देश के व्यापार एवं आर्थिक चक्र को घुमाते हैं त्यौहार, हर साल तीर्थस्थलों व शादियों का कारोबार 25 लाख करोड़ रुपये
नई दिल्ली
देशभर के बाज़ारों में इस बार दिवाली के त्यौहारों के चलते हुई ज़बरदस्त बिक्री ने भारत की अर्थव्यवस्था को एक नया आयाम दिया है और यह साबित किया है कि भारत में त्यौहार देश के व्यापार एवं आर्थिक चक्र को कैसे घुमाते हैं। कैट ने इस आयाम को सनातन अर्थव्यवस्था का नाम देते हुए कहा कि देश के व्यापार के लिए त्यौहारों का मनाया जाना बेहद ही महत्वपूर्ण है और यही कारण है कि भारत के व्यापारी वर्ष भर में होने वाले विभिन्न त्यौहारों के लिए अपनी दुकानों में विशिष्ट प्रबंध करते हैं और ख़ास तौर पर त्यौहारों पर बड़ा व्यापार करते हैं।
दूसरी ओर त्यौहार देश भर में रोजग़ार तथा स्वयं व्यापार के बड़े अवसर भी उपलब्ध कराते हैं जिससे माध्यम एवं निम्न वर्ग का आर्थिक पक्ष मज़बूत होता है। एक अनुमान के अनुसार देश में प्रति वर्ष सनातन अर्थव्यवस्था का यह कारोबार लगभग 25 लाख करोड़ रुपये का होगा जो देश के कुल रिटेल कारोबार का लगभग 20 प्रतिशत है।
कनफ़ेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी.सी भरतिया एवं राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने सनातन अर्थव्यवस्था की व्याख्या करते हुए कहा कि नवरात्रि से लेकर दीवाली के दिन तक देश के मेनलाइन रिटेल व्यापार में 3.75 लाख करोड़ का कारोबार हुआ। वहीं देश भर में दुर्गा पूजा और इसके आस पास हुए अन्य त्यौहारों में लगभग 50 हज़ार करोड़ का व्यापार हुआ। गणेश चतुर्थी के दस दिवसीय समारोहों पर 20-25 हजार करोड़ का हुआ। यह आंकड़े सिर्फ तीन त्यौहारों के हैं.। इसी तरह से होली,जन्माष्टमी, महाशिवरात्रि, राखी जैसे अन्यढेरों त्यौहारो पर बाज़ारों में हुई खऱीदी को भी जोड़ा जाये तो कई सौ लाख करोड़ रुपये सनातन व्यापार में जुड़ जाएँगे।
भरतिया एवं खंडेलवाल ने कहा कि एक मोटे अनुमान के अनुसार देश भर में लगभग 10 लाख से अधिक मंदिर हैं जहां प्रतिदिन लोगों द्वारा बड़ा खर्च किया जाता है और इसके साथ ही बड़ी मात्रा में तीर्थ स्थलों पर जाने वाले श्रद्धालुओं द्वारा किए गए खर्चो को जोड़ दें तो यह आकड़ा सनातन अर्थव्यवस्था को स्वत: ही भारत के लिए बेहद महत्वपूर्ण बना देता है।इससे यह बेहद स्पष्ट है कि भारत में त्यौहार,तीर्थ आदि के कारण बहुत बड़ी धनराशि बाज़ार चक्र में आती है जो दुनिया के 100 से ज्यादा देशों की जीडीपी से भी ज्यादा है। उन्होंने कहा कि यह कोई नई व्यवस्था नहीं है बल्कि हजारों वर्षों से चलती आ रही है जिसका केंद्र देश के मंदिर, त्यौहार एवं तीर्थ ही होते आये हैं। यह भारतीय अर्थव्यवस्था का सबसे पुराना पहिया है जो किसी भी परिस्थिति में कभी भी नहीं रुकता।
भरतिया एवं खंडेलवाल ने कहा कि जहां तक रोजग़ार का सवाल है तो मात्र दुर्गा पूजा के समय, सिर्फ पश्चिम बंगाल में ही तीन लाख से ज्यादा कारीगरों, मजदूरों को काम मिला। गणेश चतुर्थी,नवरात्रि, दशहरा, होली, संक्रांति आदि अन्य त्यौहारों की वजह से जहां करोड़ों लोगो को रोजग़ार मिलता है वहीं लाखों लोग स्वयं का छोटा-बड़ा व्यापार भी कर पाते हैं जिसमें विशेष बात यह है कि न केवल दुकानों के व्यापार को बल्कि देश के बेहद छोटे वर्ग, स्थानीय कारीगरों, कलाकारों एवं घरेलू काम करने वाले लोगों को बड़ा व्यापार मिलता है जिनमें से लाखों लोग ऐसे हैं जिनकी आजीविका ही त्यौहारों पर निर्भर रहती है।
दोनों व्यापारी नेताओं ने कहा कि बड़े आँकड़ों की बजाय यदि धनतेरस के एक दिन के व्यापार को ही देख जाये तो भारतीय मध्यम वर्ग द्वारा एक दिन में 25,500 करोड़ रुपये का 41 टन सोना खरीदा गया था।चांदी की बिक्री 3000 करोड़ रूपये तक पहुंच गई। कार निर्माताओं ने 55000 कारों की डिलीवरी की वहीं लगभग पांच लाख से ज़्यादा स्कूटर की डिलीवरी की गई। भरतिया एवं खंडेलवाल ने कहा कि यही 'सनातन अर्थशास्त्र’ है जो देश के व्यापार के लिए बेहद ही अहम है और जिसको समझने के लिए अर्थशास्त्री होना ज़रूरी नहीं है बल्कि यह साफ़ दिखाई देता है।
ग्राहकों का रिकार्ड रखने में एक्सिस बैंक ने बरती लापरवाही, आरबीआई ने किया जुर्माना
मुंबई
भारतीय रिजर्व बैंक ने नियमों का पालन न करने पर एक्सिस बैंक पर 90.92 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। इसी प्रकार मणप्पुरम फाइनेंस लिमिटेड पर भी 42.78 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। आरबीआई ने एक बयान में कहा कि एक्सिस बैंक पर यह नियमों के उल्लंघन के चलते लगाया गया है। रिजर्व बैंक ने आंनद राठी ग्लोबल फाइनेंस लिमिटेड पर भी 20 लाख रुपये का जुर्माना ठोंका है।
एक्सिस बैंक पर यह कार्रवाई 31 मार्च, 2022 तक एक्सिस बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में आरबीआई की तरफ से आयोजित आईएसई 2022 के लिए वैधानिक निरीक्षण के निष्कर्ष से पैदा हुई है। जांच में कई कमियां सामने आईं, इनमें कुछ मामलों में ग्राहकों की पहचान और पते से जुड़े रिकॉर्ड को सुरक्षित रखने में बैंक की लापरवाही सामने आई।
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था अब भी नाजुक, आईएमएफ से समर्थन की दरकार बरकरार
इस्लामाबाद
पाकिस्तान की कार्यवाहक वित्त मंत्री शमशाद अख्तर ने कहा कि सुधार के बावजूद पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था नाजुक बनी हुई है और नकदी संकट से जूझ रहे देश को कुछ समय के लिए आईएमएफ से अधिक ऋण लेना होगा। शुक्रवार को खबर में यह बात कही गई।
समाचार पत्र ‘डॉन’ में की खबर के अनुसार, अख्तर ने इस बात पर भी जोर दिया कि पाकिस्तान को अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए बेड़े वित्त सुधार करने की जरूरत है। अख्तर ने कहा, ‘‘अगला अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) कार्यक्रम बेहद जरूरी है, क्योंकि अर्थव्यवस्था में स्थिरता आई है लेकिन यह अब भी बहुत नाजुक है। जब तक हम निर्यात तथा घरेलू संसाधनों को बढ़ाने में सक्षम नहीं हो जाते, हमें एक और कार्यक्रम की आवश्यकता होगी।’’
उन्होंने यह टिप्पणी पाकिस्तान सरकार और आईएमएफ द्वारा कर्मचारी स्तर के समझौते के साथ जारी तीन अरब अमेरिकी डॉलर के ‘स्टैंड-बाय’ समझौते की समीक्षा के समापन के एक दिन बाद की। इस समझौते से पाकिस्तान को दूसरी किश्त में 70 करोड़ अमेरिकी डॉलर मिलने का मार्ग प्रशस्त हुआ है। उन्होंने कहा कि दीर्घकालिक सुधारों के अलावा अब कोई और विकल्प नहीं है। अख्तर ने कहा, ‘‘देश इसके बिना नहीं बचेगा। संभवतः हमें एक और ईएफएफ (विस्तारित फंड सुविधा) चाहिए होगी। हम आईएमएफ के साथ बने रहेंगे।’’