नईदिल्ली
भारत की अध्यक्षता में हुए जी20 शिखर सम्मेलन से जुड़ी एक तस्वीर इस वक्त काफी वायरल है. ये कूटनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बनी हुई है. इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान (MBS) और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन नजर आ रहे हैं. जब क्राउन प्रिंस और बाइडेन ने हाथ मिलाया, तभी पीएम मोदी ने दोनों का हाथ थाम लिया. तीनों नेताओं की इस तस्वीर के कई मायने निकाले जाने लगे. लेकिन जो बात सबसे ज्यादा समझ आई, वो है पीएम मोदी और क्राउन प्रिंस के बीच बढ़ती नजदीकियां. इसका असर दुनिया के कई मंचों पर देखने को मिला है.
जी20 शिखर सम्मेलन का सफल आयोजन नई दिल्ली में हुआ. इसमें शामिल नेता वापस लौट चुके हैं लेकिन सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस अब भी दिल्ली में हैं. इसके पीछे का कारण ये है कि वो भारत के राजकीय दौरे पर हैं. सोमवार को वो पीएम मोदी के साथ हैदराबाद हाउस में द्विपक्षीय वार्ता कर रहे हैं. उनका राष्ट्रपति भवन में भी औपचारिक स्वागत किया गया. यहां पीएम मोदी ने उन्हें गले से लगा लिया. जब से नरेंद्र मोदी भारत के प्रधानमंत्री बने हैं, तभी से खाड़ी देशों के साथ भारत के रिश्तों को मजबूत करने पर काफी जोर दिया गया है. इनमें सऊदी अरब सबसे अहम भूमिका में हैं.
तस्वीर से कौन सी राहत मिली?
हाल के समय में ऐसा लग रहा था कि सऊदी अरब चीन के पाले में जा रहा है. खासतौर पर तब से जब उसने ईरान के साथ उसकी दोस्ती कराई. मिडिल ईस्ट में चीन के बढ़ते दखल ने इस चिंता और बढ़ा दिया. दूसरी तरफ अमेरिका में जब से जो बाइडेन राष्ट्रपति बने हैं, तभी से उसके सऊदी के साथ रिश्ते बिगड़ने लगे थे.
बाइडेन ने अपने चुनावी अभियान में क्राउन प्रिंस को पत्रकार जमाल खशोगी की हत्या के लिए कई बार जिम्मेदार ठहराया. फिर यमन युद्ध में भी अमेरिका ने सऊदी को अकेला छोड़ दिया. ऐसे में अब इस तस्वीर ने एक साथ कई संकेत दिए हैं. साथ ही ‘इंडिया-मिडिल ईस्ट-यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर’ ने भी साबित कर दिया है कि सऊदी अरब अब भी अमेरिका और भारत के करीब रहना चाहता है. ऐसे में चीन से जुड़ी चिंताएं थोड़ी कम हो गई हैं.
मिडिल ईस्ट में सऊदी अरब एक बड़ी ताकत है. इसका इस्लामिक देशों पर खासा प्रभाव है. भारत के इसके साथ द्विपक्षीय रिश्ते पर एक नजर डाल लेते हैं. भारतीय विदेश मंत्रालय (MEA) के अनुसार-
सऊदी अरब और भारत का रिश्ता
- 1947: राजनयिक संबंधों की स्थापना हुई.
- 2010: संबंध रणनीतिक साझेदारी तक पहुंचे.
- 2016 (अप्रैल): प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को रियाद में सऊदी अरब के सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'किंग अब्दुलअजीज सैश' से सम्मानित किया गया.
- 2019 (फरवरी): क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान भारत दौरे पर आए.
- 2019 (अक्टूबर): प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सऊदी अरब का दौरा किया, रणनीतिक साझेदारी परिषद समझौते (Strategic Partnership Council Agreement) पर हस्ताक्षर किए गए.
- 2023: रणनीतिक साझेदारी परिषद (Strategic Partnership Council) के नेताओं की पहली बैठक होगी.
व्यापार एवं निवेश
- भारत सऊदी अरब का दूसरा सबसे बड़ा ट्रेड पार्टनर है.
- सऊदी अरब भारत का चौथा बड़ा ट्रेड पार्टनर है.
- वित्त वर्ष 2022-23 में द्विपक्षीय व्यापार- 52.75 बिलियन अमेरिकी डॉलर था.
- सऊदी अरब में भारतीय निर्यात में वृद्धि हुई है. ये 5.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर (वित्त वर्ष 2021) से 10.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर (वित्त वर्ष 2023) हुआ है.
- सऊदी अरब भारत के लिए उर्वरकों का महत्वपूर्ण स्रोत है.
- 2700 से अधिक भारतीय कंपनियां सऊदी अरब में विभिन्न क्षेत्रों में काम कर रही हैं. जिसमें निर्माण (Construction), खुदरा (Retail), खाद्य आपूर्ति (Food supply), आईटी (IT) और कई अन्य क्षेत्र शामिल हैं.
ऊर्जा साझेदारी के मामले में
- सऊदी अरब भारत के लिए कच्चे तेल और LPG का तीसरा सबसे बड़ा स्रोत है.
- सऊदी अरब ने महाराष्ट्र में वेस्ट कोस्ट रिफाइनरी प्रोजेक्ट के लिए अपने समर्थन को दोहराया है.
- सऊदी अरब ने भारत के स्ट्रैटेजिक पेट्रोलियम रिजर्व प्रोग्राम में हिस्सा लिया.
- दोनों देशों ने नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में कई परियोजनाओं की पहचान की है, जिन पर आगे काम होगा.
रक्षा क्षेत्र में साझेदारी
- रक्षा सहयोग समझौते पर 2014 में हस्ताक्षर किए गए.
- पहला संयुक्त नौसेना अभ्यास 'अल मोहम्मद अल हिंदी' अगस्त 2021 में सऊदी अरब में हुआ था, मई 2023 में इसका दूसरा एडिशन हुआ.
- INA जहाज सऊदी अरब की नियमित यात्राएं कर रहे हैं.
- इस साल 10 INA जहाजों ने यहां का दौरा किया, जिसमें ऑपरेशन कावेरी के लिए INA जहाजों की कई यात्राएं शामिल हैं.
संस्कृति और लोगों के बीच संबंध
- सऊदी अरब में 24 लाख भारतीय रहते हैं, जो देश में रहने वाला सबसे बड़ा प्रवासी समुदाय है.
- साल 2023 में 175000 से अधिक भारतीयों ने हज यात्रा की.
- सऊदी अरब में योग काफी लोकप्रिय है.
- साल 2018 में सऊदी योग समिति (Saudi Yoga Committee) की प्रमुख नाउफ अल मारवाई को सऊदी अरब में योग को लोकप्रिय बनाने के उनके प्रयासों के लिए पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.
जिस पर सबकी निगाहें टिक गईं
जी20 शिखर सम्मेलन में वैसे तो बहुत से समझौते हुए, लेकिन जिसे सबसे अहम माना जा रहा है, वो है- 'इंडिया-मिडिल ईस्ट-यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर.' इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 9 सितंबर को लॉन्च किया था. परियोजना में भारत, अमेरिका और यूरोपीय देशों के साथ सऊदी अरब की भी अहम भूमिका है.
इसके तहत मिडिल ईस्ट के देशों को एक रेल नेटवर्क से जोड़ा जाएगा. फिर इन्हें भारत से एक शिपिंग रूट के जरिए लिंक किया जाएगा. फिलहाल स्थिति ये है कि भारत और उसके आसपास के देशों से निकलने वाला सामान जहाजों की मदद से स्वेज नहर से होते हुए ही भूमध्य सागर में पहुंचाया जा सकता है. इसी के बाद सामान यूरोपीय देशों में एंट्री ले पाता है. इस सबमें काफी समय लग जाता है. ये रास्ता काफी खर्चीला भी है.
इसके साथ ही अमेरिका, कनाडा और लैटिन अमेरिकी देशों तक सामान पहुंचाने के लिए जहाजों को भूमध्य सागर से होते हुए अटलांटिक महासार में एंट्री लेनी होती है. लेकिन इस परियोजना के पूरा होते ही सामान को दुबई से इजरायल में स्थित हाइफा बंदरगाह तक रेल से ले जाया जा सकेगा. इसके बाद ये आसानी से यूरोप में एंटर हो सकता है.
इस परियोजना को चीन की बेल्ट एंड रोड परियोजना (BRI) को काउंटर करने की एक कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है. इसे चीन ने अपने ऐतिहासिक सिल्क रूट की तर्ज पर शुरू किया था. इससे वो खुद को यूरोप और अन्य देशों से जोड़ने की कोशिश में है. 2013 में शी जिनपिंग के राष्ट्रपति बनने के बाद इस मार्ग का निर्माण शुरू हुआ. इसे तब से लेकर अभी तक अफ्रीका, लैटिन अमेरिका, पाकिस्तान और ओशियानिका तक फैलाया जा चुका है. चीन विभिन्न देशों के इन्फ्रास्ट्रक्चर में निवेश भी इसी की तर्ज पर कर रहा है.