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पेट की गैस से बचने के उपाय

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पेट में गैस बनने के कई कारण हो सकते है,ं जैसे ज्यादा भोजन करना, ज्यादा देर तक भूखा रहना, तीखा या चटपटा भोजन करना आदि। कई बार लगातार काफी-काफी देर तक बैठे रहने से भी गैस की समस्या सताती है। खासकर कामकाजी लोगों में यह समस्या अधिक दिखती है, कामकाजी लोगों में गैस की समस्या लगातार बढ़ रही है, खासकर उन लोगों में, जिन्हें अपने काम के सिलसिले में लगातार कई.कई घंटे बैठे रहना पड़ता है। हम दफ्तरों में अकसर देखते हैं कि कितने ही लोग, चाहे भारी या हल्के शरीर के हों, पेट की गैस से परेशान रहते हैं। भले ही यह एक बेहद आम बीमारी है, लेकिन समय रहते सावधानी न बरती जाए, तो यह एक दिन बड़ी बीमारी का भी रूप ले सकती है। दफ्तरों में काम करने वाले लोगों में गैस की समस्या ज्यादा बढ़ने की जिम्मेदार है आज की बेढंग जीवनशैली, जिसमें तनाव भी बड़ा कारण है। इन कारणों से शरीर में जरूरी पाचक रसों का स्राव कम हो जाता है, जिससे अपच की समस्या जन्म लेती है। इस अपच के कारण ही पेट में गैस बनती है। आइए जानने की कोशिश करते हैं कि कामकाजी लोग गैस की तकलीफ से आराम कैसे पा सकते हैं। बैठे-बैठे काम करने से पेट का आकार बढ़ने लगता है। सामान्य तौर पर खाना खाने के बाद तुरंत बैठ जाने से आपका वजन बढ़ने लगता है। यह समस्या तब आती है, जब छोटी आंत के अंदर गैस भर जाती है। इसका सीधा संकेत पाचन क्रिया में गड़बड़ी भी है। वैसे तो इसे आम समस्या मानते हैं, लेकिन नजरअंदाज करने पर यह बीमारी गंभीर भी बन सकती है। दवाओं का अधिक सेवन के साथ-साथ और भी बहुत से कारण हैं, जिनकी वजह से आपका वजन बढ़ सकता है। इससे सेहत पर बहुत बुरा असर पड़ता है, लिहाजा इससे छुटकारा पाने के लिए सही लक्षणों को पहचानना बहुत जरूरी है। लगातार कई घंटे तक न बैठें, हर एक घंटे में कुछ मिनट का ब्रेक लें। इससे आपके शरीर का पाचन तंत्र मजबूत रहेगा। अकसर दफ्तरों में लोगों को लगातार कम्प्यूटर के सामने बैठना पड़ता है। कम्प्यूटर पर लगातार काम करना न सिर्फ आपकी आंखो, बल्कि कंधों, रीढ़, पीठ और गर्दन को भी हानि पहुंचाता हैए बल्कि यह आपके पेट में गैस की समस्या को भी बढ़ाता है। पांच मिनट के छोटे से ब्रेक से ही आंखों को काफी आराम मिल सकता है। खाना खाने के तुरंत बाद आकर सीट पर मत बैठ जाएं, थोड़ा टहल के आएं। अगर समय कम है, तो सीढ़ियों से ही एक दो बार ऊपर नीचे उतर और चढ़ लें। ये छोटा सा व्यायाम आपके रक्त में आॅक्सीजन का स्तर बढ़ाएगा, जिससे आपमें ऊर्जा का स्तर बढ़ेगा और आपको नींद नहीं आएगी। दोपहर के खाने के बाद अक्सर होता है कि हम में से अधिकतर लोगों को नींद आने लगती है। ये दिक्कत कामकाजी लोगों के साथ ज्यादा होती है, क्योंकि लंच में ओवरर्ईंटग हो जाती है या सोडियम वाले खाद्य पदार्थ का अधिक सेवन हो जाता है। उससे न सिर्फ नींद आती है, बल्कि पेट में गैस की समस्या भी हो जाती है। भोजन करने के बाद एक गिलास नीबू पानी पी लें या एक छोटे टिफिन बॉक्स में थोड़ा पपीता काट कर ले जाएं और इसे खाने के बाद खा लें। इससे भी गैस नहीं बनेगी। जूस और सोड़ा ड्रिक्स की जगह नीबू पानी पिएं, तो यह और ज्यादा फायदेमंद होता है। नीबू पानी से मेटाबॉलिज्म अच्छा रहता है, जिससे वजन घटाने में भी मदद मिलती है। सुबह उठकर एक गिलास नीबू पानी पीने से शरीर की सफाई हो जाती है। नीबू पानी में ज्यादा मात्रा में पानी ही होता है, इसलिए शरीर में काफी हद तक पानी की जरूरी मात्रा बनी रहती है। तेल-मसाले वाले या पेट में गैस बनाने वाले आहार ज्यादा मात्रा में खा लेते हैं, तो लंबे वक्त तक बैठे रहने के कारण पेट फूलने लगता है। इससे बचने के लिए आप खाना खाने से एक या दो घंटे पहले ग्रीन-टी का सेवन करें। ग्रीन-टी में शहद मिलाकर पिएं। ग्रीन-टी से पेट की पाचन शक्ति ठीक रहती है और शहद से पेट की चर्बी जल्दी कम होती है। दिन में 2-3 कप ग्रीन-टी ही पिएं, ज्यादा नहीं। नारियल पानी पिएं, क्योंकि यह गैस की समस्या में काफी प्रभावकारी है।अदरक को अपने भोजन में शामिल करें। खाना खाने के बाद अदरक के टुकड़ों को नीबू के रस में डुबो कर खाएं। लहसुन की तीन कलियों और अदरक के कुछ टुकड़ों को सुबह खाली पेट खाएं।टमाटर का सेवन प्रतिदिन करें। अगर टमाटर में सेंधा नमक मिला लेंए तो ज्यादा प्रभावकारी रहेगा।इलायची के पाउडर को एक गिलास पानी में उबालें और गुनगुना कर खाने से पहले पिएं। हींग को थोड़े से पानी के साथ मिलाएं और पेस्ट बना लें। इसे पेट पर रगड़ें और 10-15 मिनट के लिए छोड़ दें। पुदीने के पानी को एक बोतल में भर लें और दिन में तीन-चार बार में पिएं।अगर पेट में गैस बनने से बेचैनी हो रही हो, तो लेट जाएं और सिर को थोड़ा ऊंचा कर लें। इस स्थिति में थोड़ी देर आराम करें, जब तक कि बेचैनी खत्म न हो जाए।पेट में हल्की जलन होने से लेकर तेज दर्द तक गैस के लक्षण हो सकते हैं। हालांकि, हल्की जलन को अनदेखा किया जा सकता है, लेकिन दर्द को बर्दाश्त करना मुश्किल हो जाता है।