Home देश जब तिरंगे में लिपटे पिता को देख रही थी 2 महीने की...

जब तिरंगे में लिपटे पिता को देख रही थी 2 महीने की मासूम, कहानी अनंतनाग के वीर शहीदों की

2

नई दिल्ली
 जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले में आतंकवादियों से दो-दो हाथ करते हुए भारत की तीन वीर शहीद हो गए। खास बात है कि ये तीनों शादीशुदा थे। किसी का मासूम बच्चा घर पर पिता का इंतजार कर रहा था, तो एक घर में हाल ही में रक्षाबंधन पर बहनों ने अपने इकलौते भाई को याद किया था। आलम यह है कि एक शहीद के घर पर अभी पत्नी को जानकारी तक नहीं दी गई है। फिलहाल, इलाके में सुरक्षाबलों की कार्रवाई जारी है। दहशतगर्दों के खिलाफ एक्शन में सेना के दो अधिकारी कर्नल मनप्रीत सिंह, बटालियान कमाडंर मेजर आशीष धोनैक और डीएसपी हुमायूं भट्ट शहीद हुए हैं। अब जानते हैं इनके निजी जीवन के बारे में।

कर्नल मनप्रीत की पत्नी को पति की शहादत के बारे में नहीं बताया
आतंकियों के खिलाफ चलाए जा रहे ऑपरेशन के लीडर कर्नल मनप्रीत सिंह थे। वह सेना की राष्ट्रीय राइफल्स यूनिट के कमांडिंग ऑफिसर भी थे। खास बात है कि अब तक पेशे से शिक्षिका उनकी पत्नी जगमीत कौर के पति की शहादत की जानकारी नहीं दी गई है। उन्हें बताया गया है कि मनप्रीत घायल हुए हैं। उनके घर पर एक 6 साल का बेटा और 2 साल की मासूम बेटी है। सभी फिलहाल, अपने नाना-नानी के घर पर हैं। कर्नल मनप्रीत पंचकूला के सेक्टर 26 के रहने वाले थे।

तीन बहनों से छिन गया इकलौता भाई
मेजर आशीष धोनैक तीन बहनों के बीच इकलौते भाई थे। उन्हें इस साल ही सेना मेडल से सम्मानित किया गया था। 2 साल पहले ही वह पोस्टिंग पर मेरठ से जम्मू आए थे। हरियाणा के पानीपत जिले के रहने वाले मेजर धोनैक के घर पर एक 2 साल की बेटी भी है। फिलहाल, उनका पूरा पानीपत के सेक्टर-7 में रहता है।

खून बह गया, लेकिन हुमायूं भट्ट का हौसला नहीं टूटा
पिता IG पद से रिटायर हुए, दो महीने की बेटी, प्रोफेसर पत्नी। ऐसा है अनंतनाग में शहीद होने वाले डीएसपी हुमायूं भट्ट का परिवार, जिन्हें घायल होने के बाद ज्यादा खून बह जाने के चलते जान गंवानी पड़ी। पुलवामा जिले का यह परिवार हुमहामा इलाके की एक कॉलोनी में रहता है। बुधवार शाम भट्ट का शव तिरंगे में लिपटा हुआ जब घर पहुंचा, तो पत्नी अपनी बेटी को गोद में लिए हुए थीं और भट्ट की शहादत पर गर्व कर रहीं थीं। खबर है कि बड़ी संख्या में लोग उनके जनाजे में शामिल हुए और देर रात उन्हें सुपुर्द-ए-खाक कर दिया गया।