कलबुर्गी। इरादे बुलंद हों तो कोई भी लक्ष्य पाना असंभव नहीं होता है। इस बात को चरितार्थ किया है कत्ल के एक केस में 14 साल जेल में बिताने वाले सुभाष पाटिल ने। सलाखों में कई साल बिताने वाला सुभाष पाटिल अब एक एमबीबीएस डॉक्टर है। कलबुर्गी के अफजलपुरा में रहने वाले 40 साल के पाटिल को उस समय जेल हो गई थी, जब वह एमबीबीएस कर रहा था। समाचार उसने एक साक्षात्कार में बताया, मैंने 1997 में एमबीबीएस में दाखिला लिया था, लेकिन हत्या के एक केस में मुझे 2002 में जेल हो गई। इसके बाद मैंने जेल के ओपीडी में काम किया और अच्छे आचरण के आधार पर मुझे 2016 में रिहा कर दिया गया। फिर उसके बाद मैंने 2019 में एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी की। पाटिल ने एमबीबीएस की डिग्री के लिए आवश्यक एक साल की इंटर्नशिप इसी महीने पूरी की है। पुलिस ने पाटिल को 2002 में जब गिरफ्तार किया, उस समय वह एमबीबीएस के तीसरे साल में पढ़ रहा था। साल 2006 में कोर्ट ने उसको उम्रकैद की सजा सुनाई, लेकिन जेल में होने के बावजूद उसने डॉक्टर बनने का बचपन के ख्वाब को नहीं छोड़ा। आखिरकार, अच्छे आचरण की वजह से 2016 में स्वतंत्रता दिवस के मौके पर उसे जेल से की सलाखों से आजाद कर दिया गया और अपने अडिग इरादों से उसने डॉक्टर बनने का सपना पूरा कर लिया। इस तरह सुभाष पाटिल ने अपने बुलंद हौंसलों की बदौलत अपने इरादों को पूरा किया और एक मैसेज भी दिया कि यदि आपने अपने सपने पूरे करने की ठान ली है तो आपको आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता है। अपने अधूरे ख्वाब को पूरा करने के लिए सुभाष पाटिल ने एक-दो नहीं पूरे 14 साल तक जेल में इंतजार किया।