प्योंगयांग
उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन के हथियारों के प्रति प्रेम को देखकर उन्हें लिटिल रॉकेट मैन भी कहा जाने लगा है. वो जल्द ही रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मिलने वाले हैं. लेकिन वो यहां प्लेन से नहीं बल्कि ट्रेन से जाएंगे. किम जोंग इससे पहले चीन भी ट्रेन से ही गए थे. दोनों नेताओं की मुलाकात में रूस को हथियार मुहैया कराने पर चर्चा हो सकती है. जो इस वक्त यूक्रेन से जंग लड़ रहा है.
न्यूयॉर्क पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, 39 साल के किम को ये ट्रेन अपने पिता किम जोंग इल से विरासत में मिली है. ऐसा कहा जाता है कि किम को प्लेन में बैठने से डर लगता है. अब चूंकी ये किम जोंग की ट्रेन है, तो मामूली तो कतई नहीं होगी.
इसकी एवरेज स्पीड 37 mph है. इसमें कॉन्फ्रेंस रूम, सैटेलाइट फोन, फ्लैटस्क्रीन टीवी और करीब 100 सिक्योरिटी एजेंट्स हैं. इन एजेंट्स का काम रास्ते और स्टेशंस को स्कैन करना होता है, ताकि बम या किसी भी अन्य खतरे से बचा जा सके. ट्रेन पूरी तरह बुलेटप्रूफ है.
जिंदा ले जाए जाते हैं समुद्री जीव
ट्रेन में शेफ भी मौजूद रहते हैं, जो रूसी, चीनी, कोरियन, जापानी और फ्रेंच खाना बनाते हैं. किम जोंग इल के साथ यात्रा करने वाले रूसी अधिकारी कॉन्स्टेंटिन पुलिकोवस्की के 2002 के एक आर्टिकल के अनुसार, ट्रेन में जीवित समुद्री पशुओं को भी ले जाया जाता है, ताकि उन्हें ताजा ही खाया जा सके.
इल अपने नखरीले अंदाज के लिए जाने जाते थे. उस यात्रा में उन्हें रास्ते में रूसी डिश परोसी की गई थी, तब भी उन्होंने उसमें काफी कमियां निकाल दीं. पुलिकोवस्की ने लिखा था, 'किम जोंग इल ने पीस को उठाया और कहा ये किस तरह का पेल्मेनी है? इसे थोड़ा बड़ा और ज्यादा उबला हुआ होना चाहिए.'
खूबसूरत लेडी कंडक्टर भी मौजूद
इस ट्रेन में एंटरटेनमेंट के लिए महिला कंडक्टरों को रखा गया है. उन्हें 'खूबसूरत लेडी कंडक्टर' कहा जाता है. हमलों की आशंका के चलते, एक अलग ट्रेन काफिले के आगे-आगे चलती है. वहीं किम के रविवार तक रूस के व्लादिवोस्तोक पहुंचने की संभावना है. वो ट्रेन से रूस के पीयर 33 जा सकते हैं. जहां पनडुब्बी रोधी जहाज पैसिफिक बंदरगाह शहर की निगरानी करते हैं. इसके अलावा किम मॉस्को भी जा सकते हैं.