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केंद्र सरकार ने चीनी के निर्यात पर प्रतिबंध जारी रखने का फैसला किया, भारतीय चीनी के बिना कई देशों की चाय होगी कड़वी

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नई दिल्ली
केंद्र सरकार ने अक्टूबर के बाद भी चीनी के निर्यात पर प्रतिबंध जारी रखने का फैसला किया है। घरेलू बाजार में चीनी के दाम को स्थिर रखने का मोदी सरकार का फैसला कई देशों का स्वाद कड़वा कर सकता है, क्योंकि भारतीय चीनी के बाहर जाने पर रोक से पूरी दुनिया में चीनी की कीमत पर असर पड़ने वाला है। ढाका से लेकर न्यूयार्क तक शक्कर की किल्लत होने वाली है। 18 अक्टूबर को अन्तरराष्ट्रीय बाजार में चीनी की कीमत 0.5796 डॉलर प्रति किलो थी, जो कि पिछले महीने 0.5280 डॉलर कीमत पर थी। एक साल पहले यही चीनी केवल 0.3907 डॉलर प्रति किलो थी। यानी पिछले एक महीने में चीनी की कीमत 9.77 प्रतिशत और एक साल में 48.35 प्रतिशत बढ़ी है। भारत ने एक साल पहले ही एक जून 2022 को चीनी निर्यात पर प्रतिबंध लगाया था।

भारत खुद सबसे बड़ा उपभोक्ता
भारत दुनिया में चीनी का सबसे बड़ा उपभोक्ता है, और कीमतों को नियंत्रण में रखने के लिए पर्याप्त आपूर्ति बनाए रखना जरूरी है। यह भी कम दिलचस्प आकड़ा नहीं है कि भारत दुनिया का आधे से अधिक चीनी का भंडार अपने पास रखता है। इसलिए यह माना जा रहा है कि निर्यात प्रतिबंध से चीनी आयात पर अत्यधिक निर्भर देशों में खाद्य असुरक्षा बढ़ सकती है। सरकार आम तौर पर एक अक्टूबर को नए विपणन वर्ष की शुरुआत से पहले चीनी निर्यात का कोटा तय कर देती है। भारत ने गेहूं और गेहूं के आटे और गैर बासमती चावल पर भी निर्यात प्रतिबंध लगाया हुआ है। दुनिया के तीसरे सबसे बड़े चीनी उत्पादक थाईलैंड में भी इस साल कम उत्पादन की आशंका है। इससे भी वैश्विक चीनी कीमतों में उछाल आ रही है।
 
 भारत के प्रतिबंध से बढ़ी चिंता
दुनिया भर में वस्तुओं की आपूर्ति में जोखिम का पूर्वानुमान लगाने और आपूर्ति श्रृंखला के मानकों को निर्धारित करने वाली एजेंसी एवरस्ट्रीम एनालिटिक्स का आकलन है कि चीनी की कमी का प्रभाव कैंडी सहित कई चीजों पर पड़ने वाला है, क्योंकि ख़राब मौसम और अल नीनो के प्रभाव के कारण 2023-24 के सीजन में भी वैश्विक चीनी आपूर्ति में 10 से 15 प्रतिशत की कमी आने की उम्मीद है। अंतरराष्ट्रीय चीनी संगठन (आईएसओ) का अनुमान है कि अक्टूबर से शुरू होने वाले 2023-24 सीजन में वैश्विक चीनी उत्पादन में 1.21 प्रतिशत की गिरावट आने की संभावना है। बाजार में 2.118 मिलियन टन (एमटी) चीनी की कमी हो सकती है। भारत में 31.7 मिलियन टन चीनी के उत्पादन का अनुमान है, जो कि पिछले साल के मुकाबले 3 प्रतिशत कम हो सकता है। हालांकि देश में चीनी की किल्लत होने की आशंका नहीं है, फिर भी सरकार ने कीमतों में स्थिरता के लिए निर्यात बंद कर रखा है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यह मान लिया गया है कि भारत में चुनाव होने वाले हैं इसलिए मोदी सरकार कोई जोखिम नहीं लेना चाहती। भारत चीनी का दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक देश है।
 
 किन देशों को बेचता है चीनी
भारत भारत ने निर्यात प्रतिबंध से पहले लगभग 60 लाख टन चीनी का निर्यात किया था। वैसे 100 लाख टन चीनी का भी भारत से निर्यात किया जा चुका है। भारत मुख्य रूप से श्रीलंका, इंडोनेशिया, बांग्लादेश, मलेशिया, सूडान, सोमालिया और संयुक्त अरब अमीरात को चीनी निर्यात करता है। अब भारत के निर्यात बंद करने के फैसले के बाद इन देशों को अंतरराष्ट्रीय बाजार की ओर रुख करना पड़ेगा, जहां चीनी लगातार महंगी होती जा रही है। बांग्लादेश सबसे ज्यादा प्रभावित होगा क्योंकि यह अपनी आवश्यकता का 98 प्रतिशत आयात करता है। बांग्लादेश में सालाना लगभग 20 लाख टन चीनी की खपत होती है। ढाका से प्रकशित अख़बार द डेली स्टार लिखता है कि बढ़ती वैश्विक कीमतों और अमेरिकी डॉलर के मुकाबले टका के तेज अवमूल्यन के कारण इस साल मई में स्थानीय स्तर पर चीनी की कीमतें चढ़ गईं और 140 टका की रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गईं। ट्रेडिंग कॉरपोरेशन ऑफ बांग्लादेश के बाजार मूल्य आंकड़ों के अनुसार चीनी की कीमत एक साल पहले की तुलना में 43 प्रतिशत अधिक हो चुकी है।