वाशिंगटन
अमेरिका के रक्षा मंत्रालय के मुख्यालय पेंटागन ने शुक्रवार को कहा कि अमेरिका भारत के साथ रक्षा संबंधों की सराहना करता है और इस क्षेत्र में भारत के साथ साझेदारी को मजबूत बनाने का प्रयास जारी रखेगा। पेंटागन के प्रेस सचिव पैट रेडेर ने यह बात बृहस्पतिवार को यहां संवाददाताओं से कही। उन्होंने कहा, ‘‘हम रक्षा स्तर पर भारत के साथ संबंधों की काफी सराहना करते हैं। अमेरिका भारत के साथ मजबूत रक्षा साझेदारी बनाए रखने का प्रयास जारी रखेगा और मुझे लगता है कि यह कुछ ऐसा है जिसे आप आगे बढ़ता देखेंगे।
"भारत और अमेरिका के बीच 1997 में रक्षा व्यापार लगभग नगण्य था लेकिन आज यह 20 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक का है। एक प्रश्न के उत्तर में रेडेर ने कहा कि चीन रक्षा मंत्रालय के लिए ‘‘लगातार चुनौती'' बना हुआ है। उन्होंने कहा, ‘‘जब किसी देश की संप्रभुता के संरक्षण तथा अंतरराष्ट्रीय नियम आधारित व्यवस्था की बात आती है तो हम भारत तथा हिंद प्रशांत क्षेत्र के अन्य देशों के साथ अमेरिका की साझेदारी की सराहना करते हैं। इन्ही व्यवस्थाओं के कारण ही कई वर्षों से शांति और स्थिरता बनी हुई है।'' अमेरिका, भारत तथा कई अन्य शक्तिशाली देश हिंद प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती सैन्य ताकत के मद्देनजर स्वतंत्र, मुक्त तथा समृद्ध हिंद-प्रशांत सुनिश्चित करने की जरूरत पर जोर देते रहे हैं। चीन लगभग पूरे विवादित दक्षिण चीन सागर को अपना क्षेत्र बताता है वहीं ताइवान, फिलिपीन, ब्रुनेई, मलेशिया और वियतनाम भी दक्षिण चीन सागर को अपना क्षेत्र बताते हैं।
चीन ने अपना दावा पुख्ता करने के लिए दक्षिण चीन सागर में कृत्रिम द्वीप और सैन्य प्रतिष्ठान बनाए हैं। पेंटागन के प्रेस सचिव का बयान तब आया है जब कुछ दिन पूर्व विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अमेरिका का दौरा किया था और रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन सहित शीर्ष अमेरिकी अधिकारियों से मुलाकात की थी। इस मुलाकात के दौरान जयशंकर और ऑस्टिन के बीच रक्षा साजो सामान के सह-उत्पादन सहित द्विपक्षीय रक्षा सहयोग को प्रगाढ़ करने पर सार्थक बातचीत हुई।