प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नवगठित कैबिनेट में शामिल सबसे दमदार आदिवासी चेहरा अर्जुन मुंडा हैं। झारखंड के तीन बार मुख्यमंत्री रहे अर्जुन मुंडा ने कैबिनेट मंत्री बनने पर अपनी पहली प्रतिक्रिया में कहा, मैं प्रधानमंत्री जी का आभारी हूं कि उन्होंने अपने साथ काम करने का अवसर दिया। झारखण्ड चुनाव पर भी बात करने का मौका आएगा उसपर भी बात करूंगा, फिलहाल मैं प्रधानमंत्री जी का आभार व्यक्त करता हूं। मुंडा ने खूंटी लोकसभा क्षेत्र से चुनाव जीता है, उन्होंने कांग्रेस के कालीचरण मुंडा को कड़े मुकाबले में 1445 मतों से हराया है। अर्जुन मुंडा को 381193 वोट मिले जबकि उनके प्रतिद्वंदी कालीचरण मुंडा को 381193 वोट मिले। अर्जुन मुंडा के सामने बीजेपी के दिग्गज करिया मुंडा की विरासत को बचाने की बड़ी चुनौती थी। खूंटी लोकसभा सीट से करिया मुंडा आठ बार सांसद रहे। लेकिन, इस बार बीजेपी ने उनके बदले अर्जुन मुंडा को यहां से मैदान में उतारा। जमशेदपुर के घोड़ाबांधा में 5 जून 1968 को जन्मे अर्जुन मुंडा झारखंड के तीन बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं। मध्यमवर्गीय परिवार से आने वाले मुंडा बिहार और झारखंड विधानसभा में खरसांवा का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। 2009 में जमशेदपुर लोकसभा क्षेत्र से सांसद चुने गए थे। बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव रह चुके हैं। अर्जुन मुंडा का राजनीतिक जीवन 1980 से शुरू हुआ। उस वक्त अलग झारखंड आंदोलन का दौर था। अर्जुन मुंडा ने राजनीतिक पारी की शुरूआत झारखंड मुक्ति मोर्चा से की। झारखंड आंदोलन में सक्रिय रहते हुए उन्होंने जनजातीय समुदायों और समाज के पिछड़े तबकों के उत्थान की कोशिश की। 1995 में वह जेएमएम उम्मीदवार के तौर पर खरसावां से चुनाव जीतकर बिहार विधानसभा पहुंचे थे। इसके बाद मुंडा बीजेपी में शामिल हो गए। 2000 और 2005 में वह बीजेपी के टिकट पर खरसावां से विधायक बने थे। वर्ष 2000 में झारखंड अलग राज्य बनने के बाद अर्जुन मुंडा, बाबूलाल मरांडी सरकार में समाज कल्याण मंत्री बने। वर्ष 2003 में विरोध के कारण बाबूलाल मरांडी को सीएम पद से हटना पड़ा। 18 मार्च 2003 को अर्जुन मुंडा झारखंड के दूसरे मुख्यमंत्री बने। इसके बाद 12 मार्च 2005 को उन्होंने दोबारा सीएम पद की शपथ ली पर निर्दलीय विधायकों का समर्थन नहीं जुटा पाने के कारण उन्हें 14 मार्च 2006 को त्यागपत्र देना पड़ा।