रांची
विवाह के आश्वासन के बावजूद बिना सहमति किसी महिला से यौन संबंध बनाना बलात्कार ही माना जाएगा। झारखंड हाईकोर्ट ने यह कहते हुए उस व्यक्ति को आरोप मुक्त करने से इनकार कर दिया जिसने कथित तौर पर शादी के बहाने पीड़िता की सहमति ली थी, लेकिन फिर उसके साथ जबरन यौन संबंध बनाए।
जस्टिस सुभाष चंद ने कहा, “शुरू से ही उसे शादी के बहाने पीड़िता की सहमति मिल गई। उसने पीड़िता को शादी का आश्वासन देकर प्रेमजाल में फंसाया और 21/09/2018 को पहली बार उसने पीड़िता के साथ जबरन दुष्कर्म किया। ऐसे में यह स्वीकार नहीं किया जा सकता कि 375 का अपराध जो आईपीसी की धारा 376 के तहत दंडनीय है। याचिकाकर्ता के खिलाफ मामला नहीं बनता है।''
रिपोर्ट के अनुसार, हाईकोर्ट ने आगे कहा कि जहां तक इस मामले के कानून की बात है, जिस पर याचिकाकर्ता के विद्वान वकील ने भरोसा किया है, उसका लाभ याचिकाकर्ता को नहीं दिया जा सकता है, क्योंकि मामला शुरू से ही उसके पास है। पीड़िता को उसके साथ शादी करने का आश्वासन देकर सहमति प्राप्त की गई थी और 21/09/2018 को पहली बार जो शारीरिक संबंध बनाए गए वह सहमति से नहीं थे। इसलिए, जांच अधिकारी द्वारा एकत्र किए गए साक्ष्यों के मद्देनजर, प्रथम दृष्टया मामला याचिकाकर्ता के खिलाफ बनता है। अदालत ने कहा, ''निचली अदालत द्वारा पारित आदेश में कुछ भी अवैध या कमी नहीं है।
याचिकाकर्ता ने ट्रायल कोर्ट द्वारा आईपीसी की धारा 376 के तहत अपराध से मुक्ति के उसके आवेदन को खारिज करने के खिलाफ रिव्यू पिटीशन को प्राथमिकता दी थी।