नई दिल्ली
दिल्ली सरकार ने दिवाली से पहले एक बार फिर राजधानी में पटाखों पर बैन लगा दिया है। सरकार ने पटाखों के उत्पादन, बिक्री, भंडारण और इस्तेमाल पर रोक लगाई है। अरविंद केजरीवाल सरकार ने सर्दियों में होने वाले प्रदूषण का हवाला देकर यह फैसला किया है। पिछले साल भी दिल्ली सरकार ने पटाखों को बैन कर दिया था।
पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने सोमवार को प्रेस कॉन्फेंस में इसका ऐलान किया। उन्होंने कहा कि सर्दियों में दिल्ली में प्रदूषण बढ़ जाता है। जनवरी से लेकर पिछले अगस्त के महीने तक औसत एक्यूआई काफी कम रहा है। कल दिल्ली में एक्यूआई 45 दर्ज किया गया। लेकिन धीरे-धीरे अक्टूबर के महीने में जैसे जैसे सर्दी बढ़ती है। दिल्ली के वातारण में नमी आती है और पार्टिकल मैटर जमा होने शुरू होते हैं। दिल्ली के अंदर का पलूशन और बाहर का मिलाकर अक्टूबर-नवंबर में दिल्ली की हवा को जहरीला बना देते हैं।
राय ने कहा कि दिल्ली पुलिस को शहर में यह प्रतिबंध लागू करने के सख्त निर्देश जारी किए जाएंगे। दिल्ली सरकार पिछले तीन साल से सभी प्रकार के पटाखों पर प्रतिबंध लगाती आ रही है। राय ने कहा, 'हमने पिछले 5-6 वर्ष में दिल्ली की वायु गुणवत्ता में काफी सुधार देखा है लेकिन हमें इसमें और सुधार करना है, इसलिए हमने इस साल भी पटाखों पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया है।' सरकार ने पिछले साल घोषणा की थी कि शहर में दीपावली पर पटाखे जलाने पर छह महीने तक की जेल होगी और 200 रुपए का जुर्माना लगेगा। इसमें कहा गया था कि दिल्ली में पटाखों का उत्पादन, भंडारण और बिक्री करना विस्फोटक अधिनियम की धारा 9बी के तहत दंडनीय होगा और ऐसा करने पर 5,000 रुपये तक का जुर्माना और तीन साल की जेल हो सकती है।
गोपाल राय ने कहा, 'इस पूरी सर्दी के मौसम में प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए सरकार ने विंटर ऐक्शन प्लान बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इसके तहत कल दिल्ली सचिवालय में देश के जाने माने पर्यावरण जानकारों की बैठक होगी। 14 सितंबर को सभी विभागों के अधिकारियों की बैठक होगी। सभी मिलकर विंटर ऐक्शन प्लान तैयार करके जिसे अक्टूबर के पहले सप्ताह में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल घोषित करेंगे। इसके मुताबिक दिल्ली में ऐक्शन शुरू होगा। हम सब धूमधाम से दिवाली मनाते हैं, दीये जलाते हैं। लेकिन दीयों के साथ पटाखे जलाने की जो परंपरा जुड़ी उससे दिवाली के अगले दिन पूरी दिल्ली के ऊपर धुएं का चादर कवर कर लेता है और उस धुएं में जब पराली का धुआं जुड़ जाता है तो दिल्ली के अंदर प्रदूषण का स्तर खतरनाक श्रेणी में चला जाता है।