नईदिल्ली
राम मनोहर लोहिया (RML) अस्पताल में इस साल डेंगू से अब तक 4 मौतें हो चुकी है। सफदरजंग में भी एक मौत हो चुकी है। एम्स में भी मौत के मामले सामने आ रहे हैं। एम्स के डॉक्टर का कहना है कि भले मरीजों की संख्या बहुत ज्यादा नहीं है, लेकिन इस बार सीवियरिटी बहुत ज्यादा हो रही है और औसतन हर रोज किसी न किसी की मौत डेंगू की वजह से हो रही है। भले पैनिक होने वाली बात नहीं है, लेकिन अलर्ट रहना चाहिए, ताकि इस संक्रमण से बचा जा सके।
पिछले साल की तुलना में हो रहीं ज्यादा मौतें
डेंगू का आंकड़ा इस बार एमसीडी की तरफ से बताई नहीं जा रही है। लगभग एक महीने से भी ज्यादा समय से आंकड़ा शेयर नहीं किया जा रहा है। लेकिन डेंगू के इलाज में जुड़े डॉक्टरों का कहना है कि मामले सामने आ रहे हैं और पिछले साल की तुलना में मौतें ज्यादा हो रही है। सूत्रों का कहना है कि हिंदूराव अस्पताल में अब तक 219 मामलों की पुष्टि हुई है, लेकिन किसी की मौत नहीं हुई है। सफदरजंग अस्पताल में इस साल अब तक 430 मामले आ चुके हैं। सितंबर में 74 मामले की पुष्टि हुई है और एक की जान जा चुकी है।
रोज एक मरीज की जा रही जान
इसी हफ्ते आरएमएल में भी एक महिला मरीज की मौत डेंगू से हुई थी। हालांकि महिला यूपी की थी। अस्पताल प्रशासन के अनुसार चार जानें इस बार जा चुकी है। वर्तमान हालात को लेकर एम्स के मेडिसिन डिपार्टमेंट के डॉक्टर पीयूष रंजन ने बताया कि अस्पताल में मरीजों की संख्या बहुत ज्यादा नहीं है, लेकिन औसतन रोज एक मरीज की जान जा रही है। मरने वालों में यंग मरीज भी हैं। हालांकि उनका यह भी कहना है कि एम्स में ज्यादातर मरीज रेफर होकर आते हैं और उनकी हालत पहले से खराब होती है और उस स्थिति में एडमिट होते हैं। इस वजह से भी मौत हो रही हों। उनका यह भी कहना है कि जिनकी मौत हो रही है, उनमें लिवर फेल, शॉक और अन्य गंभीर समस्या देखी जा रही है।
क्या है मौतों की वजह
डॉक्टर पीयूष ने कहा कि पब्लिक हेल्थ की वजह से ऐसा हो रहा है, यह कहना सही नहीं है। डेंगू के मरीजों की संख्या उतनी नहीं है, या यूं कहें कि एडमिशन बहुत ज्यादा है, ऐसा भी नहीं है। एक वजह यह भी हो सकती है कि इस बार डेंगू का डेन टू वायरस एक्टिव है जो बाकी से ज्यादा सीवियर होता है।