पाली/जयपुर.
राजस्थान विधानसभा चुनाव के लिए पाली विधानसभा सीट से कांग्रेस ने मंगलवार शाम भीमराज भाटी को प्रत्याशी घोषित कर दिया है। भाटी को मैदान में उतारते ही अब पाली की स्थिति साफ हो गई है कि यहां भाजपा और कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में कौन आमने-सामने होंगे। गौरतलब है कि भाजपा पहले ही विधायक ज्ञानचंद पारख पर मुहर लगा चुकी थी, पर कांग्रेस की तीन सूचियों में पाली से कांग्रेस प्रत्याशी घोषित नहीं किए जाने से यहां असमंजस की स्थिति बनी हुई थी।
आखिर पारख के सामने इस बार चुनावी समर में कौन उतरेगा, जिसके चलते टिकट के दावेदारों के दिल की धड़कने बढ़ी हुई थी। आखिरकार, मंगलवार शाम जारी हुई काग्रेस की चौथी सूची के बाद पाली की स्थिति साफ हो पाई। इन विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ने के लिए पूर्व सभापति केवलचंद गुलेच्छा, पूर्व विधायक भीमराज भाटी, पूर्व सभापति प्रदीप हिंगड़, राज्य महिला आयोग सदस्य एवं पूर्व महिला कांग्रेस जिलाध्यक्ष सुमित्रा जैन, पूर्व विधानसभा प्रत्याशी, महावीर सिंह सुकरलाई, रोहट प्रधान सुनीता कंवर राजपुरोहित, पूर्व सभापति मांगीलाल गांधी, नेता प्रतिपक्ष हकीम भाई, पूर्व ब्लॉक अध्यक्ष मोटू भाई, प्रकाश सांखला, मेहबूब टी, मंगलाराम भीण्डर, महिला प्रदेश महासचिव नीलम बिड़ला, पीराराम पटेल, अमराराम पटेल, सुरबाला चौधरी, मदन सिंह जागरवाल, प्रवीण कोठारी, रंगराज मेहता, हेमाराम पटेल, जयेश सोलंकी, डॉ खरताराम पटेल, लाल मोहम्मद, रामनारायण पटेल, एडवोकेट प्रकाश सहित करीब दो दर्जन नेता लाइन में थे। इनमें से आखिरकार कांग्रेस ने मंगलवार को भीमराज भाटी को अपना प्रत्याशी घोषित किया है।
भाजपा से भी थी दावेदारों की लंबी लाइन
टिकट के लिए कांग्रेस में ही नेताओं की लंबी लाइन नहीं थी, बल्कि भारतीय जनता पार्टी में पहली बार टिकट मांगने वाले नेताओं की भी लंबी लाइन थी। इन नेताओं में पारख के साथ ही सांसद पुष्प जैन, भाजपा जिला महामंत्री सुनील भंडारी, पूर्व यूआईटी चेयरमैन संजय ओझा, भाजपा के शहर अध्यक्ष एवं ग्रामीण अध्यक्ष रह चुके पुखराज पटेल, भाजपा ओबीसी मोर्चा के पूर्व जिला उपाध्यक्ष एवं भाजयुमो के पूर्व जिला संयोजक भंवरनाथ योगी सहित कई नेताओं ने टिकट पर दावेदारी जताई थी।
कांग्रेस की स्थिति है खराब, 1985 में सत्ता से है बाहर
पाली विधानसभा के मतदाताओं का रूझान 1985 से कांग्रेस से खत्म हो चुका है। इसी का परिणाम है कि साल 1985 एवं 1990 में यहां भाजपा की पुष्पा जैन ने जीत हासिल कर विधानसभा में पाली का प्रतिनिधित्व किया। जबकि 1993 में निर्दलीय भीमराज भाटी ने भाजपा के कब्जे वाली इस सीट पर जीत हासिल की। इसके बाद 1998 से यहां से लगातार भाजपा के ज्ञानचंद पारख जीत रहे हैं, जिसके चलते पाली विधानसभा भाजपा का गढ़ बन चुकी है।
साल 1993 में निर्दलीय जीत हासिल कर विधानसभा में पहुंचे थे भाटी
1993 के विधानसभा चुनावों में पाली जिले में भाजपा ने चार सीटों पर, जबकि कांगेस ने तीन सीटों पर जीत हासिल की। परंतु पाली विधानसभा सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी भीमराज भाटी ने जीत हासिल की थी। इसके बाद भीमराज भाटी प्रत्येक चुनाव लड़े। कभी कांग्रेस के सिंबल पर तो कभी निर्दलीय, पर भाटी इनमें से कोई चुनाव जीत नहीं पाए। जबकि भाटी के निर्दलीय चुनाव लड़ने से कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा।
पाली में ये रहे हैं राजनीतिक समीकरण
पाली विधानसभा से अब तक कुल 17 विधायक चुने गए हैं, जिनमें से दो निर्दलीय, एक स्वतंत्र पार्टी, पांच कांग्रेस एवं नौ बार भाजपा ने जीत हासिल की है। यहां पर साल 1967 से 1980 तक कांग्रेस का कब्जा रहा, परंतु 1985 एवं 1990 में यहां से भाजपा की पुष्पा जैन लगातार दो बार विजयी हुईं। इसके बाद 1993 में निर्दलीय प्रत्याशी भीमराज भाटी ने जीत हासिल की। 1998 में यहां पर यहां से भाजपा प्रत्याशी ज्ञानचंद पारख पहली बार विधायक चुने गए और इसके बाद 2003, 2008, 2013, 2018 में भी लगातार जीत हासिल कर इस विधानसभा में पाली का लगातार प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।
भीमराज भाटी का राजनीतिक अनुभव
1993 में निर्दलीय चुनाव जीत चुके पूर्व विधायक भीमराज भाटी पाली विधानसभा से फिर 1998 में निर्दलीय चुनाव लड़े। भैरो सिंह शेखावत के उपराष्टपति बनने पर खाली हुई बाली विधानसभा सीट से 2002 में उपचुनावों में कांग्रेस प्रत्याशी रहे, 2003 एवं 2013 में पाली से कांग्रेस के सिंबल पर चुनाव लड़ा। उसके बाद 2008 एवं 2018 में निर्दलीय चुनाव लड़े और पराजित हुए।