नई दिल्ली:
भारत में गुरु और शिष्य का रिश्ता काफी पवित्र माना जाता है। माता-पिता के बाद अगर आदमी के जीवन में किसी का स्थान उस बराबर का होता है तो वह गुरु ही है। लेकिन, दिल्ली हाई कोर्ट में जो मामला सामने आया है उसने दोनों के रिश्तों की अलग ही परिभाषा गढ़ी है। पहले तो कॉलेज में पढ़ने वाले छात्र के ऊपर शिक्षिका ने दुष्कर्म का मामला दर्ज करवाया। केस हाई कोर्ट पहुंचते ही इसकी अलग ही कहानी पता चली। दिल्ली हाई कोर्ट ने आरोपी छात्र को जमानत देते हुए कहा कि शिक्षिका एक साल से भी अधिक समय से उसके साथ रिलेशनशिप में थी। वह भी तब जब वह पहले सी ही शादीशुदा है। यही नहीं महिला ने छात्र के साथ एक मंदिर में सात फेरे भी लिए थे।
दिल्ली हाई कोर्ट ने खोल दी टीचर की पोल
दिल्ली हाई कोर्ट ने 20 साल के कॉलेजी छात्र को जमानत देते हुए कहा कि पीड़िता परिपक्व और 35 वर्षीय विवाहित महिला है और उसका एक साल से भी अधिक समय से स्टूडेंट के साथ प्रेम संबंध था तथा वह अब तक वैवाहिक उम्र के नहीं हुए किसी व्यक्ति के साथ संबंध बनाने के अंजाम से भलीभांति अवगत भी थी। जस्टिस सौरभ बनर्जी ने कहा कि प्रथम दृष्टया यह प्रतीत होता है कि महिला गुरुग्राम के एक प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय में प्रोफेसर हैं। उन्होंने सब जानते हुए आरोपी के साथ आगे बढ़ना अपनी मर्जी से चुना होगा।' अदालत ने कहा कि उसके समक्ष उपलब्ध सबूतों से पता चलता है कि आरोप लगाने वाली महिला का स्टूडेंट के लिए प्रेम और जुड़ाव था। जज ने कहा कि आवेदक का जीवन बेदाग रहा है और अग्रिम जमानत के मानकों को वह पूरा करता है।
अदालत ने हालिया आदेश में कहा, 'यह अदालत इस तथ्य को नजरअंदाज नहीं कर सकती कि आरोप लगाने वाली महिला पूरी तरह से परिपक्व और 35 साल की महिला है, और जब उसने आवेदक के साथ संबंध बनाया, तब लड़के की उम्र 20 साल के करीब थी। इस तथ्य को लेकर भी कोई विवाद नहीं है कि आरोप लगाने वाली महिला पहले से शादीशुदा है, लेकिन अब तलाक लेने की प्रक्रिया में है।'
महिला प्रोफेसर ने क्या बताया?
महिला प्रोफेसर ने बताया कि उसकी आरोपी से फरवरी 2022 में मुलाकात हुई थी और मई 2022 में आधिकारिक यात्रा के दौरान मनाली में दोनों ने एक मंदिर में शादी कर ली और छात्र ने भविष्य में कानूनी रूप से शादी करने का वादा किया। यह भी आरोप लगाया गया है कि छात्र के साथ रिश्ते में रहने के दौरान वह महिला दो बार गर्भवती हुई। अदालत ने टिप्पणी की कि फरवरी 2022 को संपर्क में आने के बाद से शिकायत दर्ज करने के बीच महिला ने कभी किसी तरह की शिकायत आरोपी के खिलाफ नहीं की और न ही FIR दर्ज कराने में हुई देरी का तार्किक स्पष्टीकरण दिया। अदालत ने कहा, 'मौजूदा प्राथमिकी 19 जुलाई 2023 को दर्ज की गई, जबकि आरोप लगाने वाली महिला ने स्वीकार किया है कि वह फरवरी 2022 में आरोपी के संपर्क में आई थी और प्राथमिकी दर्ज होने तक, एक साल से अधिक समय तक उनका आपस में संबंध रहा।'