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पुतिन से मिलने रूस जाएंगे उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन, हथियार सौदों पर होगी बातचीत

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प्योंग्यांग/मॉस्को
 उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन जल्द ही रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन से मुलाकात के लिए रूस की यात्रा करेंगे। पुतिन और उन की मुलाकात में दोनों देशों के बीच हथियार सौदों पर बातचीत होगी।

जानकारी के मुताबिक यूक्रेन पर रूसी हमला हुए डेढ़ साल से अधिक होने के बाद रूस को हथियारों की जरूरत महसूस हो रही है। उत्तर कोरिया लगातार आधुनिक हथियार बनाकर अमेरिका सहित पश्चिमी जगत को चुनौती दे रहा है। यूक्रेन युद्ध के बाद रूस को भी अमेरिका सहित पश्चिमी देशों से मोर्चा संभालना पड़ रहा है। ऐसे में रूस और उत्तर कोरिया की निकटता बढ़ने की बात कही जा रही है। एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच इस महीने मुलाकात हो सकती है।

दावा किया गया है कि यह मुलाकात रूस में होगी और पुतिन व उन के बीच होने वाली बैठक में हथियार सौदे को लेकर बातचीत होगी। इस रिपोर्ट का दावा है कि इस मुलाकात के बाद उत्तर कोरिया की ओर से रूस को यूक्रेन युद्ध के लिए हथियारों की आपूर्ति शुरू की जा सकती है। माना जा रहा है कि रूस, उत्तर कोरिया से लंबी दूरी की मिसाइलें खरीद सकता है। उत्तर कोरिया भी इस समझौते को लेकर उत्सुक है। यही वजह है कि आम तौर पर देश से बाहर न निकलने वाले उत्तर कोरियाई तानाशाह किम जोंग उन रूस के दौरे की तैयारी कर रहे हैं।

अमेरिका उत्तर कोरिया से रूस को हथियारों की आपूर्ति को लेकर पहले से चिंतित है। अमेरिका ने पिछले सप्ताह ही रूस को उत्तर कोरिया से गुप्त बातचीत को लेकर चेतावनी दी थी। अमेरिका के नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल के प्रवक्ता एड्रियन वाटसन ने कहा कि हम पहले ही सार्वजनिक रूप से चेतावनी दे चुके हैं कि रूस और उत्तर कोरिया के बीच हथियारों के समझौते को लेकर बातचीत हो रही है। अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि उत्तर कोरिया ने पिछले साल भी रूस को रॉकेट और मिसाइल की आपूर्ति की है, जिनका इस्तेमाल वैगनर ग्रुप द्वारा किया गया था। रूस के रक्षा मंत्री सर्गेई सोइगु ने भी पिछले महीने उत्तर कोरिया का दौरा किया था। पिछले सप्ताह संयुक्त राष्ट्र संघ में अमेरिका, ब्रिटेन, दक्षिण कोरिया और जापान ने एक संयुक्त बयान जारी कर कहा था कि रूस और उत्तर कोरिया के बीच द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ाने वाला कोई भी समझौता संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव का उल्लंघन माना जाएगा।