Home राजनीति गठबंधन के लिए फांस बनी बिजावर सीट, शेयरिंग पर नहीं बनी बात

गठबंधन के लिए फांस बनी बिजावर सीट, शेयरिंग पर नहीं बनी बात

4

भोपाल

 मध्य प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर सपा और कांग्रेस के बीच गठबंधन की संभावना खत्म हो चुकी हैं। दरअसल, रविवार सुबह कांग्रेस ने 144 प्रत्याशियों की लिस्ट जारी की। इसमें से 4 ऐसी सीटों पर कांग्रेस ने अपने उम्मीदवार उतारे हैं जिन पर सपा ने पहले ही अपने उम्मीदवार का ऐलान कर रखा था। कांग्रेस की लिस्ट के बाद रविवार शाम में ही सपा ने 9 प्रत्याशियों की एक और लिस्ट जारी कर गठबंधन के कयासों पर पूर्ण विराम लगा दिया। हालांकि 2024 लोकसभा चुनाव के लिए INDIA गठबंधन बनने के बावजूद कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और सपा ने स्पष्ट किया था कि MP में तीनों अलग-अलग चुनाव लड़ेंगी। चूंकि सपा सूबे में सभी सीटों पर उम्मीदवार नहीं उतारेगी इस वजह से कयास लगाया जा रहा था कि कांग्रेस के साथ सियासी जुगत बैठ सकती है।

कांग्रेस और सपा के बीच जिन चार सीटों को लेकर बात बिगड़ी है वो चितरंगी, मेहगांव, भांडेर और राजनगर सीट  हैं। साल 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने मेहगांव, भांडेर और राजनगर सीट जीती थी। हालांकि सपा आलाकमान इन सीटों से ज्यादा कांग्रेस द्वारा छतरपुर जिले के बिजावर से उम्मीदवार उतारने से सबसे ज्यादा नाखुश है। दरअसल 2018 में सपा ने इस सीट पर जीत दर्ज की थी और ऐसा माना जा रहा था कि कांग्रेस इस सीट से किसी को नहीं उतारेगी लेकिन पहली ही लिस्ट में कांग्रेस ने बिजावर से चरण सिंह यादव को मैदान में टिकट देकर अटकलों को दूर कर दिया। कांग्रेस की पहली लिस्ट के रिएक्शन के तौर पर सपा ने लिस्ट में बिजावर से डॉ मनोज यादव को टिकट दे दिया। 

मध्य प्रदेश के सपा प्रदेश अध्यक्ष रामायण सिंह पटेल ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि "कांग्रेस के साथ गठबंधन की सभी संभावनाएं खत्म हो गई हैं। कांग्रेस नेतृत्व के साथ हमारी कुछ बातचीत हुई थी लेकिन रविवार को सब कुछ विफल हो गया। हम अपने दम पर सीटों पर चुनाव लड़ेंगे और अगले साल चुनाव में अच्छा प्रदर्शन करेंगे।”

ऐसे कैसे चलेगा गठबंधन

अखिलेश यादव के करीबी माने जाने वाले एक सीनियर नेता ने आरोप लगाया, ''कांग्रेस को भाजपा को हराना चाहती ही नहीं है।'' पार्टी पदाधिकारी ने कहा, “हमने कांग्रेस नेतृत्व के साथ बातचीत की लेकिन वे भाजपा को हराने के लिए गठबंधन करने में दिलचस्पी नहीं रखते थे। ऐसा लगता है कि उनका प्राथमिक उद्देश्य भाजपा को नहीं बल्कि सपा को हराना है। कांग्रेस के साथ हमारा गठबंधन लोकसभा चुनाव के लिए होगा लेकिन मध्य प्रदेश में हम अकेले चुनाव लड़ेंगे। कांग्रेस नेतृत्व से बातचीत हुई थी और हम 10 सीटें चाहते थे। वे कम सीटों की पेशकश कर रहे थे और अचानक उन्होंने हमें बताए बिना इतने सारे उम्मीदवारों की घोषणा कर दी। गठबंधन इस तरह काम नहीं करता।''

कितने सीटों पर लड़ेगी सपा ?

पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक समाजवादी पार्टी संभवत: मध्य प्रदेश में कुल 30-35 उम्मीदवार उतारेगी। जिस चीज ने एसपी नेतृत्व को "आहत" किया है, वह बिजावर है, जहां चरण सिंह यादव को मैदान में उतारने के कांग्रेस के फैसले ने उसे और भी अधिक परेशान कर दिया है। चरण सिंह बुन्देलखण्ड में सपा के वरिष्ठ नेता दीप नारायण यादव के चचेरे भाई हैं।

गठबंधन की फांस बनी बिजावर सीट

पार्टी के आलाकमान के एक नेता ने कहा “यह दुखद है कि उन्होंने उस सीट पर एक उम्मीदवार की घोषणा की है जिसे हमने 2018 में जीता था और हम चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे। उन्होंने हमसे इस बारे में राय नहीं ली न ही हमसे बात की और अपना उम्मीदवार खड़ा कर दिया।''

गौरतलब हो बिजावर में बड़ी संख्या में यादव और ब्राह्मण आबादी है और 2018 में सपा के राजेश कुमार शुक्ला ने जीत दर्ज की थी। जिन्हें "बबलू भैया" के नाम से भी जाना जाता है, लेकिन 2020 में कमल नाथ के नेतृत्व वाली राज्य सरकार के पतन के बाद भाजपा में चले गए। सपा का दावा है कि यह ऐसी सीट है जहां वह अच्छा प्रदर्शन करेगी।

वहीं, मध्य प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता पीयूष बबेले ने कहा है कि सीट बंटवारे पर अंतिम फैसला पार्टी आलाकमान को करना है। कांग्रेस के एक अन्य नेता ने कहा कि सपा अपनी क्षमता से अधिक सीटों के लिए उतावली है। उन्होंने कहा, ''मध्य प्रदेश में उनका कोई आधार नहीं है। वे इतनी अधिक सीटों की उम्मीद कैसे कर रहे हैं? और जिस सीट को लेकर वो परेशान हैं… उनके विधायक बीजेपी में शामिल हो गए। उम्मीद है कि कुछ काम किया जा सकता है, लेकिन एसपी को ऐसे राज्य में जमीनी हकीकत को समझने की जरूरत है, जहां उनका कोई आधार नहीं है।"