नईदिल्ली
Pragyan Rover चांद की सतह पर अपने पिछले पहियों पर बने राष्ट्रीय प्रतीक चिन्ह और इसरो के लोगो का निशान छोड़ने वाला था. लेकिन ये निशान उतने स्पष्ट नहीं बने जितने की उम्मीद थी. यानी शिव शक्ति प्वाइंट (Shiv Shakti Point) के आसपास की सतह पथरीली है. वहां पर चांद की सतह यानी रिगोलिथ सॉलिड है.
दक्षिणी ध्रुव के आसपास का इलाका और खास तौर से शिव शक्ति प्वाइंट का इलाका भविष्य में इंसानी बस्ती के लिए चुना जा सकता है. ऐसे में इस सतह की जानकारी होना बेहद जरूरी है. जैसे वहां ड्रिलिंग कर सकते हैं या नहीं. पानी है या नहीं. सतह मजबूत है या नहीं. सतह के नीचे का पर्यावरण कैसा है. इन सब जानकारियों का फायदा फ्यूचर में होगा.
इस बात को इसरो वैज्ञानिक भी मानते हैं कि जब प्रज्ञान रोवर के पहियों से राष्ट्रीय प्रतीक चिन्ह और इसरो के लोगो का निशान जब चांद की सतह पर स्पष्ट नहीं बना, तो उन्हें वहां के बारे में नई जानकारियां मिलीं. नई समझ पैदा हुई. चांद की सतह पर मिट्टी नहीं है. वह अलग चीज है. इससे ये पता किया जा सकता है कि वो किस चीज से बनी है.
ढेलेदार है चांद की सतह, इसलिए नहीं बना निशान
चांद की मिट्टी असल में बहुत ज्यादा धूल भरी नहीं है. बल्कि वह ढेलेदार है. इसका मतलब ये है कि वहां कुछ ऐसे तत्व हैं, जो मिट्टी को बांधते हैं. उनका ढेला बना देते हैं. प्रज्ञान रोवर अब शिव शक्ति प्वाइंट के आसपास 105 मीटर चल चुका है. यह रोवर पिछले करीब 18 दिनों से ज्यादा समय से सो रहा है. इसे जगाने का प्रयास हो रहा है.
रोवर में कौन-कौन से यंत्र हैं, जो कर रहे थे जांच
प्रज्ञान रोवर में दो पेलोड्स लगे हैं. पहला है लेजर इंड्यूस्ड ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोप (Laser Induced Breakdown Spectroscope – LIBS). यह एलिमेंट कंपोजिशन की स्टडी करेगा. जैसे- मैग्नीशियम, अल्यूमिनियम, सिलिकन, पोटैशियम, कैल्सियम, टिन और लोहा. इनकी खोज लैंडिंग साइट के आसपास चांद की सतह पर की जाएगी.
दूसरा पेलोड है अल्फा पार्टिकल एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (Alpha Particle X-Ray Spectrometer – APXS). यह चांद की सतह पर मौजूद केमकल्स यानी रसायनों की मात्रा और गुणवत्ता की स्टडी करेगा. साथ ही खनिजों की खोज करेगा. आज यानी 25 अगस्त 2023 की सुबह ही लैंडर से बाहर आते हुए रोवर का वीडियो भी इसरो ने जारी किया था.
प्रज्ञान रोवर का एक्सरे देखिए… अंदर क्या-क्या है?
यहां दिखाई गई तस्वीर में अगर आप क्लॉकवाइज यानी घड़ी के घूमने की दिशा में चलें तो सबसे पहले दिख रहा है सोलर पैनल. यानी ये सूरज की गर्मी से ऊर्जा लेकर रोवर को देगा. उसके ठीक नीचे दिख रहा सोलर पैनल हिंज. यानी जो सोलर पैनल को रोवर से जोड़कर रखता है. इसके बाद है नेव कैमरा यानी नेविगेशन कैमरा. ये दो हैं. ये रास्ता देखने और चलने के लिए दिशा तय करने में मदद करते हैं.