रांची.
भारत के पहले आदिवासी बिशप, कार्डनल तेलेस्फोर प्लासीडस टोप्पो का लंबी बीमारी के बाद बुधवार को रांची के एक अस्पताल में निधन हो गया। वह 84 वर्ष के थे और वृद्धावस्था संबंधी बीमारियों से पीड़ित थे। उन्हें मंगलवार को अस्पताल में भर्ती कराया गया था, लेकिन बुधवार दोपहर को अस्पताल में उनका निधन हो गया। कॉन्फ़्रेंस ऑफ़ कैथोलिक बिशप्स ऑफ़ इंडिया (सीसीबीआई) ने एक बयान में कहा कि वह 54 साल तक पादरी, 44 साल तक बिशप और 19 साल तक कार्डिनल रहे।
गवर्नर सीपी राधाकृष्णन ने एक्स, पर लिखा, "कार्डिनल तेलेस्फोर पी टोप्पो के निधन की खबर बेहद दुखद और दर्दनाक है। उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि। उनके प्रियजनों के प्रति मेरी गहरी संवेदना।" टोप्पो ने कैनन कानून के तहत बिशप के पद से इस्तीफा दे दिया था, जिसकी घोषणा पोप फ्रांसिस ने जून, 2018 में रोम में की थी। वह 35 वर्षों तक रांची के आर्कबिशप रहे थे। उन्हें 8 मई, 1969 को स्विट्जरलैंड के बेसल में बिशप फ्रांसिस्कस द्वारा एक पुजारी नियुक्त किया गया था। भारत के पहले आदिवासी बिशप, कार्डनल तेलेस्फोर प्लासीडस टोप्पो का लंबी बीमारी के बाद बुधवार को रांची के एक अस्पताल में निधन हो गया। वह 84 वर्ष के थे और वृद्धावस्था संबंधी बीमारियों से पीड़ित थे। उन्हें मंगलवार को अस्पताल में भर्ती कराया गया था, लेकिन बुधवार दोपहर को अस्पताल में उनका निधन हो गया। कॉन्फ़्रेंस ऑफ़ कैथोलिक बिशप्स ऑफ़ इंडिया (सीसीबीआई) ने एक बयान में कहा कि वह 54 साल तक पादरी, 44 साल तक बिशप और 19 साल तक कार्डिनल रहे। गवर्नर सीपी राधाकृष्णन ने एक्स, पर लिखा, "कार्डिनल तेलेस्फोर पी टोप्पो के निधन की खबर बेहद दुखद और दर्दनाक है। उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि। उनके प्रियजनों के प्रति मेरी गहरी संवेदना।"
सीएम सोरेन ने जताया शोक
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी उनके निधन पर शोक व्यक्त किया। एक्स से बात करते हुए सोरेन ने कहा कि धार्मिक नेता कार्डिनल तेलेस्फोर पी टोप्पो के निधन की बहुत दुखद खबर मिली। कार्डिनल तेलेस्फोर लोगों की सेवा करते हुए उनके अधिकारों के लिए हमेशा सजग रहते थे। ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करें और शक्ति प्रदान करें। टोप्पो ने बिशप के पद से कैनन कानून के तहत इस्तीफा दे दिया था, जिसकी घोषणा पोप फ्रांसिस ने जून, 2018 में रोम में की थी। बता दें कि कैनन कानून के तहत, एक आर्कबिशप 75 वर्ष की आयु तक सेवा कर सकता है। कार्डिनल टोप्पो 35 वर्षों तक रांची के आर्कबिशप रहे थे। वह दुमका में बिशप 1978 से 1984 और रांची में आर्कबिशप 1985 से 2018 तक रहे थे।
स्कूल में पढ़ाने के मिल चुका है मौका
15 अक्टूबर, 1939 को गुमला जिले के एक छोटे से दूरदराज के गांव झरगांव में जन्मे टोप्पो को 8 मई, 1969 को स्विट्जरलैंड के बेसल में बिशप फ्रांसिस्कस द्वारा एक पुजारी नियुक्त किया गया था। वह एक युवा पुजारी के रूप में भारत लौट आए और उन्हें तोरपा में सेंट जोसेफ हाई स्कूल में पढ़ाने का काम सौंपा गया। पोप सेंट जॉन पॉल II ने 21 अक्टूबर, 2003 को आर्कबिशप तेलेस्फोर टोप्पो को कार्डिनल्स कॉलेज में पदोन्नत करके झारखंड के संपन्न और फलते-फूलते आदिवासी चर्च को सम्मानित किया। सीबीआई के बयान में कहा गया कि वह पहले और एकमात्र एशियाई आदिवासी थे, जिन्हें इस तरह का प्रतिष्ठित चर्च कार्यालय प्रदान किया गया था।