नई दिल्ली
नई दिल्ली में आयोजित जी20 शिखर सम्मेलन में क्रिप्टोकरेंसी को लेकर भी बड़ा फैसला किया गया है। दरअसल, इस समिट में शामिल विश्व नेताओं ने इस बात पर सहमति जताई है कि क्रिप्टो इको-सिस्टम में तेजी से हो रहे जोखिमों की बारीकी से निगरानी के लिए वैश्विक कानून की जरूरत है। नई दिल्ली में जी20 शिखर सम्मेलन की बैठक से दो दिन पहले, आईएमएफ और एफएसबी क्रिप्टो पर एक पेपर लेकर आए थे, जिसमें कहा गया था कि क्रिप्टो-परिसंपत्तियों के लिए एक व्यापक नीति और नियामक प्रतिक्रिया की जरूरत है, ताकि क्रिप्टो-परिसंपत्तियों के जोखिमों को समझा जा सके।
प्रेसीडेंसी के अनुरोध पर हुआ पेश
दरअसल, यह पेपर भारतीय जी20 प्रेसीडेंसी के अनुरोध पर तैयार किया गया था। क्रिप्टो पर भारत की स्थिति यह रही है कि क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाने के लिए कोई भी कानून, अंतरराष्ट्रीय सहयोग के बाद ही प्रभावी हो सकता है।
भारत सरकार क्रिप्टो एक्सचेंजों को नहीं करती पंजीकृत
भारत में क्रिप्टो संपत्तियां वर्तमान में अनियमित हैं, सरकार क्रिप्टो एक्सचेंजों को पंजीकृत नहीं करती है। क्रिप्टो संपत्तियां एक दशक से अधिक समय से मौजूद हैं। दिल्ली घोषणा पत्र में कहा गया है, "हम क्रिप्टो-परिसंपत्ति गतिविधियों और वैश्विक स्थिर मुद्रा व्यवस्था के विनियमन, पर्यवेक्षण और निगरानी के लिए वित्तीय स्थिरता बोर्ड (एफएसबी) की उच्च-स्तरीय सिफारिशों का समर्थन करते हैं।"
2023 में तैयार होगा रोडमैप
इसमें कहा गया है, "हमारे वित्त मंत्री और केंद्रीय बैंक के गवर्नर अक्टूबर 2023 में अपनी बैठक में रोडमैप को आगे बढ़ाने पर चर्चा करेंगे।" दिल्ली घोषणा की सबसे बड़ी उपलब्धि यह थी कि घोषणा के सभी 83 पैराग्राफ 100 प्रतिशत सर्वसम्मति से पारित किए गए थे।