रायपुर। आयकर विभाग द्वारा पिछले चार दिनों से छत्तीसगढ़ में की गई छापेमार कार्यवाही का कुहासा अब छटने लगा है। कार्यवाही पूर्ण होने के बावजूद आयकर विभाग द्वारा इस संबंध में खुलासा नहीं करना यह बताता है यह पूरी कार्यवाही खोदा पहाड़ और निकली चुहिया जैसा ही साबित हुआ है। यह पूरा अभियान सुपर फ्लॉप रहा है। विश्वस्त सूत्रों से पता चला है कि इस पूरी कार्यवाही में बमुश्किल से तीन करोड़ रूपए ही बरामद हुए हैं जिसमें से बड़ी राशि भारतीय जनता पार्टी के एक चहेते सक्रिय कार्यकर्ता के यहां से प्राप्त हुई है। आयकर विभाग की छापेमार कार्यवाही में कुछ नहीं मिलना यह साबित करता है कि यह भूपेश सरकार को अस्थिर करने की सोची-समझी साजिश है। यदि यह सामान्य प्रक्रिया होती तो छापे के चार दिन बाद जब प्रक्रिया पूरी तरह पूर्ण हो गई है, तब भी किसी तरह का खुलासा न किया जाना, न ही प्रेस को किसी तरह की जानकारी देना यह बताता है कि यह पूरा प्रयोजित कार्यक्रम सुपर फ्लाफ रहा है। जबकि विश्वस्त सूत्रों से पता चला है कि इन छापों में सभी घरों से मिलाकार करीब तीन करोड़ रूपए ही बरामद हुआ है और इसमें भी सबसे बड़ी राशि भारतीय जनता पार्टी के सक्रिय कार्यकर्ता के यहां से प्राप्त हुई है। इन छापों में न तो सीबीआई आयी और न ही ईडी और न ही नोटो को गिनने की मशीनें लगायी गई। इन सबको लेकर भी स्थानीय स्तर पर जबदस्त दहशस्त फैलायी गई। इस छापे में सीआरपीएफ के इस्तेमाल को लेकर भी सवाल उठ रहे है कि जिस सीआरपीएफ को प्रदेश में नक्सल आॅपरेशन के लिए रखा गया है उसे राज्य सरकार की अनुमति के बिना कैसे इस अभियान में शामिल किया गया। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सरकार ने जिस तरह से पिछले करीब डेढ़ साल के कार्यकाल में उल्लेखनीय और ऐतिहासिक काम किए हैं और लगातार केन्द्र की नीतियों की आलोचना करते रहे है, जिसे देखते हुए भी उनकी सरकार को अस्थिर करने की यह एक सोची-समझी साजिश दिख रही है।