Home मध्यप्रदेश परमात्मा का सबसे दुर्लभ प्रसाद है, पुस्तक लेखन की कला – जगदीश...

परमात्मा का सबसे दुर्लभ प्रसाद है, पुस्तक लेखन की कला – जगदीश देवड़ा

1

भोपाल
किसी साहित्यकार का जन्म होता है।
पुस्तक लेखन की कला परमात्मा का
प्रसाद है जो अत्यंत दुर्लभ है। यह बात

मप्र के वित्त मंत्री माननीय जगदीश देवडा जी ने डॉ अजित बाबू जैन द्वारा लिखी गई चतुर्थ समयमान की पुस्तक का विमोचन करते हुए कही। पुस्तक लेखक डॉ अजित बाबू जैन, ने बताया कि वर्तमान में गलत वेतन निर्धारण के कारण अधिक भुगतान वसूली के लगभग 8000 से भी अधिक प्रकरण माननीय उच्च न्यायालयों में लंबित हैं इसमें शासन पक्ष और कर्मचारी पक्ष दोनों का अमूल्य समय व धन का अपव्यय हो रहा है । जो चिंता का विषय है। अब भविष्य में गलत वेतन निर्धारण न हों इस उद्देश्य से मप्र के शासकीय कार्यालयों के उपयोग हेतु लोकहित में यह पुस्तक लिखी गई है।
 
इस पुस्तक में सही वेतन निर्धारण कैसे हो, इसे उदाहरण सहित व तालिकाओं के साथ समझाया गया है, स्थान स्थान पर कविताओं के माध्यम सेशासनादेश के आशय को स्पष्ट व बोधगम्य बनाया गया है। चतुर्थ समयमान किन किन कर्मचारियों को मिलेगा? किन किन शर्तों को पूर्ण करने पर मिलेगा? वेतन निर्धारण किस प्रक्रिया से किया जायेगा? इसका पूरा विवेचन इस पुस्तक में किया गया है। इस पुस्तक को पूजा लॉ हाउस इंदौर ने प्रकाशित किया है।