भोपाल। प्रदेश के मेधावियों को लैपटाप की राशि ट्रांसफर करते समय सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कुछ छात्र-छात्राओं से बातचीत की। इस दौरान रीवा के दिव्यांग छात्र कृष्णकुमार केवट से वीडियो कॉल पर चर्चा की। सीएम ने कहा कि कृष्णकुमार केवट के जन्म से ही दोनों हाथ नहीं हैं। जब इनका जन्म हुआ तो माता-पिता को खुशी के साथ बेटे के भविष्य चिंता की भी हुई कि कैसे यह अपना जीवन यापन करेगा, लेकिन आज उसी बेटे ने 12वीं कक्षा में 82 प्रतिशत अंक प्राप्त कर न सिर्फ माता-पिता का गौरव बढ़ाया, बल्कि पूरे प्रदेश को गौरवान्वित किया है। दोनों हाथ न होने के बाद भी कृष्ण कुमार ने पढ़ाई और मेहनत से मुंह नहीं मोड़ा। हाथ न होने पर पैरों से लिखना और अन्य काम करना सीखा।
गांव में 12वीं कक्षा का स्कूल न होने पर कृष्णकुमार रोजाना 10 किलोमीटर पैदल चलकर स्कूल जाता था, आखिरकार कृष्ण कुमार की मेहनत रंग लाई और 12वीं कक्षा में 82 फीसदी अंक लाने पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने न सिर्फ उसे सम्मानित किया बल्कि उसकी पढ़ाई और इलाज का पूरा खर्च उठाने के आदेश कलेक्टर को दिए।
इसके अलावा सतना की रहने वाली कीर्ति कुशवाह जो एक आंख से देख नहीं सकती और दूसरी में भी महज 25 फीसदी रोशनी है। बावजूद इसके उसने प्रदेश की टॉप 10 सूची में अपना स्थान बनाया। कीर्ति का आज सीएम ने सम्मानित किया और आॅनलाइन बात की। कीर्ति ने सीएम को अपनी पढ़ाई में आ रही पेरशानियां बताई। सीएम ने कीर्ति के इलाज और पढ़ाई का पूरा खर्च उठाने के आदेश कलेक्टर को दिए।
मुख्यमंत्री शुक्रवार को भोपाल के मिंटो हाल में आयोजित प्रतिभाशाली छात्र प्रोत्साहन योजना कार्यक्रम में विद्यार्थियों ने रूबरू हुए। उन्होंने अन्य जिलों के छात्र-छात्राओं आॅनलाइन संवाद किया, वहीं भोपाल में छह छात्र-छात्राओं को पुरस्कार और 25 हजार रुपए का चैक देकर सम्मानित किया। कार्यक्रम के दौरान छात्र-छात्राओं ने शिवराज मामा को खुलकर अपनी बात और पढ़ाई में आ रही दिक्कतें बताई। जिन्हें सीएम ने पूरा करने का आश्वासन बच्चों को दिया।
कार्यक्रम में भोपाल जिले के टॉपर 60 छात्र-छात्राओं को अभिभावकों ने साथ आमंत्रित किया गया था। सीएम ने वन क्लिक माध्यम से 44 हजार छात्र-छात्राओं के खाते में 25-25 हजार रुपए के हिसाब से 40 करोड़ से अधिक राशि ट्रांसफर की। इस कार्यक्रम में स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार, आदिमजाति एवं अनुसूचित जाति कल्याण मंत्री मीना सिंह, पीएस रश्मि अरुण शमी के साथ शिक्षा विभाग के सभी अधिकारी उपस्थित थे।
दायरा 5 फीसदी अंक का घटाया तो संख्या बढ़कर 27 हजार से ज्यादा हो गई
लैपटाप की पात्रता के लिए पहले अंकों का दायरा 85 फीसदी रखा गया था। तब इससे 16148 बच्चे लाभान्वित हो रहे थे। बाद में यह दायरा 5 फीसदी घटाकर 80 फीसदी अंक किया गया तो विद्यार्थियों की संख्या बढ़कर 44 हजार हो गई।