भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि प्रदेश में मंत्रिमंडल का विस्तार जल्द कर लिया जाएगा, इसके लिए हमारी तरफ से तैयारी पूरी कर ली गई है। केंद्रीय नेतृत्व से चर्चा होनी है। उनका निर्देश मिलते ही मंत्रियों को शपथ दिला दी जाएगी। मुख्यमंत्री ने बुधवार सुबह यह बयान भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा और संगठन मंत्री सुहास भगत से चर्चा के बाद दिया। इस दौरान गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा भी मौजूद थे।
बताया जा रहा है कि राज्यपाल लालजी टंडन के अस्वस्थ होने के कारण अब मंत्रिमंडल विस्तार कार्यवाहक राज्यपाल बनाकर होगा, इसी सप्ताह छत्तीसगढ़ की राज्यपाल अनुसुइया उइके को प्रभार मिल सकता है।
मुख्यमंत्री के बयान के बाद कयास लगाए जा रहे हैं कि मंत्रिमंडल का विस्तार अगले सप्ताह हो सकता है। मुख्यमंत्री एक-दो दिन में दिल्ली जा सकते हैं। वहां भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष से मुलाकात होनी है। यहां मुख्यमंत्री संभावित नामों पर बात कर सकते हैं। खासतौर पर पिछली शिवराज सरकार में मंत्री रहे और चुनाव जीतने वाले विधायकों को दोबारा मंत्रिमंडल में रखने का मसला है। इस मुलाकात के तुरंत बाद मंत्रिमडंल विस्तार हो जाएगा।
मुख्यमंत्री का दिल्ली प्रवास के दौरान पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया से मिलने का कार्यक्रम भी था। लेकिन, सिंधिया अस्पताल से डिस्चार्ज होने के बाद क्वारैंटाइन पीरियड में हैं। ऐसे में यह मुलाकात अब मुश्किल लग रही है।
वरिष्ठ विधायकों के दबाव में अटका मामला
बताया जा रहा है कि जाति, क्षेत्र और सामाजिक संतुलन के साथ पार्टी में ऐसे सीनियर विधायक को भी तवज्जो दी गई है, जो पिछली सरकार में मंत्री नहीं बन पाए थे। इसी के बाद पार्टी की मुश्किल बढ़ गई है। पार्टी चाहती है कि मौजूदा 5 मंत्रियों को मिलाकर मंत्रिमंडल इतना बढ़ा हो कि 4 से 5 स्थान रिक्त रहें। यानी साफ है कि अब 24 से 25 लोगों को ही शिवराज की टीम में जगह मिल सकती है।
सिंधिया समर्थकों के 11 नेताओं (गोविंद सिंह राजपूत, तुलसी सिलावट के बाद अब 9 मंत्री और बन सकते हैं) को मंत्रिमंडल में लेने के बाद 18 से 19 पद भाजपा को मिलेंगे। कांग्रेस के बागियों में प्रभुराम चौधरी, प्रद्युम्न सिंह तोमर, महेंद्र सिसोदिया, राज्यवर्द्धन सिंह दत्तीगांव, बिसाहूलाल सिंह, एंदल सिंह कंसाना, हरदीप सिंह डंग का नाम है। बसपा-सपा के विधायकों की उम्मीद कम है।
भाजपा के दो मंत्री बन चुके हैं। लिहाजा, 15 से 16 चेहरे भाजपा से तय करने हैं। विंध्य, बुंदेलखंड और भोपाल संभाग से पार्टी पर दबाव है। ऐसे में कुछ पुराने चेहरे ड्रॉप हो सकते हैं।