प्रयागराज
मथुरा-वृंदावन स्थित बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर (Banke Bihari Temple Corridor)निर्माण मामले में हाईकोर्ट में केस की सुनवाई के दौरान शुक्रवार को एक नया मोड़ आ गया। कॉरिडोर निर्माण में होने वाले खर्च को लेकर सरकार तथा बांके बिहारी मंदिर के सेवायतों के बीच विवाद को देखते हुए आगरा के व्यापारी प्रखर गर्ग ने अर्जी देकर कहा कि वह प्रोजेक्ट के निर्माण पर 510 करोड़ रुपये देने के लिए तैयार हैं। व्यापारी ने कहा है कि वह 100 करोड़ रुपये एक महीने में जमा कर देंगे।
इस पर कोर्ट ने यूपी सरकार के अधिवक्ता से पूछा कि आप मंदिर का पैसा चाहते ही क्यों हैं। क्या सरकार के पास पैसे की कमी है। अगर सरकार के पास पैसे की कमी नहीं है तो सारे विवाद का हल हो गया। तब तो कोई विवाद ही नहीं बचा। सरकार की तरफ से कहा गया कि लोक शांति और व्यवस्था के लिए सरकार ने प्रस्तावित योजना तैयार की है। मंदिर के पैसे से मंदिर की व्यवस्था बनाई जा रही है। इस पर कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए।
मंदिर के पैसे के इस्तेमाल के खिलाफ हैं सेवायत
सेवायतों की ओर से कहा गया कि सरकार मंदिर की सुविधा बढ़ाना चाहती है, इस पर उन्हें कोई आपत्ति नहीं है। लेकिन इस काम के लिए मंदिर के पैसे का इस्तेमाल करना चाहती है। याची अधिवक्ता श्रेया गुप्ता ने कहा कि वर्तमान समय मे मंदिर प्रबंधन समिति ही नहीं है। विवाद सिविल अदालत में विचाराधीन है। कहा कि आर्टिकल 25 और 26 धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार देता है किंतु सरकार उचित हस्तक्षेप कर सकती है। इस पर कोर्ट ने जानना चाहा कि योजना लागू की जाती है तो मंदिर का प्रबंधन किसके हाथ में होगा। हालांकि सरकार की ओर से इस सवाल का जवाब नहीं दिया गया।
ट्रस्ट संचालन कर रहा है मंदिर का
मालूम हो कि मंदिर का संचालन एक ट्रस्ट द्वारा किया जा रहा था। लेकिन वर्तमान समय में सिविल अदालत में मुकदमा चल रहा है। इस संबंध में डिक्री भी है और सिविल जज की ओर से निगरानी की जा रही है। सेवायत का कहना है कि मंदिर निजी ट्रस्ट है। इसमें आने वाले चढ़ावे से कुछ हिस्सा ट्रस्ट को और कुछ सेवायतों को जा रहा है। इससे कुछ परिवार पल रहे हैं। सरकार की नजर मंदिर के पैसे पर है। वह कुछ पैसा खर्च नहीं करना चाहती है। मंदिर के पैसे से ही सारा काम करना चाह रही है। फिलहाल, सुनवाई पूरी न होने से कोर्ट ने सुनवाई के लिए 11 अक्टूबर अगली तिथि तय की है।