नई दिल्ली
केंद्र की मोदी सरकार ने 'एक देश-एक चुनाव' की तरफ बड़ा कदम उठा दिया है। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक कमेटी बना दी गई है जिसमें सात सदस्यों को शामिल किया गया है। कमेटी के सदस्यों में गृह मंत्री अमित शाह, विपक्ष से अधीर रंजन चौधरी, गुलाम नबी आजाद, एनके सिंह, हरीश साल्वे, संजय कोठारी और एनके सिंह को शामिल किया गया है। बता दें कि लोकसभा में नेता विपक्ष अधीर रंजन चौधरी ने इस कमेटी में शामिल होने से साफ इनकार कर दिया है। उन्होंने इस समिति को देश की जनता के साथ धोखा करार दिया है। विपक्ष का कहना है कि राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को इस समिति में जगह दी जानी चाहिए।
आइए जानते हैं कि आखिर इस समिति में कौन-कौन शामिल है-
समिति के अध्यक्ष रामनाथ कोविंद
77 साल के पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को इस समिति का अध्यक्ष बनाया गया है। वह 2017 से 2022 तक देश के राष्ट्रपति थे। उससे पहले दो साल बिहार के राज्यपाल के पद पर थे। 1994 से 2006 तक वह राज्यसभा के सदस्य रहे। राजनीति में कदम रखने के पहले वह वकालत करते थे। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में भी प्रैक्टिस की। 16 सालों तक उन्होंने वकालत की।
गृह मंत्री अमित शाह
इस कमेटी में गृह मंत्री अमित शाह को सदस्य के रूप में शामिल किया गया है। अमित शाह ने राजनीति में कदम छात्र जीवन से ही रख दिया था। वह एबीवीपी के सक्रिय सदस्य थे और इसके बाद अहमदाबाद शहर इकाई के सचिव बने थे। वह पांच बार विधायक रहे। 2002 का चुनव उन्होंने एक वोट से जीता था। 2014 में भाजपा की बड़ी जीत के पीछे अमित शाह का बड़ा योगदान माना जाता है। 2014 में वह भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने। 2017 में वह राज्यसभा के सदस्य बने। वर्तमान में वह केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री हैं और गांधीनगर लोकसभा क्षेत्र से सांसद हैं।
एनके सिंह
कानून मंत्रालय की तरफ से जारी की गई समिति की सूची में एनके सिंह का नाम शामिल है। एनके सिंह 15वें वित्त आयोग के अध्यक्ष हैं। इसके अलावा 2008 से 2014 तक वह राज्यसभा के सांसद भी रह चुके हैं। संसद के सदस्य रहने के दौरान वह लेखा समिति, विदेश मामलों की समिति और अन्य स्थायी समितियों में भी रहे। वह आईएएस अधिकारी के तौर पर लंबे समय तक काम कर चुके हैं। 1991 के आर्थिक सुधारों के दौरान भी वह रणनीतिकारों में शामिल थे। वह प्रधानमंत्री के सचिव और योजना आयोग के सदस्य के रूप में भी काम कर चुके हैं। 2014 में वह जेडीयू छोड़कर भाजपा में आ गए थे।
अधीर रंजन चौधरी
अधीर रंजन चौधरी को इस समिति में विपक्ष के प्रतिनिधि के तौर पर शामिल किया गया है। हालांकि इन्होंने समिति का हिस्सा बनने से इनकार कर दिया है। अधीर रंजन 1996 से 1999 तक पश्चिम बंगाल विधानसभा के सदस्य रह चुके हैं। 2019 में वह बरहामपुर सीट से जीतकर लोकसभा पहुंचे। वह पश्चिम बंगाल कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष भी हैं। 2012 में यूपीए सरकार के वक्त वह रेल राज्य मंत्री भी रह चुके हैं।
गुलाम नबी आजाद
गुलाम नबी आजाद एक साल पहले ही कांग्रेस से अलग हो गए और अपनी अलग पार्टी बना ली। वह 2005 से 2008 तक जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं। इसके अलावा देश के स्वास्थ्य मंत्री के तौर पर उन्होंने काम किया है। 2022 में उन्हें भारत सरकार ने पद्म भूषण से सम्मानित किया। 1980 से वह कांग्रेस के साथ थे। वह वाशिम लोकसभा क्षेत्र से पहली बार सांसद बने थे। 1990 से 1996 के बीच वह राज्यसभा में रहे। पीवी नरसिम्हा की सरकार में वह केंद्रीय मंत्री रहे। मोदी सरकार के पहले कार्यकाल के दौरान वह राज्यसभा में विपक्ष के नेता थे। राज्यसभा से रिटायर होने के बाद उन्होंने अपनी पार्टी डेमोक्रेटिक आजाद पार्टी बना ली।
हरीश साल्वे
हरीश साल्वे जानेमाने वकील हैं। वह तीन साल तक भारत सरकार के सॉलिसिटर जनरल के तौर पर भी काम कर चुके हैं। इस समय वह सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस करते हैं। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में कुलभूषण जाधव का भी केस लड़ा। उन्हें 2020 में इंग्लैंड और वेल्स की अदालत में भी क्वीन काउंसल के रूप मे नियुक्त किया गया था। वब भारत में सबसे ज्यादा फीस वाले और सबसे अधिक डिमांड वाले वकीलों में शामिल हैं। वह गुजरात दंगे के बाद बिलकिसबानो और बाद में आरुषि हेमराज डबल मर्डर केस में बचाव पक्ष के वकील थे।
सुभाष कश्यप
सुभाष कश्यप की गिनती अनुभवी प्रशासक के तौर पर होती है। वह एक मशहूर लेखक के तौर पर भी जाने जाते हैं। उन्हें 2015 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। 1953 से 1990 तक उन्होंने संसद के लिए काम किया है। इसके अलावा उन्होंने कई संस्थानों की स्थापना में भी सहयोग किया। वह लोकसभा के महासचिव के पद पर काम कर चुके हैं। इसके अलावा वह संविधान के कामकाज की समीक्षा करने के लिए राष्ट्रीय आयोग के सदस्य भी रह चुके हैं।
संजय कोठारी
संजय कोठारी हरियाणा केडर के 1978 बैच के आईएएस अधिकारी रह चुके हैं। वह 2016 में कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग में सचिव के पद से रिटायर हुए। वह केंद्रीय सतर्कता आयुक्त के रूप में भी काम कर चुके हैं। 2017 में उन्हें तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के सचिव के रूप में नामित किया गया था।