नई दिल्ली
चीन ने वर्ष 2000 के बाद भारत के साथ चल रहे सीमा विवाद पर अपनी नीति बदल ली है। अब आक्रामक नीति के तहत उसने अरुणाचल प्रदेश और जम्मू- कश्मीर के निवासियों को नियमित वीजा के बजाय नत्थी वीजा जारी करना शुरू कर दिया है।
चीन ने पहली बार नत्थी वीजा कब जारी किया था?
चीन ने पहली बार 2005 में अरुणाचल प्रदेश के निवासियों को नत्थी वीजा जारी किया था, जिसके बाद से ये सिलसिला जारी है। चीन नत्थी वीजा जारी करके अरुणाचल प्रदेश पर अपने दावे को मजबूती देने के साथ यह संदेश देना चाहता है कि जम्मू-कश्मीर विवादित क्षेत्र है और वह इसे भारत का अभिन्न हिस्सा नहीं मानता। वहीं, भारत ने चीन के इस कदम का कड़ा विरोध करते हुए दोहराया है कि अरुणाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर भारत के अभिन्न अंग हैं।
नत्थी वीजा और स्टांप वीजा का फर्क
स्टांप वीजा नियमित वीजा है। एक देश दूसरे देश के नागरिकों को नियमित वीजा जारी करता है। नत्थी वीजा नियमित वीजा से अलग होता है। इसमें पासपोर्ट पर सीधे स्टांप लगाने के बजाय वीजा के साथ एक कागज नत्थी कर दिया जाता है। ऐसा करके चीन पासपोर्ट पर अपनी आधिकारिक स्टांप लगाने से बच जाता है।
नत्थी वीजा जारी होना क्यों है चिंता का विषय?
किसी देश के नागरिक के लिए नत्थी वीजा जारी होना चिंता की बात इसलिए है, क्योंकि जब ये नागरिक अपने देश लौटते हैं तो नत्थी वीजा एंट्री और एग्जिट पास फाड़ दिया जाता है। उसकी यात्रा का कोई ब्यौरा रिकार्ड में दर्ज नहीं हो पता है। इसका मतलब है कि नत्थी वीजा के साथ यात्री कहां गया और कब गया इसका कोई सबूत नहीं रह जाता है। किसी भी देश की सुरक्षा के लिहाज से ये चिंता की बात हो सकती है।
कब शुरू हुआ नत्थी वीजा विवाद?
चीन ने खास तौर पर अरुणाचल प्रदेश और जम्मू कश्मीर के निवासियों के लिए नत्थी वीजा जारी करना शुरू किया था। चीन ने सबसे पहले 2005 में अरुणाचल प्रदेश के निवासियों के लिए नत्थी वीजा जारी किया और जम्मू कश्मीर के नागरिकों के लिए नत्थी वीजा सबसे पहले 2009 में जारी किया गया। इसके बाद से समय समय पर चीन अरुणाचल प्रदेश और जम्मू कश्मीर के नागरिकों को नत्थी वीजा जारी करता रहता है। 2009 में कश्मीर के एक निवासी को नई दिल्ली में चीनी दूतावास ने नत्थी वीजा जारी किया था। बाद में उसे एयरपोर्ट पर रोक दिया गया था।