बिलासपुर। राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द की गरिमामयी उपस्थिति में आयोजित सेंट्रल यूनिवर्सिटी का 8 वां दीक्षांत समारोह बेटियो के नाम रहा राष्ट्रपति ने अपने उद्बोधन में बेटियों को दुलार करते हुए उनसे परिवार, समाज व देश निर्माण में महती भूमिका निभाने की अपील की दीक्षांत समारोह में दो स्वर्ण पदक पाने वाली क्विनी यादव को नया नाम देते हुए क्वीन यादव पुकारा महामहिम द्वारा अपने उद्बोधन में बेटियों के विशेष सम्मान से दीक्षांत समारोह तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के शिरकत करने से 8वें दीक्षांत समारोह ऐतिहासिक बन गया, इस अवसर पर 74 उत्कृष्ट विद्यार्थियों को गोल्ड मेडल तथा 75 विद्यार्थियों को पीएचडी की उपाधि प्रदान की। सुबह 11 बजे शुरू हुये इस दीक्षांत समारोह में 9 संकायों के श्रेष्ठ विद्यार्थियों को गोल्ड प्रदान किये गये। विद्यार्थियों के साथ राष्ट्रपति कोविंद ने समूह फोटो भी खिंचाई। इस अवसर पर छत्तीसगढ़ की राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उईके, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, विश्वविद्यालय के कुलाधिपति अशोक मोडक, कुलपति प्रोफेसर अंजिला गुप्ता और कुलसचिव प्रोफेसर शैलेन्द्र कुमार भी मौजूद रहे। दीक्षांत समारोह में 74 विद्यार्थियों को गोल्ड मेडल दिया गया। जिनमें 44 छात्राएं एवं 30 छात्र शामिल रहे। इसी प्रकार 75 विद्यार्थियों को पीएचडी की उपाधि दी गई। जिनमें 49 छात्र और 29 छात्राएं शामिल रही। दीक्षांत समारोह को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने लगभग 13 मिनट तक संबोधित किया और संबोधन से उपस्थित विद्यार्थियों तथा शिक्षकों का उत्साहवर्धन किया।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अपने उद्बोधन में कहा कि बिलासपुर केन्द्रीय विश्वविद्यालय छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध समाज सुधारक और सतनाम पंथ के संस्थापक गुरू घासीदास के नाम पर स्थापित है। गुरूजी के अनुयायियों की की मान्यता के आधार पर सोमवार शुभ माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि सन् 1756 में सोमवार के दिन ही गुरू घासीदास का अवतरण हुआ था और आज केन्द्रीय विश्वविद्यालय के इस दीक्षांत समारोह का दिन भी सोमवार है। राष्ट्रपति ने इस शुभ दिन पर अपनी पढ़ाई पूरी कर दीक्षांत समारोह में शामिल होने वाले सभी छात्र-छात्राओं को बधाई और शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि गुरू घासीदास जी ने हमेशा समाज के कमजोर वर्ग के उत्थान के लिये सदमार्ग सुझाया। गुरू घासीदास ने मनखे मनखे एक समान के आदर्श पर चलकर समाज में मेलजोल, समरसता से रहने और सत्य के मार्ग पर चलने का संदेश दिया है। राष्ट्रपति श्री कोविंद ने कहा कि गुरू घासीदास कहते थे कि सत्य की सेवा ही मनुष्य की करूणा, चैतन्य, प्रेम, संयम तथा चरित्र का प्रतीक होता है। इसीलिये लोगों को सद्चरित्र निर्माण के लिये सतनाम का अनुसरण करना ही चाहिये और सभी धर्मों की अच्छी बातों-आदर्शों का अनुसरण करना चाहिये।
राष्ट्रपति भवन में लगी है गुरू घासीदास की फोटो
अपने उद्बोधन के दौरान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अपने छत्तीसगढ़ के पूर्व प्रवासों को भी याद किया और उनकी स्मृतियां उपस्थित विद्यार्थियों और जनसमुदाय से साझा की। राष्ट्रपति ने कहा कि छत्तीसगढ़ की इस पावन धरा पर पहले भी आया हूं। राष्ट्रपति ने बताया कि वे 6 नवंबर 2017 को गुरू घासीदास की जन्मस्थली गिरौदपुरी धाम भी गये हैं और उन्होंने पवित्र जैतखाम के दर्शन भी किये हैं। राष्ट्रपति ने यह भी बताया कि गुरूजी की एक फोटो पिछले प्रवास के दौरान उन्हें भेंट की गयी थी, जिसे राष्ट्रपति भवन में सम्मान के साथ उचित स्थान पर लगाया गया है। राष्ट्रपति ने कहा कि गुरू घासीदास की यह फोटो उन्हें समरसता के साथ राष्ट्र हित में काम करने की प्रेरणा देती है।
राष्ट्रपति ने छत्तीसगढ़ की विभूतियों को भी किया याद
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने छत्तीसगढ़ को विकास पथ पर अग्रसर करने की सोच लेकर उसका निर्माण और जनकल्याण की भावना से काम करने वाले महान विभूतियों और स्वतंत्रता सेनानियों को भी याद किया। उन्होंने अपने उद्बोधन में छत्तीसगढ़ को जगन्नाथ प्रसाद भानु, माधवराव सप्रे, मुकुटधर पाण्डेय, वीर नारायण सिंह, पदुम लाल पुन्नालाल बक्शी, लोचन प्रसाद पाण्डेय, इंजीनियर राघवेन्द्र राव, रविशंकर शुक्ल, बैरिस्टर छेदीलाल और श्रीमती तीजन बाई की कर्मभूमि बताते हुए उन्हें याद किया।
74 स्वर्ण पदकों में से 44 छात्राओं को, दो पदक पाने वाली क्वीनी बनी क्वीन-
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने विश्वविद्यालय के अष्टम दीक्षांत समारोह में 74 विद्यार्थियों को गोल्ड मेडल और 75 विद्यार्थियों को पीएचडी की उपाधियां प्रदान की। उन्होंने 74 गोल्ड मेडल पाने वाले विद्यार्थियों में 44 छात्राओं के शामिल होने पर खुशी जाहिर की। उपस्थित विद्यार्थियों की हौसला अफजाई करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि एक छात्रा ने दो पदक प्राप्त कर यह सिद्ध कर दिया है कि बेटियां किसी से कम नहीं हैं। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के साथ-साथ पदक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों के पालक भी गौरवान्वित होते हैं। राष्ट्रपति ने विश्वविद्यालय के 9 टॉपर विद्यार्थियों को 10 गोल्ड मेडल प्रदान किये। राष्ट्रपति ने बीएससी आनर्स गणित संकाय की टॉपर कुमारी क्वीनी यादव के गुरू घासीदास स्वर्ण पदक एवं विश्वविद्यालय स्वर्ण पदक से सम्मानित किये जाने पर भी छात्रा को बधाई दी और कहा कि इस छात्रा का नाम उसके माता-पिता ने कुमारी क्वीनी रखा है, परंतु उसने अपने श्रेष्ठ क्षमता प्रदर्शन से दो गोल्ड मेडल जीतकर अपने नाम को चरितार्थ करते हुए क्वीन का दर्जा पा लिया है। राष्ट्रपति के कुमारी क्वीनी को क्वीन संबोधन पर कार्यक्रम में उपस्थित सभी लोगों ने तालियों की गड़गड़ाहट से उसका उत्साहवर्धन किया। राष्ट्रपति ने कहा कि विश्वविद्यालय के परिणामों और मेडल प्राप्त करने में बेटियों की संख्या को देखते हुए यह निश्चित तौर पर कहा जा सकता है कि बेटियां भी अवसर मिलने पर अपना उत्कृष्ट प्रदर्शन कर सकती हैं। उन्होंने इसे नये भारत की नयी तस्वीर बताया और कहा कि इस नयी तस्वीर को हम आज गुरू घासीदास विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में जीवंत होता देख रहे हैं। उन्होंने विद्यार्थियों की इस सफलता का श्रेय उनकी मेहनत के साथ-साथ शिक्षकों और पालकों को भी दिया। राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि शिक्षा का उद्देश्य केवल डिग्री प्राप्त करना नहीं, बल्कि एक अच्छा इंसान बनना होना चाहिये। उन्होंने कहा कि एक अच्छा इंसान अपने व्यक्तिगत, सामाजिक और व्यवसायिक सभी क्षेत्रों में श्रेष्ठ होगा। अच्छा इंसान यदि डॉक्टर बनेगा तो अच्छा डॉक्टर बनेगा, यदि इंजीनियर बनेगा तो अच्छा इंजीनियर बनेगा। राष्ट्रपति ने यह भी कहा कि अच्छा इंसान सामाजिक जीवन में भी अपना श्रेष्ठ देता है। वह अच्छा बेटा, अच्छा भाई, अच्छा पति, अच्छा पिता बनता है तो वही बेटियां अच्छी बेटी, अच्छी बहन और अच्छी पत्नी, अच्छी मां बनकर देश और समाज के विकास में सहभागी होती है। उन्होंने कहा कि विद्या में नैतिक मूल्यों का समावेश बहुत जरूरी है क्योंकि नैतिक मूल्यों के बिना प्राप्त विद्या समाज के लिये कल्याणकारी नहीं हो सकती।