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अमित शाह ने कहा, जम्मू कश्मीर और भारत की आवाम के बीच एक खाई पैदा की गई क्योंकि पहले से ही भरोसा बनाने की कोशिश ही नहीं की गई

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नई दिल्ली। गृहमंत्री अमित शाह ने लोकसभा में कांग्रेस पर तीखा हमला बोला है उन्होंने कहा है कि देश के विभाजन की गलती किसने की थी। जम्मू-कश्मीर के मुद्दे पर जारी चर्चा का जवाब देते हुए कहा हमने आतंक के खिलाफ घर में घुसकर सफाया किया है, उन्होंने कहा कि देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की कश्मीर नीति पर सवाल उठाते हुए कहा कि जब हमारी सेना पाकिस्तान से आए काबायिलों को कश्मीर से खदेड़ रही थी तो युद्ध विराम की घोषणा किसने की थी, उन्होंने आरोप लगाया कि तत्कालीन प्रधानमंत्री ने देश के गृहमंत्री सरदार पटेल को भी भरोसे में नहीं लिया था, उन्होंने कहा कि जूनागढ़ और हैदराबाद में भी ऐसी ही समस्या थी लेकिन उसे पटेल जी ने हल कर लिया था, लेकिन कश्मीर की जिम्मेदारी पंडित नेहरू के हाथों थी। उनके इस बयान पर सदन में काफी देर तक हंगामा जारी रहा। अमित शाह ने कहा वह मानते हैं कि जम्मू-कश्मीर की आवाम के बीच खाई है, इससे पहले अमित शाह ने कहा कि इससे पहले जम्मू-कश्मीर में भारत के खिलाफ बयान देने वालों की सुरक्षा दे दी जाती थी, हमारी सरकार ने ऐसे 919 लोगों की सुरक्षा वापस ले ली गई है। अमित शाह ने कहा जम्मू-कश्मीर की समस्या बीजेपी ने नहीं खड़ी की है, जम्मू-कश्मीर में लोकतंत्र का मजाक उड़ाया गया। श्यामा प्रसाद मुखर्जी की संदेहास्पद मौत हुई थी। अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर में चुनाव अटल बिहारी वाजपेयी जी ने कराया था, चुनाव हमारे शासन में हुए थे, अमित शाह ने कांग्रेस नेताओं पर तंज कसते हुए कहा कि इतिहास की बात करोगे तो आपको ही डांट सुननी पड़ेगी। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस ने शंका के बीज बोए जो आज पेड़ बन चुका है, अमित शाह ने कहा जिनके मन में भारत का विरोध है उनके मन में डर पैदा होना ही चाहिए हम टुकड़े-टुकड़े गैंग के मेंबर नहीं हैं। 23 जून 1953 को जब श्यामा प्रसाद मुखर्जी जम्मू कश्मीर के संविधान का, परमिट प्रथा का और देश में दो प्रधानमंत्री का विरोध करते हुए जम्मू कश्मीर गए तो उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और वहां उनकी संदेहास्पद मृत्यु हो गई। श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी की मृत्यु की जांच होनी चाहिए या नहीं, क्योकि मुखर्जी जी विपक्ष के नेता थे, देश के और बंगाल के नेता थे। आज बंगाल अगर देश का हिस्सा है तो इसमें मुखर्जी जी का बहुत बड़ा योगदान है। जम्मू-कश्मीर में चुनाव आयोग जब भी तय करेगा तब लोकत्रांतिक तरीके से चुनाव कराए जाएंगे, केंद्र सरकार का उसमें कोई हस्तक्षेप नहीं होगा। जम्मू-कश्मीर की आवाम के मन डर नहीं होना चाहिए, जो देश को तोड़ना चाहते हैं उनके मन में डर होना चाहिए। जम्मू कश्मीर की आवाम को हम अपना मानते हैं, उन्हें अपने गले लगाना चाहते हैं, लेकिन उसमें पहले से ही जो शंका का पर्दा डाला गया है, वो इसमें समस्या पैदा कर रहा हैं। आज तक पंचायतों को पंच और सरपंच चुनने का अधिकार ही नहीं दिया गया था, सिर्फ 3 ही परिवार इतने साल तक कश्मीर में शासन करते रहे। ग्राम पंचायत, तहसील पंचायत, नगर पंचायत सब का शासन वही करें और सरकार भी वही चलाएं. ऐसा क्यों, क्या जम्मू-कश्मीर भारत का हिस्सा नहीं हैं। कश्मीर में हुए पंचायत चुनाव हो या अभी हुए लोकसभा चुनाव एक खून का कतरा भी कश्मीर में जमीन पर नहीं गिरा और आप कह रहे हैं कि कंट्रोल नहीं है, कंट्रोल है बस देखने का नजरिया अलग-अलग हैं। घाटी के अंदर 6 हजार ट्रांजिट आवासों का निर्माण कश्मीरी पंडितों के लिए हमने शुरू किया हैं। आपको बता दें कि गृहमंत्री अमित शाह ने लोकसभा में शुक्रवार को जम्मू कश्मीर आरक्षण संशोधन विधेयक 2019 पेश किया और राज्य में राष्ट्रपति शासन 6 महीने के लिए बढ़ाने का प्रस्ताव दिया. लोकसभा में प्रस्ताव पेश करते हुए अमित शाह ने कहा कि इस साल के अंत तक राज्य में चुनाव संभव हैं। गृह मंत्री ने कहा कि रमजान का पवित्र महीना था, अब अमरनाथ यात्रा होनी है, इस वजह से चुनाव कराने इस दौरान मुमकिन नहीं था। इस साल के अंत में चुनाव कराने का फैसला लिया गया। अमित शाह ने इंटरनेशनल बॉर्डर पर रहने वाले लोगों को भी आरक्षण देने का प्रस्ताव लोकसभा में रखा, कांग्रेस ने राष्ट्रपति शासन की अवधि बढ़ाने का विरोध किया हैं।