नई दिल्ली.
हाल ही में शादी रचाने वाले आम आदमी पार्टी (आप) के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा उन्हें मिले बड़े बंगले को खाली नहीं करना चाहते हैं। टाइप-7 बंगले को लेकर दिल्ली की एक अदालत से उनके खिलाफ आए आदेश आदेश के बाद उन्होंने हाई कोर्ट का रुख किया है। याचिका को चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस संजीव नरूला की पीठ के सामने सूचीबद्ध किया गया है, जिस पर बुधवार को सुनवाई होगी।
चड्ढा की वकील ने कहा कि संसद सदस्य को एक नोटिस दिया गया और बंगला खाली कराने की कार्यवाही जारी है। उन्होंने इससे पहले कहा कि निचली अदालत की ओर से रोक लगायी गई थी लेकिन इसे अब हटा लिया गया है। दिल्ली की पटियाला हाऊस अदालत ने अपने अंतरिम आदेश में बदलाव करते हुए कहा था कि राघव चड्ढा यह दावा नहीं कर सकते कि आवंटन रद्द होने के बाद भी उन्हें राज्यसभा सदस्य के रूप में सरकारी बंगले पर कब्जा कायम रखने का पूर्ण अधिकार है। अतिरिक्त जिला न्यायाधीश सुधांशु कौशिक ने 18 अप्रैल को पारित उस आदेश को रद्द करते हुए यह टिप्पणी की जिसमें राज्यसभा सचिवालय को चड्ढा को सरकारी बंगले से बेदखल नहीं करने का निर्देश दिया गया था।
5 अक्टूबर को आए आदेश में जज ने कहा कि यह तर्क कि एक बार संसद सदस्य को दिया गया आवास सदस्य के पूरे कार्यकाल के दौरान किसी भी परिस्थिति में रद्द नहीं किया जा सकता है, खारिज करने योग्य है। कोर्ट ने कहा कि सरकारी आवास का आवंटन सांसद को दिया गया विशेषाधिकार है और आवंटन रद्द होने के बाद भी कब्जा जारी रखने का उन्हें अधिकार नहीं है। सांसद को गलती से टाइप-7 बंगला आवंटित कर दिया गया था। पहली बार के सांसद की वजह से उन्हें इस श्रेणी की बंगला नहीं मिल सकता है।