बीजिंग नई दिल्ली
भारत और चीन को विदेश नीति के मामले में नसीहत देना यूक्रेन को भारी पड़ गया है। ड्रैगन ने पूछा है कि आखिर आपने ऐसी बात क्यों कही, इसका हमें जवाब दो। यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की के सलाहकार मिखाइलो पोडोल्याक ने कहा था कि भारत और चीन ने रूस के हमले को लेकर जो रुख दिया है, वह गलत है। दोनों देशों को शायद अंदाजा नहीं है कि इस संघर्ष में उन्होंने जो कदम उठाए हैं, उसके क्या नतीजे होंगे। मिखाइलो ने कहा था, 'आखिर भारत और चीन के साथ गलत क्या है। दुर्भाग्य से इन देशों की बौद्धिक क्षमता कम ही है।'
यही नहीं चंद्रयान मिशन का मजाक बनाते हुए यूक्रेनी राष्ट्रपति के सलाहकार ने कहा, 'सही है कि भारत ने साइंस में निवेश किया है। भारत ने चांद पर अपना यान भेजा है, लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि भारत आधुनिक दुनिया के मूल्यों के हिसाब से खुद को पूरी तरह ढाल चुका है।' मिखाइलो ने एक टीवी इंटरव्यू में ये बातें कही थीं, जिसका एक हिस्सा सोशल मीडिया पर शेयर हो रहा है। हालांकि उनके बयान से यूक्रेन सरकार ने पल्ला झाड़ लिया है। भारत स्थित यूक्रेन दूतावास ने कहा कि मिखाइलो का बयान पूरी तरह से निजी है।
दूतावास ने कहा कि भारत को लेकर मिखाइलो ने जो भी कहा है, वह उनका निजी बयान है। यूक्रेन सरकार का इससे कोई लेना-देना नहीं है। भारत ने यूक्रेनी सलाहकार के बयान पर कोई रिएक्शन भी नहीं दिया था, लेकिन चीन ने जरूर सफाई मांग ली है। बता दें कि भारत और चीन की ओर से संयुक्त राष्ट्र में भी रूस का बचाव किया जाता रहा है। यही नहीं जी-20 समिट में भी रूस के खिलाफ सख्त भाषा का इस्तेमाल नहीं किया गया। इसे लेकर यूक्रेन ने कहा था कि यह निराश करने वाला है।
कैसे जी-20 वाले प्रस्ताव से और चिढ़ गया यूक्रेन
माना जाता है कि भारत, ब्राजील और साउथ अफ्रीका की सलाह पर ही जी-20 के साझा बयान में रूस को हमले का जिम्मेदार नहीं बताया गया है। यही नहीं इसे 'यूक्रेन में युद्ध' कहा गया। इसे लेकर पश्चिमी देशों में भी अब चर्चा हो रही है कि रूस के खिलाफ नरमी वाला प्रस्ताव भारत और अन्य देशों ने मनवा लिया। वहीं रूस इस प्रस्ताव को लेकर खुश है और उसका कहना है यह तो उसके दिल की बात ही कही गई है।