नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट ने एक महिला की ओर से उसके ससुराल वालों के खिलाफ दर्ज कराए गए दहेज प्रताड़ना के मामले को खारिज कर दिया है। इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि महिला स्पष्ट रूप से प्रतिशोध लेना चाहती है। आपराधिक कार्यवाही को जारी रखने की मंजूरी देना अन्याय सुनिश्चित करने जैसा होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने आदेश में यह कहा
सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के एक आदेश के खिलाफ दाखिल याचिका पर आया है, जिसमें महिला के पूर्व रिश्तेदारों तथा सास के खिलाफ कार्यवाही को रद करने से इन्कार कर दिया गया था। न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस, न्यायमूर्ति संजय कुमार और न्यायमूर्ति एसवी एन भट्टी की तीन सदस्यीय पीठ ने कहा कि तथ्यों और परिस्थितियों की समग्रता को देखते हुए उसकी यह राय है कि महिला के अपने ससुराल वालों के खिलाफ लगाए गए आरोप पर्याप्त नहीं हैं और प्रथम दृष्टया उनके खिलाफ कोई मामला नहीं बनता।
ससुराल वालों से प्रतिशोध लेना चाहती है महिला
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि महिला स्पष्ट रूप से अपने ससुराल वालों से प्रतिशोध लेना चाहती है। आरोप इतने दूरगामी परिणाम डालने वाले और कपटपूर्ण हैं कि कोई भी विवेकशील व्यक्ति यह निष्कर्ष नहीं निकाल सकता कि उनके खिलाफ कार्यवाही करने के लिए पर्याप्त आधार हैं।
तलाक को लेकर था विवाद
ऐसे हालात में अपीलकर्ताओं के खिलाफ कार्यवाही जारी रखने की अनुमति देना अन्याय सुनिश्चित करने जैसा होगा। महिला एक शिक्षिका है और उसका विवाह 2007 में हुआ था। विवाह को समाप्त करने के लिए तलाक का फैसला पति के पक्ष में आया। पति की ओर से तलाक की याचिका दाखिल किए जाने से पूर्व महिला ने पुलिस में लिखित में शिकायत की थी जिसमें पति और ससुराल वालों के खिलाफ अनेक आरोप लगाए गए। शिकायत मिलने पर पुलिस ने भारतीय दंड संहिता की संबंधित धाराओं में मामला दर्ज किया था।