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उदय कोटक ने कोटक महिंद्रा बैंक के एमडी और सीईओ पद से दिया इस्तीफा

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नई दिल्ली
देश के सबसे अमीर बैंकर उदय कोटक (Uday Kotak) ने कोटक महिंद्रा बैंक (Kotak Mahindra Bank) के एमडी और सीईओ पद से इस्तीफा दे दिया है। कंपनी ने शनिवार को स्टॉक एक्सचेंज को यह जानकारी दी। बैंक के जॉइंट एमडी दीपक गुप्ता 31 दिसंबर तक अंतरिम तौर पर उनकी जिम्मेदारी संभालेंगे। लेकिन इसके लिए आरबीआई (RBI) और बैंक के सदस्यों की मंजूरी की जरूरत होगी। बैंक ने एक जनवरी, 2024 से नए एमडी और सीईओ की नियुक्ति के लिए आरबीआई में आवेदन किया है। कोटक ने कुछ समय पहले ही एक्टिव रोल से खुद को अलग करने के संकेत दिए थे। शेयरहोल्डर्स को भेजी एक चिट्ठी में उन्होंने कहा था कि वह बैंक ने नॉन-एग्जीक्यूटिव भूमिका निभाना चाहते हैं। उदय कोटक को जनवरी, 2021 में तीन साल के लिए फिर से बैंक का एमडी और सीईओ नियुक्त किया गया था और उनका कार्यकाल 31 दिसंबर, 2023 तक था। दिसंबर में इस पद पर उन्हें 15 साल पूरे हो जाते। लेकिन उससे पहले ही उन्होंने यह पद छोड़ने का फैसला किया है।

कोटक ने बोर्ड को लिखी एक चिट्ठी में कहा, 'मेरे पास अभी कुछ और महीने हैं, लेकिन मैं तत्काल प्रभाव से इस्तीफा दे रहा हूं। मैं पिछले कुछ समय से इस बारे में सोच रहा था और मुझे लगा कि यह संस्थान के लिए सही समय है।' उन्होंने कहा कि वह नॉन-एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर और शेयरहोल्डर के तौर पर बैंक से जुड़े रहेंगे। कोटक महिंद्रा बैंक आज देश का तीसरा सबसे बड़ा प्राइवेट बैंक है। इस बैंक की स्थापना 1985 में एनबीएफसी के रूप में हुई थी। तबसे उदय कोटक इस बैंक की अगुवाई कर रहे हैं। 2003 में कोटक महिन्द्रा को कमर्शियल बैंक का लाइसेंस मिला था। तीन दशक से भी अधिक समय में इस बैंक के वैल्यूएशन में काफी तेजी आई है। कोटक का कहना है कि जिस इन्वेस्टर ने 1985 में बैंक में 10,000 रुपये का निवेश किया था आज उसकी वैल्यू 300 करोड़ रुपये हो गई। कोटक की इस बैंक में 26 परसेंट हिस्सेदारी है। उनकी नेटवथ 13.7 अरब डॉलर है।

 

क्या कहा था कोटक ने
इससे पहले कोटक ने शेयरहोल्डर्स को भेजी चिट्ठी में कहा था कि आगे मैं खुद को नॉन-एग्जीक्यूटिव बोर्ड गवर्नेंस मेंबर और एक स्ट्रैटजिक इन्वेस्टर के रूप में देखता हूं। उन्होंने उम्मीद जताई कि शेयरहोल्डर्स, बोर्ड और मैनेजमेंट के कमिटमेंट से बैंक बदलते समय के मुताबिक खुद को ढालने में सफल रहेगा। कोटक ने कहा था कि हम भारत की विकास यात्रा और उसके फाइनेंशियल सेक्टर के विकास का प्रॉडक्ट हैं। अब हम बैंकिंग इंडस्ट्री में हो रहे बदलावों के अनुरूप खुद को ढालने की तैयारी में हैं। बदलते ईकोसिस्टम के हिसाब से इस सेक्टर के लिए पॉलिसी और रेगुलेटरी फ्रेमवर्क बनाने की जरूरत है।