सेन्ट्रल पूल में 24 लाख मेट्रिक टन से बढ़ाकर 31.11 लाख मेट्रिक टन चावल लेने का किया अनुरोध
रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने केन्द्रीय खाद्य एवं उपभोक्ता कल्याण मंत्री रामविलास पासवान को पत्र लिखकर खरीफ विपणन वर्ष 2019-20 में छत्तीसगढ़ से भारतीय खाद्य निगम में चावल उपार्जन की मात्रा 24 लाख मेट्रिक टन से बढ़ाकर 31.11 लाख मेट्रिक टन की अनुमति प्रदान करने का अनुरोध किया है। उन्होंने पत्र में लिखा है कि वर्तमान में कोविड-19 वायरस के संक्रमण के कारण उत्पन्न परिस्थितियों में लॉकडाउन से देश के अन्य राज्यों में भी चावल की आवश्यकता उत्पन्न हुई है, जिसके फलस्वरूप भारतीय खाद्य निगम द्वारा माह अप्रैल 2020 में लगभग 92 रेक मूवमेंट के द्वारा अन्य राज्यों में खाद्यान्न परिवहन किया गया है, जिससे राज्य में भारतीय खाद्य निगम के गोदामों में पर्याप्त रिक्त स्थान उपलब्ध है।
भूपेश बघेल ने पत्र में लिखा है कि राष्ट्रव्यापी महामारी के संक्रमण की रोकथाम व इससे बचाव हेतु राज्य सरकार द्वारा पूरी सजगता से समेकित व संवेदनशील प्रयास निरंतर किए जा रहे हैं। कोविड-19 वायरस के प्रसार को रोकने के उद्देश्य से छत्तीसगढ़ राज्य में भी ‘लॉकडाउन’ प्रभावी किया गया, जो अनवरत जारी है। इस लॉकडाउन के दौरान राज्य सरकार द्वारा केन्द्र सरकार से प्राप्त दिशा निर्देशों का पूर्ण पालन सुनिश्चित किया जा रहा है। केन्द्र सरकार की प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना का भी प्रभावी क्रियान्वयन किया जा रहा है, जिससे लोगों को राहत मिली है।
मुख्यमंत्री ने इस वर्तमान परिदृश्य में केन्द्रीय मंत्री पासवान का ध्यान आकर्षित करते हुए लिखा है कि छत्तीसगढ़ प्रदेश में खरीफ विपणन वर्ष (2019-20 में 18.34 लाख किसानों से समर्थन मूल्य पर कुल 83.67 लाख टन धान का उपार्जन किया गया है। प्रदेश में धान उपार्जन एवं कस्टम मिलिंग चावल जमा करने का कार्य राज्य शासन एवं भारत सरकार, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग के मध्य हुए एमओयू के अनुसार किया जाता है। राज्य शासन एवं भारत सरकार खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग के एमओयू के प्रावधानों में समस्त सरप्लस चावल भारतीय खाद्य निगम द्वारा उपार्जन किए जाने का प्रावधान है।
भूपेश बघेल ने खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग भारत सरकार के 19 दिसम्बर 2019 के पत्र का उल्लेख करते हुए लिखा है कि इस पत्र में खरीफ विपणन वर्ष (2019-20 में भारतीय खाद्य निगम में केन्द्रीय पूल अंतर्गत 24.00 लाख टन उसना चावल उपार्जन की अनुमति प्रदान की गई है। प्रदेश में खरीफ विपणन वर्ष (2019-20 में कुल खरीदी 83.67 लाख टन धान से निर्मित होने वाले चावल 56.51 लाख मेट्रिक टन में से राज्य के द्वारा पीडीएस की आवश्यता हेतु 25.40 लाख मेट्रिक टन चावल उपार्जन किया जाएगा (सेन्ट्रल पूल 15.48 लाख मेट्रिक टन, स्टेट पूल 9.92 लाख मेट्रिक टन) एवं शेष 31.11 लाख मेट्रिक टन चावल सरप्लस होगा। इसमें से भारत सरकार द्वारा भारतीय खाद्य निगम में 24 लाख मेट्रिक टन चावल उपार्जन की अनुमति दिए जाने से कुल उपार्जित धान में से 73.20 लाख मेट्रिक टन धान का ही निराकरण संभव हो सकेगा एवं लगभग 10.47 लाख मेट्रिक टन धान (अनुपातिक चावल 7.11 लाख मेट्रिक टन) अनिराकृत स्थिति में रहेगा।
सरप्लस चावल का समुचित निराकरण नहीं होने से राज्य को लगभग 1500 करोड़ रूपए का नुकसान
भूपेश बघेल ने पत्र में लिखा है कि कोरोना वायरस के संक्रमण के कारण उत्पन्न परिस्थितियों में लॉकडाउन से देश के साथ-साथ राज्य की अर्थव्यवस्था पर भी दूरगामी विपरित परिणाम परिलक्षित होंगे। ऐसी स्थिति में यदि राज्य में उपलब्ध सरप्लस चावल का समुचित निराकरण नहीं हो पाता है, तो राज्य को लगभग 1500 करोड़ रूपए की हानि संभावित होगी, जो इन विषम परिस्थितियों में राज्य की आर्थिक विकास की गति पर विपरीत प्रभाव डालेगा। बघेल ने इन परिस्थितियों में केन्द्रीय मंत्री पासवान से खरीफ विपणन वर्ष 2019-20 में छत्तीसगढ़ से भारतीय खाद्य निगम में चावल उपार्जन की मात्रा 24 लाख टन से बढ़ाकर 31.11 लाख टन अनुमति प्रदान करने का आग्रह किया है।