी है. यह 20 साल में पहली बार हो रहा है जब बीजेपी को सीएम चेहरे के लिए माथामच्ची करनी पड़ रही है. इस माथापच्ची की वजह बीजेपी के केन्द्रीय नेतृत्व का नया प्रयोग माना जा रहा है. एमपी में जीत हासिल करने के लिए इस बार बीजेपी ने राष्ट्रीय महासचिव, दो केन्द्रीय मंत्री सहित सांसदों को मैदान उतारा था. इनमें से पांच को जीत मिली. नतीजतन अब सीएम के दावेदारों की भी संख्या बढ़ गई है.
बता दें कि, 2003 में बीजेपी की फायर ब्रांड नेता उमा भारती के नेतृत्व में प्रदेश में बीजेपी की सरकार बनी थी. इस चुनाव में बीजेपी ने पहले ही सीएम का चेहरा उमा भारती को घोषित कर दिया था. हालांकि, उमा भारती ज्यादा दिन सीएम नहीं रहीं और बाबूलाल गौर फिर 2005 में शिवराज सिंह चौहान को सीएम बनाया गया. वहीं 2008, 2013, 2018 का चुनाव शिवराज सिंह चौहान के चेहरे पर लड़ा गया, इसमें 2008-2013 में सफलता मिली. हालांकि 2018 में बीजेपी के हाथों से सत्ता चली गई थी. इस बार के चुनाव में बीजेपी के केन्द्रीय नेतृत्व ने सीएम चेहरा ही घोषित नहीं किया था.
भोपाल से दिल्ली तक दौड़ रहे नेता
सीएम बनने की मंशा में अब बीजेपी के बड़े नेता एमपी से दिल्ली तक की दौड़ लगा रहे हैं और लाडली बहनों को श्रेय न देते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को ही पूरा श्रेय दे रहे हैं. हालांकि, दिल्ली की इस दौड़ में सीएम शिवराज सिंह चौहान अब तक एक बार भी दिल्ली नहीं गए हैं. सीएम शिवराज सिंह चौहान पूर्व की तरह अपने कार्य में व्यस्त हैं. इधर इस चुनाव में बीजेपी राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गी, केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर, केन्द्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल, सांसद राकेश सिंह, राव उदय प्रताप सिंह, रीति पाठक को जीत मिली.
ये नेता रेस में शामिल
प्रहलाद पटेल: पांच बार सांसद रहे. 1989 में सिवनी से पहली बार सांसद चुने गए. 1996 में बालाघाट, 2023 में कोयला राज्यमंत्री, 2014 और 2019 में दमोह से सांसद चुने गए. 2023 में नरसिंहपुर से पहली बार विधायक चुने गए.
राकेश सिंह: चार बार सांसद चुने गए. 2004 में पहली बार जबलपुर से सांसद बने. 2009, 2014 और 2019 में सांसद बने. 2018 में बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष और अब 2023 में जबलपुर पश्चिम सीट से विधानसभा का चुनाव जीता.
राव उदय प्रताप सिंह: 2007 में विधायक चुने गए. 2009 में कांग्रेस पार्टी से होशंगाबाद सीट से सांसद बने. 2014 में कांग्रेस छोड़कर बीजेपी से चुनाव लड़े और सांसद बने. 2019 में तीसरी बार होशंगाबाद से सांसद चुने गए.
रीति पाठक: 2010 से 2014 तक सीधी जिला पंचायत अध्यक्ष रहीं. 2014 में सीधी से पहली बार सांसद बनीं. 2019 में सीधी से दूसरी बार सांसद चुनी गईं. 2023 में सीधी विधानसभा सीट से चुनाव जीता.