नागौर.
राजस्थान चुनाव में नागौर से सांसद हनुमान बेनीवाल की राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) भी कांग्रेस और भाजपा का खेल बनाने और बिगाड़ने की स्थिति में होने से चर्चा में है। 20 सीटों पर जाति समीकरणों के कारण आरएलपी असर डाल सकती है। 2018 में आरएलपी नौ लाख से ज्यादा वोट और तीन सीटें लेकर भाजपा को चपत लगा चुकी है। नतीजे में भाजपा सत्ता से बाहर हो गई थी। इसी वजह से भाजपा ने 2019 के लोकसभा चुनाव में एलएलपी से गठबंधन किया था। नागौर लोकसभा सीट बेनीवाल को दी।
बेनीवाल सांसद बने और भाजपा प्रदेश की सभी 25 सीटों को जीतने में सफल रही। दो साल पहले दिल्ली में हुए किसान आंदोलन के दौरान बेनीवाल ने एनडीए से राह अलग कर ली। 77 सीटों पर प्रत्याशी मैदान में उतारे हैं। उत्तर प्रदेश की आजाद समाज पार्टी चंद्रशेखर रावण से भी गठबंधन किया है। बेनीवाल की नजर जाट वोट बैंक पर है। इसलिए ज्यादातर प्रत्याशी जाट बहुल इलाकों में उतारे हैं। इसमें बाड़मेर, नागौर, जोधपुर, बीकानेर, चूरू, भीलवाड़ा, अजमेर और उदयपुर की जाट बहुल सीटें शामिल है। कांग्रेस और भाजपा ने भी इनमें से ज्यादातर सीटों पर जाटों को ही मौका दिया है। स्पष्ट ही आरएलपी केवल बीजेपी या कांग्रेस की ज्यादातर सीटों पर चुनावी समीकरण को बिगाड़ेगी।
जाट और एससी का नया सियासी समीकरण
बेनीवाल ने आजाद समाज पार्टी से गठबंधन कर दलित मतदाताओं को भी आकर्षित करने की कोशिश की है। आरएलपी ने 77 तो आजाद समाज पार्टी ने 66 सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए है। 30 हजार से ज्यादा एससी वोटर वालीं सीटों पर आजाद समाज पार्टी के कैंडिडेट उतारे गए है, जबकि 30 हजार से ज्यादा जाट मतदाताओं वाली सीटों पर आरएलपी लड़ रही है। राजस्थान में कभी तीसरी पार्टी या मोर्चे का प्रभाव नहीं रहा। 40 साल से ज्यादा समय से तो कांग्रेस-भाजपा में ही सीधा मुकाबला है। बसपा पांच से सात सीटों तक ही सिमट कर रह गई। 2013 के विधानसभा चुनाव में शुरू डा. किरोड़ी लाल मीणा की राजपा को सफलता नहीं मिली। महज तीन सीटों से संतोष करना पड़ा था। नतीजन मीणा ने राजपा का भाजपा में विलय कर दिया।
बेनीवाल को घर में घेरने की तैयारी में भाजपा
बेनीवाल को उन्हीं के घर यानी खींवसर सीट में ही घेरने की तैयारी में है। नागौर की पूर्व सांसद ज्योति मिर्धा को कांग्रेस से तोड़कर नागौर सीट से प्रत्याशी बनाया गया है। खींवसर में ज्योति लगातार बेनीवाल के सेनापतियों को भाजपा में शामिल करा रही हैं। बेनीवाल को अपने बेहद करीब रहे रेवंतराम डांगा से चुनौती मिल रही है।