- कभी स्वास्थ्य सेवाएं ही वेंटिलेटर पर थीं, आज हजारों आईसीयू बेड बचा रहे हैं जिंदगी
- कोरोनाकाल में दुनिया के सामने पेश की मिसाल
भोपाल
कोरोना संक्रमण ने दुनिया भर के बड़े-बड़े देशों के हैल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर की कमर तोड़कर रख दी थी। कई राज्य जांच, इलाज और वैक्सीनेशन की समस्याओं से जूझ रहे थे, तब भाजपा की शिवराज सरकार ने कोरोनाकाल के संकट के दिल दहला देने वाले उस दौर में भी प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत कर दुनिया के सामने एक मिसाल पेश की। कभी बीमारू राज्य के तमगे वाले मध्यप्रदेश की स्वास्थ्य सेवाएं ही वेंटिलेटर पर थी, लेकिन पिछले कुछ सालों से प्रदेश की स्वास्थ्य सुविधाओं में जबरदस्त इजाफे के साथ मजबूती आई है।
मप्र बना आत्मनिर्भर और स्वस्थ प्रदेश
कोरोना संकट के दौर में प्रदेश ने खुद को जंग के लिए तैयार किया और 'आत्मनिर्भर स्वस्थ मध्य प्रदेशÓ बन गया। 3 साल पहले तक जिस प्रदेश में मात्र 277 आईसीयू बेड थे, आज प्रदेश में इन आईसीयू बिस्तरों की संख्या 2000 पार हो चुकी है। सभी 51 जिला चिकित्सालय और 8 सिविल अस्पताल में डायलिसिस यूनिट, 49 जिला चिकित्सालय और 4 सिविल अस्पताल में पीपीपी मोड पर सीटी स्केन की सुविधा मरीजों की जिंदगी बचाने में अहम भूमिका निभा रहे हैं।
करोड़ों लोगों को मिल रहा है लाभ
मध्य प्रदेश स्वास्थ्य क्षेत्र में मजबूती से उभरा है। प्रदेश में जिला चिकित्सालयों के 60 प्रतिशत बिस्तरों पर ऑक्सीजन सप्लाई की उपलब्धत है। वहीं सभी जिला चिकित्सालय में आईसीयू वार्ड बनाकर 730 बिस्तरों की व्यवस्था की गई है। इससे साफ है कि स्वास्थ्य सेवाओं में मध्य प्रदेश बेमिसाल होने के साथ ही आत्मनिर्भर हो गया है। प्रदेश में 11 हजार से अधिक वेलनेस सेंटर्स क्रियाशील हैं, जिनके माध्यम से करोड़ों लोगों को स्वास्थ लाभ मिल रहा हैं।