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आपको टिकट नहीं मिली तो..?

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रायपुर

इतना आसान नहीं है जितना कि समझा जा रहा है,अभी तो नाम तय हो रहे हैं। जिन्हे टिकट नहीं मिली वो और उसके समर्थक आगे क्या करेंगे? इसकी चिंता कांग्रेस व भाजपा दोनों को सताए जा रही है। इसका आभास दिल्ली आलाकमान को है। इसलिए टिकट के दावेदारों से दो टूक पूछा जा रहा है आपका नाम तो है लेकिन आपको किन्ही कारणों से टिकट नहीं मिली तो..? तो के साथ कई सवाल जुड़े हैं। भाजपा में नए चेहरों पर दांव लगाने से हड़कंप मचा हुआ है वहीं कांग्रेस में पिछले चुनाव की तुलना में दावेदारों की बेहिसाब बढ़ी संख्या चिंता का विषय है। दोनों दल दलबदल करने वालों का दिल खोलकर स्वागत कर रहे हैं,लेकिन इसके साथ दोनों ही प्रमुख पार्टियों के रणनीतिकार चाह रहे हैं कि उनका कुनबा कमजोर न हो।

पहले बात भाजपा की,21 की सूची व केशकाल से टेकाम को मिलाकर 22 नाम घोषित हो चुके हैं। बाकी दूसरी व तीसरी सूची कभी भी आ सकती है। शाह दो दिन से छग में हैं मतलब दूसरी सूची को लेकर बहुत कुछ साफ हो चुका है। लेकिन पहली सूची से ही नाराजगी उभर कर सामने आ गई है। मान मन्नौवल का दौर बड़े नेता कर रहे हैं जरूरत पड़ी तो सीधे दिल्ली बात करवा रहे हैं। लेकिन नाराजगी थम नहीं रही,पहली झलक सरायपाली से श्याम तांडी का कांग्रेस में शामिल हो जाना बड़ा झटका,तांडी पिछला चुनाव भाजपा से लड़े थे। बताया जा रहा है कि ऐसे कुछ और हैं। यह सिलसिला चलते रहेगा। अमित शाह ने इस विषय पर प्रदेश संगठन के नेताओं से चर्चा की है,जिन्हे टिकट मिली है उनके लिए काम करना है।

अब बात कांग्रेस की,पिछले चुनाव में 2018 की बात करें तो इतनी बंफर जीत मिलेगी अंदाजा नहीं था। पांच साल सत्ता में रहने व अपनी सरकार के बेहतर कामकाज व विपक्ष की स्थिति को भांपते हुए कांग्रेस में इस बार टिकट के दावेदारों की बाढ़ आ गई। नई नीति के तहत पचास फीसदी युवाओं की टिकट ने घमासान और बढ़ा दिया है।  

ब्लॉक कांग्रेस कमेटी के बाद जिला कांग्रेस कमेटी ने जिले के दावेदारों की सूची छंटनी कर तीन दावेदारों के नाम प्रदेश कांग्रेस कमेटी को भेज दिया है। उम्मीदवारों का फैसला चुनाव समिति और हाईकमान से ही तय होना है। नाराजगी यहीं शुरू हो गई है कि आखिर किस आधार पर नाम तय कर आगे बढ़ाया गया है। रायपुर दक्षिण व पश्चिम से दो बड़े नेताओं के नाम इस सूची में न होने की खबर से बवाल मचा हुआ है। अभनपुर के दावेदार तो बकायदा पीसीसी अध्यक्ष बैज से मिलकर नाराजगी जाहिर कर चुके हैं। इसलिए टिकट वितरण से पहले लगातार बैठकें ली जा रही हैं और यह जानने और परखने की कोशिश हो रही है कि कौन नाराज होगा और भीतरघात करेगा।

यही वजह है कि बड़े नेता ऐसी बैठकों में दावेदारों को अपनी बात रखने के बजाए कांग्रेस उम्मीदवार की बात रखने के लिए कह रहे हैं। साथ ही दावेदारों से यह भी पूछा जा रहा है कि आपको किसी कारणवश उम्मीदवार नहीं बनाया जाता है तो आप काम करेंगे या नहीं।  दूसरे और तीसरे नंबर के उम्मीदवार का नाम बताइए जिसके बारे में सोचा जा सके और जीत की संभावना तलाशी जा सके। आगे क्या होता है यह तो सूची आने के बाद पता चलेगा। लेकिन दोनों ही दल के बड़े नेता इस माहौल को भांप चुके हैं इसलिए डैमेज कंट्रोल करने में अभी से लग गए हैं। अगली कड़ी में फिर कुछ नई बातों के साथ..।