लुधियाना(विक्की)
पंजाब के शिक्षा विभाग में कार्यरत अधिकारियों और कर्मचारियों के विदेश जाकर बसने के सपने को बड़ा झटका लग सकता है। पंजाब सरकार द्वारा उन अधिकारियों अथवा कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई करने की दिशा में कदम बढ़ाए गए हैं, जो अधिकारी/कर्मचारी पी.आर. लेकर विदेश में रह रहे हैं अथवा पी.आर. का जुगाड़ करने में लगे हैं। पंजाब सरकार ने उन टीचरों की स्थिति की जांच शुरू की है जो विदेश पी.आर. हो चुके हैं अथवा बिना छुट्टी मंजूर करवाए अपनी ड्यूटी छोड़कर विदेश में रह रहे हैं। स्कूल शिक्षा विभाग ने ऐसे अधिकारियों और कर्मचारी के संबंध में जानकारी इकट्ठा करने के लिए सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को एक निर्देश जारी किए हैं।
जानकारी के अनुसार ऐसे सैंकड़ों सरकारी अधिकारियों /कर्मचारियों के नाम सामने आने लगे हैं, जिनमें से कई विदेशी परमानैंट रैजिडैंस (पी.आर.) का प्रबंध कर रहे हैं अथवा कर चुके हैं। इनमें से कई अधिकारी कर्मचारी बिना छुट्टी लिए विदेश जा रहे हैं और विदेश जाकर काम करते हुए वहां के सिस्टम के अनुसार टैक्स रिटर्न भी भर रहे हैं। इसलिए पंजाब सरकार द्वारा सभी विभागों के अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि उनके विभाग और उनके अंतर्गत आते संस्थानों के अधिकारियों/कर्मचारियों द्वारा विदेश में पी.आर. प्राप्त करने और बिना छुट्टी लिए विदेश जाकर रहने के बारे में तुरंत कार्रवाई की जाए और इस संबंधी रिपोर्ट हर हालत में मुख्य कार्यालय को भेजी जाए। जिसके लिए पंजाब के स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा भी कार्यवाही शुरू कर दी गई है।
विद्यार्थियों की पढ़ाई होती है प्रभावित
ऐसे अध्यापकों की गैर हाजिरी से जहां स्कूलों में विद्यार्थियों की पढ़ाई का नुकसान होता है, लम्बे समय तक किसी विषय अध्यापक के विदेश में रहने का खमियाजा विद्यार्थियों को भुगतना पड़ता है। ऐसे में पद खाली ना होने की वजह से वहां पर नई नियुक्ति भी नहीं की जा सकती। वहीं कार्यालय के कामकाज पर भी बुरा असर पड़ता है इसके साथ ही सरकार के खजाने पर भी अनावश्यक वित्तीय बोझ पड़ता है। क्योंकि ऐसे कर्मचारियों को कई बार बिना काम किए ही पिछले वेतन और पेंशनरी लाभ आदि देने पड़ते हैं।
अकाली सरकार के समय हुई थी बड़ी कार्यवाही
अकली सरकार के समय शिक्षा मंत्री डॉ. दलजीत सिंह चीमा के रहते ऐसे कई अध्यापकों को टर्मिनेशन का सामना करना पड़ा था जो अपनी अध्यापन ड्यूटी छोड़ कर विदेशों में जा कर रह रहे थे। उस समय लगभग 1 हजार अध्यापकों के खिलाफ ऐसी कार्यवाही की गई थी, जिसके बाद खली हुए पदों पर नई भर्ती करते हुए नौजवानों को रोज़गार दिया गया था। अब वर्तमान पंजाब सरकार द्वारा उठाए गए इस कदम के बाद यह देखना बाकी है कि कितने अधिकारियों और कर्मचारियों को ऐसा करने के लिए विभागीय कार्यवाही और इसके परिणामों का सामना करना पड़ेगा।