नई दिल्ली
स्वदेशी रूप से डिजाइन और विकसित हथियार प्रणालियों को बढ़ावा देने के बड़े प्रयास के तहत सेना ने भारतीय कंपनियों से 400 होवित्जर तोपें खरीदने के लिए रक्षा मंत्रालय को एक प्रस्ताव भेजा है। इस खरीद पर 6,500 करोड़ रुपये से अधिक का खर्च आएगा। भारतीय सेना की तोपखाना रेजीमेंट 155 मिमी और 52 कैलिबर की खींचकर ले जा सकने वाली तोपों (टीजीएस) का उत्पादन करने के लिए भारतीय उद्योग की विशेषज्ञता का उपयोग करने की इच्छुक है।
उच्च स्तरीय बैठक में टीजीएस पर निर्णय ले सकती है सरकार
वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों ने बताया कि सरकार जल्द ही एक उच्च स्तरीय बैठक में टीजीएस पर निर्णय ले सकती है। भारतीय सेना ने पहले ही 307 खींचकर ले जा सकने वाली अत्याधुनिक तोपों (एटीएजीएस) को खरीदने के साथ-साथ चीन और पाकिस्तान से लगती सीमाओं पर अपनी आवश्यकताओं के लिए माउंटेड गन सिस्टम के लिए एक टेंडर जारी कर दिया है। भारत में डिजाइन, विकसित और निर्मित होवित्जर का मतलब यह होगा कि यह हर तरह से पूरी तरह से भारतीय होगी।
सेना चाहती है कि पुरानी बोफोर्स तोपों की तरह ये तोपें वजन में हल्की हों और ऊंचाई वाले इलाकों में तैनात करना आसान हो। पिछले दशक में 155 मिमी की होवित्जर तोपों की खरीद के लिए चार अनुबंध हुए हैं। इन तोपों को पहले ही सेना में शामिल किया जा चुका है और अधिक संख्या में रेजीमेंटों को इन तोपों से सुसज्जित किया जा रहा है। इनमें धनुष, शारंग, अल्ट्रा लाइट होवित्जर (यूएलएच) और के-9 वज्र सेल्फ प्रोपेल्ड गन शामिल हैं।
धनुष तोपें बोफोर्स तोपों का इलेक्ट्रानिक अपग्रेड हैं, जबकि शारंग तोपों को 130 मिमी से 155 मिमी कैलिबर तक उन्नत किया गया है। सात रेजीमेंटों को पहले ही यूएलएच से सुसज्जित किया जा चुका है, जबकि पांच को सेल्फ प्रोपेल्ड गन से सुसज्जित किया गया है।