नई दिल्ली। कर्नाटक विधानसभा कल तक के लिए स्थगित कर दी गई है। उधर, बीजेपी कर्नाटक चीफ बीएस येदियुप्पा ने कहा- हम रातभर विधानसभा के अंदर प्रदर्शन करेंगे। संसदीय लोकतंत्र में ऐसा पहली बार होगा। जब तक विश्वासमत नहीं हो जाता, तब तक हम सदन के अंदर ही रहेंगे। इससे पहले, कर्नाटक विधानसभा के स्पीकर रमेश कुमार ने गुरुवार शाम कहा कि राज्यपाल वजुभाई वाला ने उन्हें दिन के अंत तक विश्वास मत की प्रक्रिया पूरी करने को कहा है। स्पीकर से राज्यपाल ने कहा कि विश्वास प्रस्ताव सदन में विचाराधीन है। मुख्यमंत्री से हर समय सदन का विश्वास बनाए रखने की अपेक्षा की जाती है। दिन के अंत तक विश्वास मत पर विचार करें। इससे पहले कांग्रेस ने मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी द्वारा लाए गए विश्वास प्रस्ताव को टालने की मांग करते हुए कहा कि प्रदेश के सियासी संकट को लेकर उच्चतम न्यायालय के फैसले को देखते हुए विधानसभा अध्यक्ष जब तक व्हिप के मुद्दे पर फैसला नहीं कर लेते तब तक के लिये इसे अमल में न लाया जाए। कांग्रेस विधायक दल के नेता सिद्धरमैया ने कहा कि मुंबई में ठहरे 15 बागी विधायक उच्चतम न्यायालय के आदेश से प्रभावित हैं कि वे विधानसभा की कार्रवाई से दूर रह सकते हैं और विधानसभाध्यक्ष के आर रमेश से कहा कि वे कांग्रेस विधायक दल के नेता के तौर पर जारी व्हिप के भविष्य को लेकर कोई फैसला दें। सदन में विश्वास मत पर जैसे ही चर्चा शुरू हुई सिद्धरमैया ने अध्यक्ष से कहा, अगर यह प्रस्ताव लिया जाता है तो यह संवैधानिक नहीं होगा। यह संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन करता है। मैं आपसे इसे टालने का अनुरोध करता हूं। मैं इस व्यवस्था के विषय पर आपका फैसला चाहता हूं। सिद्धरमैया ने कहा कि अगर प्रस्ताव को आगे बढ़ाया जाता है तो इसका राज्य में संवैधानिक रूप से बनी सरकार पर असर होगा क्योंकि विश्वास मत के दौरान 15 विधायक सदन की कार्यवाही में हिस्सा नहीं ले रहे हैं। अध्यक्ष ने कहा कि वह महाधिवक्ता से परामर्श करेंगे और सदन की कार्रवाई को भोजनावकाश के लिये स्थगित कर दिया। सिद्धरमैया ने कहा, यह (अदालत का आदेश) संविधान (दल बदल निरोधक कानून) की 10वीं अनुसूची के तहत व्हिप जारी करने के मेरे अधिकार में दखलंदाजी है। उन्होंने कहा, वे (बागी विधायक) उच्चतम न्यायालय के आदेश से प्रभावित हैं। अगर मैं व्हिप भी जारी करूं तो वो इस आदेश की वजह से नहीं आएंगे। उन्होंने यह भी कहा कि उनके पास दो विकल्प हैं। पहला उच्चतम न्यायालय जाकर विधायक दल के नेता द्वारा जारी व्हिप की स्थिति पर स्पष्टीकरण लेना। दूसरा, अध्यक्ष से अनुरोध करना कि व्हिप पर फैसला लेने तक विश्वास मत के प्रस्ताव को टाल दें।