Home मध्यप्रदेश बुधनी से अखिलेश यादव बगैर संबोधन के ही लौटने को मजबूर हुए

बुधनी से अखिलेश यादव बगैर संबोधन के ही लौटने को मजबूर हुए

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बुधनी

 

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के गढ़ बुधनी में समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का संबोधन सुनने के लिए समर्थक और भीड़ ही नहीं पहुंच सकी. नतीजतन सपा प्रमुख अखिलेश यादव बगैर संबोधन के ही लौटने को मजबूर हो गए. हालांकि सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने इस दौरान मां नर्मदा की पूजा अर्चना की और फिर वापस लौट गए. बता दें बुधनी में सपा ने मिर्ची बाबा को अपना प्रत्याशी बनाया है.

मिर्ची बाबा के समर्थन में एक दिन पहले ही सपा प्रमुख अखिलेश यादव जनसभा को संबोधित करने आए थे. बुधनी के दशहरा मैदान पर सपा प्रमुख की सभा का आयोजन रखा गया था. अखिलेश यादव का हेलीकॉप्टर करीब एक बजे बुधनी पहुंच गया था, लेकिन चुनावी सभा स्थल पर समर्थक तो दूर उन्हें कार्यकर्ता भी नहीं मिले. सभा स्थल पर लोगों के नहीं होने के कारण अखिलेश यादव सीधे नर्मदा तट पर पहुंचे, जहां उन्होंने 30 से 40 व्यक्तियों के साथ नर्मदा पूजा की और फिर हेलीकॉप्टर से वापस चले गए.

अखिलेश यादव नर्मदा नदी के तट पर ही मीडिया से रूबरू हुए. कमलनाथ के बयान पर पलटवार किया. उनसे जब पूछा गया कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ कह रहे हैं कि सपा को वोट देना मतलब वोट खराब करना है. इस पर अखिलेश यादव ने कहा कि लोकतंत्र में सभी लोग समर्थन मांगते हैं. कोई क्या कहेगा कि वोट मत देना? हम अपना समर्थन मांग रहे हैं, वह अपना समर्थन मांग रहे हैं. सपा प्रमुख ने दावा किया है कि बुधनी विधानसभा से सपा प्रत्याशी मिर्ची बाबा जीत रहे हैं.

बुधनी में हाई प्रोफाइल है चुनावी दंगल

बुधनी विधानसभा से भारतीय जनता पार्टी ने एक बार फिर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को अपना प्रत्याशी बनाया है. जबकि कांग्रेस ने रामायण सीरियल में हनुमान जी का रोल निभाने वाले विक्रम मस्ताल को उम्मीदवार बनाया है. वहीं जेल से रिहा होने के बाद लगातार सीएम शिवराज पर मुखर होने वाले मिर्ची बाबा को सपा ने अपना प्रत्याशी बनाया है.

30 अक्टूबर के बाद नहीं आए शिवराज

बीजेपी प्रत्याशी शिवराज सिंह चौहान आखिरी बार 30 अक्टूबर को बुधनी आए थे. इस दौरान सीएम शिवराज सिंह चौहान ने जनसभा को संबोधित करते हुए विधानसभा के मतदाताओं से कहा था कि अब वो यहां नहीं आएंगे, जनता को ही उनका चुनाव संभालना होगा, उन्हें पूरे प्रदेश की जिम्मेदारी संभालनी है. नतीजतन 30 अक्टूबर के बाद से शिवराज सिंह चौहान एक बार भी प्रचार करने नहीं पहुंचे. जबकि कांग्रेस प्रत्याशी विक्रम मस्ताल स्वयं ही अपने दम पर प्रचार में जुटे हुए हैं.