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पहली शादी के होते दूसरी शादी करना बलात्कार, हाई कोर्ट ने शख्स को राहत देने से किया इनकार

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नई दिल्ली
बॉम्बे हाई कोर्ट ने दूसरी शादी से जुड़े एक मामले में व्यवस्था दी है कि पहली शादी के अस्तित्व में रहने के बावजूद दूसरी शादी करना बलात्कार है और आरोपी को उससे जुड़ी धाराओं में सजा हो सकती है। पहली शादी के वैध रहते दूसरी शादी करने वाले एक व्यक्ति के खिलाफ एफआईआर को रद्द करने से इनकार करते हुए हाई कोर्ट ने कहा कि यह न केवल द्विविवाह की श्रेणी में आता है, बल्कि आरोपी व्यक्ति का आचरण भी बलात्कार के अपराध के दायरे में आता है।

जस्टिस नितिन साम्ब्रे और राजेश पाटिल ने 24 अगस्त को उस व्यक्ति की याचिका खारिज कर दी, जिस पर पुणे पुलिस ने आईपीसी की धारा 376 (बलात्कार) और 494 (द्विविवाह) के तहत मामला दर्ज किया था। एफआईआर में कहा गया है कि फरवरी 2006 में महिला के पति की मृत्यु हो जाने के बाद वह व्यक्ति नैतिक समर्थन देने के लिए उसके पास जाने लगा था, दोनों शिक्षाविद हैं।