दंतेवाड़ा में रहे आदिवासियों के आंदोलन पर सीएम भूपेश बघेल ने एक बड़ा बयान दिया है। दंतेवाड़ा जिले के बैलाडीला के नंदीराज पहाड़ों पर लौह अयस्क उत्खनन के विरोध में शुक्रवार से ही आदिवासियों का आंदोलन जारी है। आदिवासियों के खदान विरोधी संघर्ष के तहत शुक्रवार को हजारों की संख्या में आंदोलनकारी किरंदुल में जमा हुए और एनएमडीसी चेकपोस्ट का घेरवा कर लिया। आदिवासियों का ये आंदोलन शनिवार को भी जारी है। इस प्रदर्शन के कारण एनएमडीसी का उत्पादन पूरी तरह प्रभावित हो गया है। आदिवासियों के इस आंदोलन को राजनीतिक दलए ट्रेड यूनियन और कर्मचारी संगठन का साथ मिलने की बात भी कही जा रही है। अब इस पूरे मामले में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का एक बड़ा बयान सामने आया है। मीडिया से चर्चा करते हुए सीएम बघेल ने कहा कि बेलाडीला में अयस्क खनन की सारी प्रक्रिया पिछली सरकार ने किया है। अब इस बात की समीक्षा करनी होगी कि आखिरकार लोगों को बिना विश्वास में लिए पिछली सरकार ने इतना बड़ा निर्णय कैसे ले लिया। पूरी प्रक्रिया की पड़ताल करने की जरूरत है। दरअसल दंतेवाड़ा के बैलाडीला पर्वत श्रृंखला के नंदाराज पहाड़ पर स्थित एनएमडीसी की डिपॉजिट-13 नंबर खदान को अडानी की कंपनी को दिए जाने के बाद होने वाले खनन का विरोध आदिवासियों ने शुरू कर दिया है। नंदाराज पहाड़ को बचाने के लिए सर्व ग्राम पंचायत ने आंदोलन की तैयारी की है। जन संघर्ष समिति के बैनर तले आदिवासी एनएमडीसी का घेराव कर रहे है। डिपॉजिट 13 के निजीकरण का शुरू से विरोध कर रहे ट्रेड यूनियन भी आंदोलन के समर्थन में हैं। मिली जानकारी के मुताबिक अडानी ग्रुप ने सितंबर 2018 को बैलाडीला आयरन ओर माइनिंग प्राइवेट लिमिटेड यानी बीआईओएमपीएल नाम की कंपनी बनाई और दिसंबर 2018 को केन्द्र सरकार ने इस कंपनी को बैलाडीला में खनन के लिए 25 साल के लिए लीज दे दी। बैलाडीला के डिपॉजिट 13 में 315.813 हेक्टेयर रकबे में लौह अयस्क खनन के लिए वन विभाग ने वर्ष 2015 में पर्यावरण क्लियरेंस दिया है। जिस पर एनएमडीसी और राज्य सरकार की सीएमडीसी को संयुक्त रूप से उत्खनन करना था। लेकिन बाद में इसे निजी कंपनी अडानी इंटरप्राइजेस लिमिटेड को 25 साल के लिए लीज हस्तांतरित कर दिया गया।