रांची.
ईडी के समन के खिलाफ दायर याचिका पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन मंगलवार को हाईकोर्ट से जल्द सुनवाई का आग्रह कर सकते हैं। हेमंत सोरेन को ईडी ने समन जारी कर चार अक्टूबर को पूछताछ के लिए बुलाया है। ईडी के समन को हेमंत सोरेन ने हाईकोर्ट में चुनौती दी है और समन रद्द करने का आग्रह किया है।
याचिका में सीएम ने कहा है कि ईडी ने उन्हें पहले अवैध खनन के सिलसिले में समन जारी किया था। इसके आलोक में वह ईडी के समक्ष अपना बयान दर्ज करा अपनी और पारिवारिक संपत्तियों का ब्योरा दिया था। उनकी और उनके परिवार की सारी संपत्ति आयकर में घोषित है। जिन संपत्तियों का ब्योरा मांगा जा रहा है, वह सीबीआई को भी दिया जा चुका है। बावजूद ईडी ने उन्हें फिर समन भेजा है।
प्रार्थी को यह अधिकार है कि उसे यह बताया जाए कि उससे किस कथित अपराध के सिलसिले में साक्ष्य देने की जरूरत है, पर इसकी जानकारी नहीं दी जा रही है। यह समन पीएमएलए के मूल उद्देश्य के खिलाफ है। साथ ही याचिकादाता को संविधान के अनुच्छेद 14, 19 और 21 के तहत मिले मौलिक अधिकारों के खिलाफ है।
पीएमएलए एक्ट की धारा को चुनौती याचिका मे पीएमएलए एक्ट 2002 की धारा 50 और 63 की वैधता को भी चुनौती दी गयी है। याचिका में कहा गया है कि पीएमएलए का यह प्रावधान संविधान के मौलिक अधिकारों के खिलाफ है। आईपीसी के तहत किसी मामले की जांच के दौरान जांच एजेंसी के समक्ष दिये बयान की मान्यता कोर्ट में नहीं है, लेकिन पीएमएलए की धारा 50 के तहत जांच के दौरान एजेंसी के समक्ष दिये गयेह्व बयान की कोर्ट में मान्यता है। पीएमएलए की धारा 19 के तहत जांच एजेंसी को धारा 50 के तहत बयान दर्ज करने के दौरान ही किसी को गिरफ्तार करने का अधिकार है। इससे पूछताछ व धारा 50 के तहत बयान दर्ज कराने के लिए समन जारी होने पर लोग डरे रहते हैं।