नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को केंद्र और मणिपुर सरकार को सख्त निर्देश देते हुआ कहा कि भोजन, दवा और अन्य आवश्यक सामान की जल्द से जल्द आपूर्ति की जाए। शीर्ष अदालत ने सभी जरूरी सामान की सप्लाई सुनिश्चित करने का निर्देश दिया। प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे. बी. पारदीवाला की पीठ ने राज्य सरकार को नाकेबंदी से निपटने के लिए सभी विकल्पों पर विचार करने का भी निर्देश दिया। पीठ ने कहा कि अगर जरूरी हो तो आवश्यक वस्तुओं को हवाई मार्ग से उपलब्ध कराने के विकल्प पर विचार किया जाना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि जरूरत पड़े तो सामान को एयरड्रॉप किया जाए।
पीठ ने कहा, “हम निर्देश देते हैं कि केंद्र सरकार और मणिपुर सरकार दोनों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि प्रभावित क्षेत्रों में भोजन, दवा और अन्य आवश्यक वस्तुओं की बुनियादी आपूर्ति जारी रहे। मौजूदा या आशंकित नाकेबंदी के कारण आबादी के किसी भी हिस्से को नुकसान न हो।" उसने कहा कि इस तरह की नाकेबंदी से किस तरह निपटा जायेगा, यह कानून प्रवर्तन एजेंसियों के लिए विचार करने का मामला है, लेकिन इसमें शामिल मानवीय स्थिति को ध्यान में रखते हुए, सरकार को आवश्यक वस्तुओं को हेलीकॉप्टर से गिराने सहित सभी संभावित विकल्पों का पता लगाना चाहिए। अदालत ने कहा कि स्थिति को सुधारने के लिए उठाए गए कदमों से उसे अवगत कराया जाए।
पीठ ने केंद्र और मणिपुर सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की दलील को दर्ज किया कि हिंसाग्रस्त राज्य में राहत और पुनर्वास कार्यों की निगरानी के लिए अदालत द्वारा नियुक्त न्यायाधीशों की सभी महिला समिति के कामकाज को सुविधाजनक बनाने के वास्ते भारत संघ और राज्य सरकार द्वारा उसके पहले के आदेशों के अनुसार नोडल अधिकारी नियुक्त किए गए हैं।
जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय की पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) गीता मित्तल की अध्यक्षता वाली समिति में न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) शालिनी पी. जोशी और आशा मेनन भी शामिल हैं। पीठ ने कहा, ‘‘उस संबंध में एक आधिकारिक सूचना 48 घंटे के भीतर समिति के अध्यक्ष को प्रदान की जायेगी। नोडल अधिकारी जमीनी स्तर पर होने वाली बैठकों और समिति के अन्य सभी निर्देशों को सुविधाजनक बनाने के लिए कार्य करेंगे।’’ पीठ ने मेहता को समिति द्वारा दायर छह रिपोर्ट पर निर्देश लेने के लिए अगले बुधवार तक का समय दिया, ताकि वह अगली सुनवाई में बयान दे सकें।
पीठ ने कहा कि मणिपुर और नागरिक समाज संगठनों सहित विभिन्न व्यक्तियों द्वारा दाखिल याचिकाओं पर छह सितंबर को सुनवाई की जाएगी। मणिपुर में अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में पर्वतीय जिलों में तीन मई को ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद राज्य में भड़की जातीय हिंसा में अब तक 160 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। राज्य की आबादी में मेइती समुदाय की हिस्सेदारी लगभग 53 प्रतिशत है और वे मुख्य रूप से इंफाल घाटी में रहते हैं। वहीं, नगा और कुकी जैसे आदिवासी समुदायों की आबादी 40 प्रतिशत है और उनमें से ज्यादातर पर्वतीय जिलों में रहते हैं।