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आदि शंकराचार्य की प्रतिमा का CM ने किया अनावरण, सीएम ने चरणों में टेका माथा

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 खंडवा

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने खंडवा के ओंकारेश्वर में 108 फीट ऊंची आदि शंकराचार्य की प्रतिमा का अनावरण किया. उनके साथ स्वामी अवधेशानंद गिरि भी मौजूद थे. कार्यक्रम आयोजकों ने यहां सीएम शिवराज और स्वामी अवधेशानंद का परंपरागत तरीके से स्वागत किया. इस पारंपरिक स्वागत में केरल के कलाकारों ने नृत्य किया. इस दौरान विद्वान पंडितों ने मंत्रोच्चार भी किया. कार्यक्रम स्थल पर करीब 5 हजार संत, महंत व प्रतिनिधि मौजूद थे. स्वामी अवधेशानंद गिरी महाराज के साथ स्वामी परमात्मानंद, स्वामी स्वरूपानंद और स्वामी तीर्थानंद मौजूद हैं. कार्यक्रम के दौरान खंडवा में बारिश शुरू हो गई. इस बारिश के बीच भी मंत्रोच्चार हुआ.

आदि गुरु शंकराचार्य की प्रतिमा के अनावरण पर साधु संतों ने जताई खुशी. संतों ने कहा कि इस नई शुरुआत से सनातन को एक नई दिशा मिलेगी. हम सभी आदि शंकराचार्य के संदेश को जन-जन तक ले जाने का काम करेंगे. अद्वैत लोक बन जाने से आदि शंकराचार्य के ज्ञान को जन जन तक पहुंचने में मदद मिलेगी. इस मौके पर सीएम शिवराज सिंह चौहान ने ट्वीट किया, आध्यात्मिक ऊर्जा से अनुप्राणित आचार्य शंकर के श्रीचरणों में ही शुभता और शुभत्व है. संपूर्ण जगत के कल्याण का सूर्य अद्वैत के मंगलकारी विचारों में ही निहित है. संपूर्ण विश्व को “एकात्मता” का संदेश दे रहा मध्यप्रदेश.

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गुरुवार को खंडवा के ओंकारेश्वर में 108 फीट ऊंची आदि शंकराचार्य की प्रतिमा का अनावरण किया। प्रतिमा के अनावरण से पहले उन्होंने पत्नी के साथ पूरे विधि-विधान से साधु संतों के साथ पूजा-अर्चना की। सीएम के साथ स्वामी अवधेशानंद गिरि भी मौजूद रहे। आयोजकों ने परंपरागत तरीके से सीएम और स्वामी अवधेशानंद का स्वागत किया। जिसमें केरल के कलाकारों ने नृत्य किया। विद्वान पंडितों ने वैदिक मंत्रोच्चार किया। कार्यक्रम स्थल पर लगभग पांच हजार संत, महंत और प्रतिनिधि मौजूद थे।

प्रतिमा के अनावरण पर साधु संतों ने जताई खुशी। उन्होंने कहा कि इससे सनातन धर्म को नई दिशा मिलेगी। बता दें कि आठवीं शताब्दी के दार्शनिक और हिंदू धर्म में प्रतिष्ठित शंकराचार्य की 108 फुट ऊंची अष्टधातु से बनी प्रतिमा का नाम एकात्मता प्रतिमा रखा गया है। यह विशाल प्रतिमा नर्मदा नदी के किनारे सुरम्य मांधाता पहाड़ी के ऊपर स्थित है। शंकराचार्य को सनातन धर्म को आगे बढ़ाने वाला संत माना जाता है। पहले इस प्रतिमा का अनावरण 18 सितंबर को होना था लेकिन भारी बारिश की वजह से कार्यक्रम स्थगित करना पड़ा।

एक अधिकारी ने बताया कि आचार्य शंकर सांस्कृतिक एकता न्यास और मध्य प्रदेश राज्य पर्यटन विकास निगम (एमपीएसटीडीसी) के मार्गदर्शन में प्रतिमा को तैयार किया गया है। एकात्मता की प्रतिमा आदि शंकराचार्य की विरासत और उनकी गहन शिक्षाओं को प्रदर्शित करती है। उन्होंने कहा, 'यह सांस्कृतिक परियोजना प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बहुप्रतीक्षित दृष्टिकोण- 'वसुधैव कुटुंबकम' (दुनिया एक परिवार है) को पूरा करेगी। इस 108 फुट ऊंची प्रतिमा के साथ, मध्य प्रदेश सभी धर्मों के सांस्कृतिक और आध्यात्मिक केंद्र के रूप में अपनी स्थिति मजबूत करेगा।

बीजेपी सरकार ने पहले 2,141.85 करोड़ रुपये की परियोजना को मंजूरी दी थी, जिसके तहत ओंकारेश्वर में एक संग्रहालय (अद्वैत लोक) के साथ आदि शंकराचार्य की मूर्ति बनाई जानी थी। सीएम गुरुवार को शंकराचार्य की प्रतिमा का अनावरण करेंगे। इसके बाद वे अद्वैत लोक का शिलान्यास और भूमिपूजन भी करेंगे। यह संग्रहालय पुराने मंदिरों की स्थापत्य शैली की तर्ज पर बनाया जाएगा। इसमें थ्री डी होलोग्राम प्रोजेक्शन गैलरी के साथ प्रशिक्षण केंद्र होगा। जो शंकराचार्य के सिद्धांत को समझाने और साझा करने के केंद्र के तौर पर काम करेगा।

संन्यास लेने के बाद ओंकारेश्वर पहुंचे थे

ऐसा माना जाता है कि केरल में जन्मे शंकराचार्य बाल्यावस्था में संन्यास लेने के बाद ओंकारेश्वर पहुंचे थे। यहां उनकी मुलाकात अपने गुरु गोविंद भगवत्पाद से हुई। चार साल तक यहां रहकर उन्होंने विद्या प्राप्त की थी। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शंकराचार्य ने द्वैत वेदांत दर्शन को लोगों तक पहुंचाने के लिए ओंकारेश्वर से 12 साल की उम्र में देश के अन्य हिस्सों के लिए प्रस्थान किया था। मंदिरों की नगरी में आदि शंकराचार्य की प्रतिमा को लगभग 2100 करोड़ की लागत से बनाया गया है।

नर्मदा नदी के किनारे पहाड़ी पर है स्थित

आदि शंकराचार्य की यह प्रतिमा खंडवा में नर्मदा नदी के किनारे सुरम्य मांधाता पहाड़ी पर स्थित है। इसका अनावरण पूर्व में 18 सितम्बर को किया जाना था किंतु भारी बारिश की वजह से कार्यक्रम को स्थगित कर दिया गया था। एक अधिकारी ने बताया कि आचार्य शंकर सांस्कृतिक एकता न्यास और मप्र राज्य पर्यटन विकास निगम के मार्गदर्शन में प्रतिमा को तैयार किया गया है। यह प्रतिमा आदि शंकराचार्य की विरासत और उनकी गहन शिक्षाओं को प्रदर्शित करती है। उन्होंने कहा कि यह सांस्कृतिक परियोजना प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बहुप्रतीक्षित दृष्टिकोण वसुधैव कुटुंबकम को पूरा करेगी।

अद्वैत लोक की रखी आधारशिला

आदिगुरु शंकराचार्य की प्रतिमा स्थल के करीब ब्रह्मोत्सव में 5 हजार साधु-संत जुटे। यहां अद्वैत लोक के लिए भूमिपूजन हुआ और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इसकी आधारशिला रखी। अद्वैत लोक वर्ष 2026 तक बनकर तैयार होगा। यह ओंकार पर्वत की 11.5 हेक्टेयर जमीन पर आकार ले रहा है। जिसके मध्य में आदिगुरु शंकराचार्य की प्रतिमा स्थापित की गई है। कार्यक्रम में स्वामी अवधेशानंद जी गिरी महाराज, परमानंद जी, स्वामी स्वरूपानंद जी और स्वामी तीर्थानंद जी भी पहुंचे। पत्नी साधना सिंह के साथ मुख्यमंत्री चतुर्वेद पारायण महायज्ञ में शामिल हुए। संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री उषा ठाकुर भी हवन पूजन में शामिल हैं।

प्रतिमा का 100 टन है वजन

ओंकारेश्वर पर्वत पर स्थापित आदिगुरु शंकराचार्य की 108 फीट ऊंची प्रतिमा का वनज 100 टन है। यह एकात्मकता का प्रतीक है जिसको ‘स्टैच्यू ऑफ वननेस’ का नाम दिया गया है। यह प्रतिमा 75 फीट ऊंचे प्लेटफॉर्म पर स्थापित है। जिसे 88 प्रतिशत कॉपर, 4 प्रतिशत जिंक और 8 प्रतिशत टिन को मिलकर बनाया गया है। प्रतिमा के 290 पैनल निर्माण कंपनी एलएंडटी ने जेटीक्यू चाइना से तैयार कराया है। इस सभी हिस्सों को ओंकारेश्वर लाया गया जिसके बाद इन्हें जोड़ने का काम किया गया। आदिगुरु शंकराचार्य के लिए 112 फीट की माला श्रृंगेरी शारदा पीठ से लाई गई है। यह मामला 10 हजार रुद्राक्ष से बनी हुई है। जिसमें सभी पांचमुखी रुद्राक्ष हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि आज आदिगुरु फिर पधार गए हैं, उनके चरणों में प्रणाम। यह माला उपयुक्त अवसर पर आदिगुरु को पहनाई जाएगी, अभी सुरक्षित रखते हैं।

सन्यास लेने के बाद पहुंचे थे ओंकारेश्वर

केरल में जन्मे शंकराचार्य बाल्यावस्था में सन्यास लेने के बाद ओंकारेश्वर पहुंचे ऐसा माना जाता है। जहां पर उनकी मुलाकात अपने गुरु गोविंद भगवत्पाद से हुई। उन्होंने यहां पर रहकर चार साल तक विद्या प्राप्त की थी। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शंकराचार्य ने द्वैत वेदांत दर्शन को लोगों तक पहुंचाने के लिए ओंकारेश्वर से 12 साल की उम्र में देश के अन्य हिस्सों के लिए प्रस्थान किया था। मंदिरों की नगरी में आदि शंकराचार्य की प्रतिमा को लगभग 21सौ करोड़ की लागत से बनाया गया है। 108 फिट ऊंची प्रतिमा के साथ मध्यप्रदेश सभी धर्मों के सांस्कृतिक और आध्यात्मिक केन्द्र के रूप में अपनी स्थिति मजबूत करेगा।