रायपुर। आदिवासी दिवस पर भाजपा द्वारा प्रदर्शित आदिवासियों के प्रति संवेदना पर सवालिया निशान खड़ा करते हुए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा है कि भाजपा की बर्बर तानाशाह और आतताई रमन सिंह सरकार के जाने के बाद आदिवासियों को शोषण, अत्याचार, अनाचार, अन्याय से मुक्ति मिली है। रमन सिंह सरकार में सिर्फ बस्तर ही नहीं पूरे प्रदेश के आदिवासियों का दमन और शोषण किया गया। बलौदाबाजार जिले की सुहेला में हुई राम कुमार ध्रुव की हिरासत में मौत और सरगुजा के मीना खलखो कांड को अभी आदिवासी समाज और छत्तीसगढ़ के लोग भूले नहीं हैं। आदिवासियों के प्रति भाजपा के मन में अचानक जागी सहानुभूति सिर्फ और सिर्फ स्वार्थ और अवसरवाद की राजनीति है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा है कि 15 साल भाजपा की रमन सिंह सरकार में बस्तर पुलिसिया दमन चक्र और प्रशासनिक आतंकवाद के तले कराहता रहा और आम लोगों की बात छोड़िए वकीलों राजनीतिक नेताओं तक को डराया धमकाया जाता रहा, बच्चों और महिलाओं को भाजपा के शासन काल में प्रताड़ित किया जाता रहा। गरीब महिलाओं, बालिकाओं पर अत्याचार और दुष्कर्म की घटनाएं 15 साल तक निरंतर होती रही। अत्याचार का विरोध करने पर बस्तर में आदिवासियों के साथ बेरहमी के साथ मारपीट की जाती थी। बस्तरवासी 15 साल तक रमन सिंह सरकार में जिंदगी और मौत से जूझते रहे। सारकेगुड़ा, एड़समेटा, पेद्दागेलूर, झलियामारी अल्लमपल्ली, तिम्मापुर एलमागुंडा, एरार्बोर, सोनकू, बीजलू नामक स्कूल के छात्रों को नक्सली बताकर फर्जी एनकाउंटर में मारना, बीजापुर में बैडमिंटन छात्रा के साथ कोच द्वारा बलात्कार और रमन सरकार द्वारा बलात्कारी कोच को दिए गए संरक्षण जैसी काली घटनाओं को अभी बस्तर और छत्तीसगढ़ के लोग भूले नहीं हैं। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा है छत्तीसगढ़ और खासकर बस्तर के आदिवासी अभी भी नहीं भूले हैं कि हर आदिवासी परिवार को 10 लीटर दूध देने वाली जर्सी गाय और हर आदिवासी परिवार से एक व्यक्ति को सरकारी नौकरी देने की बात कहकर रमन सिंह सरकार ने आदिवासियों के साथ जो धोखाधड़ी की थी। तेंदूपत्ता बोनस में आदिवासियों के हक के पैसों से चरण पादुका देने के नाम पर जो कमीशन खोरी और गड़बड़ियां रमन सिंह सरकार ने की गई उसे भी आदिवासी नहीं भूले हैं। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा है कि भाजपा सरकार में 15 साल तक उद्योगों के नाम पर आदिवासियों की जमीन हड़पी गई और टाटा के नाम पर आदिवासियों की 4000 एकड़ जमीन सरकार ने दबा रखी थी और इस जमीन की वापसी छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की भूपेश बघेल सरकार बनने के बाद ही संभव हुई है। फर्जी मुठभेड़ों और फर्जी आत्मसमर्पण के द्वारा माओवाद को बस्तर में और छत्तीसगढ़ में भाजपा ने फैलने दिया और दक्षिण बस्तर के तक सीमित माओवाद ने 14 जिलों को अपने गिरफ्त में लेने के लिए भाजपा सरकार की जनविरोधी नीतियां और कार्यप्रणाली जिम्मेदार रही। रमन सरकार के 15 वर्षो के कार्यकाल में 1442 नागरिक बस्तर में मारे गये यानी हर साल 96 नागरिकों ने रमन सरकार की स्वार्थी बस्तर विरोधी, आदिवासी विरोधी, छत्तीसगढ़ विरोधी नीतियों के चलते अपनी जान गंवाई है।