छत्तीसगढ़ में मनरेगा मजदूरों को रुपयों की जगह राशन दिया जाए
रायपुर। छत्तीसगढ़ में मनरेगा मजदूरों को काम के बदले जल्द ही राशन मिल सकता है। राज्य सरकार ने लॉकडाउन के दौरान उनकी परेशानियों को देखते हुए यह निर्णय लिया है। इसके लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पत्र लिखकर केंद्रीय ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से अनुमति मांगी है। पत्र में कहा गया है, प्रदेश में बैंक शाखाओं की कमी और इंटरनेट कनेक्टिविटी नहीं होने से उन्हें पैसे निकालने में दिक्कत है।
राज्य के पास पर्याप्त मात्रा में राशन उपलब्ध
मुख्यमंत्री बघेल ने पत्र में लिखा है कि मजदूरी की राशि क्रेडिट होने के बाद उन्हें अपने भोजन जैसी प्राथमिक जरूरतों को पूरा करने के लिए खाते से पैसे निकालने होते हैं, ये प्रदेश में खासकर ग्रामीण इलाकों में बड़ी समस्या है। बैंक शाखाओं की कमी है। इंटरनेट कनेक्टिविटी की भी समस्या है। राज्य में पर्याप्त मात्रा में राशन उपलब्ध है और इसके वितरण की प्रभावी व्यवस्था लागू है।
राज्य में 62.52 लाख लोग मनरेगा पर निर्भर
राज्य में 31.50 लाख परिवारों के 62.52 लाख लोगों की आजीविका मनरेगा पर ही निर्भर है। ऐसी स्थिति में प्रभावी लॉकडाउन और संक्रमण से बचाने के लिए योजना जरूरी है। मुख्यमंत्री ने कहा है, राज्य में कोरोनावायरस से बचाव के साथ मनरेगा के तहत कार्य कराए जा रहे हैं। वर्तमान में करीब 5 लाख मजदूर रोज काम कर रहे हैं।
मनरेगा में रोजगार देने में 4 बड़े राज्यों में शीर्ष पर छत्तीसगढ़
मनरेगा के तहत रोजगार देने के मामले में छत्तीसगढ़ देश के चार बड़े राज्यों में शीर्ष स्थान पर आ गया है। पिछले वित्तीय वर्ष में प्रदेश के लिए 13 करोड़ दिन रोजगार की स्वीकृति मिली थी, इसमें 13 करोड़ 61 लाख 84 हजार 269 दिन रोजगार उपलब्ध कराया गया है। जो कि यह लक्ष्य का 105 प्रतिशत है, इस मामले में केरल, नागालैंड और मेघालय ही छत्तीसगढ़ से आगे है।