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चंद्रयान-3 का गुणगान, महिलाओं पर फोकस; संसद के विशेष सत्र से क्या हासिल करना चाहती है मोदी सरकार?

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 नई दिल्ली

केंद्र सरकार ने 18 से 22 सितंबर तक ‘संसद का विशेष सत्र’ बुलाया है। इस सत्र में पांच बैठकें होंगी। संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी। सरकार ने हालांकि संसद के विशेष सत्र का एजेंडा घोषित नहीं किया। मंत्री ने कहा कि 'अमृत काल के बीच संसद में सार्थक चर्चा और बहस की उम्मीद है।' संसद के इस विशेष सत्र के एजेंडे के बारे में आधिकारिक तौर पर कुछ भी नहीं कहा गया है। हालांकि यह सत्र 9 और 10 सितंबर को राष्ट्रीय राजधनी में जी20 शिखर बैठक के कुछ दिनों बाद आयोजित होने जा रहा है। जोशी ने कहा कि संसद के इस विशेष सत्र में पांच बैठकें होंगी। उन्होंने कहा, ‘‘अमृत काल के समय में होने वाले इस सत्र में संसद में सार्थक चर्चा और बहस को लेकर आशान्वित हूं।’’ इस पोस्ट के साथ जोशी ने संसद के पुराने भवन के साथ ही नए भवन की तस्वीर भी साझा की है।

भाजपा सरकार की योजना का हिस्सा

घोषणा के तुरंत बाद पांच दिवसीय सत्र के एजेंडे पर अटकलें लगने लगीं। जिसको लेकर सबसे ज्यादा अटकलें लगाई जा रही हैं वह है- वर्तमान संसद को भंग करना और शीघ्र लोकसभा चुनावों की घोषणा करना। यानी सरकार समय से पहले चुनाव करा सकती है। हालांकि, मध्यावधि चुनाव कराने का फैसला ऐसा है जिसे कैबिनेट द्वारा लिया जा सकता है। इसके लिए संसद की विशेष बैठक बुलाने की आवश्यकता नहीं थी। लेकिन सूत्रों के अनुसार यह भाजपा सरकार की योजना का हिस्सा हो सकता है। ऐसे भी कयास लगाए जा रहे हैं कि सत्र के दौरान मोदी सरकार पिछले पांच वर्षों की अपनी उपलब्धियों को सामने रखेगी और संसद सत्र के माध्यम से लोगों को इस साल होने वाले राज्य चुनावों के साथ-साथ मध्यावधि चुनाव कराने की आवश्यकता के बारे में बताएगी।

तो क्या है केंद्र का असल एजेंडा?

विशेष सत्र का एजेंडा स्पष्ट नहीं होने के बीच ऐसी अटकलें हैं कि लोकसभा चुनाव के मद्देनजर मोदी सरकार कोई विधेयक पेश कर सकती है। सूत्रों का कहना है कि ऐसा हो सकता है कि स्थानीय निकायों, राज्यों एवं लोकसभा के चुनाव एक साथ कराने संबंधी विधेयक लाया जाए। लोकसभा एवं राज्य विधानसभाओं में महिलाओं को आरक्षण संबंधी विधेयक को लेकर भी चर्चा है। हालांकि यह सब केवल अटकलों का विषय है। सूत्रों ने पुष्टि करते हुए कहा कि कोई भी निश्चित नहीं है कि संसद सत्र के लिए असल एजेंडा क्या है। इस अनुमानित सूची में शामिल कुछ अन्य एजेंडा आइटम में केंद्र की हालिया उपलब्धियों पर चर्चा शामिल है, जिसमें दिल्ली में जी-20 नेताओं का शिखर सम्मेलन और पीएम मोदी के दूसरे कार्यकाल के तहत चंद्रयान -3 मिशन की सफलता शामिल हो सकती है।

इसके अलावा संभावित एजेंडा सूची में 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' विधेयक की शुरूआत भी शामिल है। जैसा कि नाम से पता चलता है कि राज्य और आम चुनाव एक साथ हों इसके लिए केंद्र बिल ला सकता है। हालांकि, एक राष्ट्र-एक चुनाव के लिए संवैधानिक संशोधन की आवश्यकता होगी और फिर इसे राज्य विधानसभाओं में ले जाना होगा। यह कोई नई अवधारणा नहीं है। 1950 और 60 के दशक में चार बार ऐसा हो चुका है, लेकिन तब भारत में कम राज्य और छोटी आबादी थी जिसने मतदान किया था। ऊपर दिए गए सभी तीन अनुमानित एजेंडों को लेकर सरकारी सूत्रों ने कोई पुष्टि या खंडन नहीं किया है।

मोदी सरकार का पहला विशेष सत्र

मोदी सरकार के अब तक के नौ वर्षो से अधिक के कार्यकाल में पहली बार संसद का ऐसा विशेष सत्र बुलाया गया है। इससे पहले हालांकि ‘‘जीएसटी’’ के लागू होने के अवसर पर जून 2017 की मध्यरात्रि को लोकसभा और राज्यसभा की संयुक्त सत्र बुलायी गई थी। सूत्रों के अनुसार, विशेष सत्र के दौरान संसदीय कामकाज नये संसद भवन में स्थानांतरित हो सकता है जिसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 28 मई को किया था। संसद के नए भवन से जुड़े निर्माण कार्यो को अंतिम रूप दिया जा रहा है ताकि यह सत्र की मेजबानी के लिए तैयार हो सके। आमतौर पर संसद के तीन सत्र होते हैं। इसमें बजट सत्र, मानसून सत्र और शीतकालीन सत्र शामिल हैं। विशेष परिस्थितियों में संसद का विशेष सत्र बुलाए जाने का प्रविधान है। संसद का मानसून सत्र 11 अगस्त को समाप्त हुआ था।

विपक्ष हुआ हमलावर

  मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने संसद का विशेष सत्र बुलाने के सरकार के फैसले के बाद आरोप लगाया कि कारोबारी अडाणी समूह के खिलाफ नये खुलासे होने और मुंबई में विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ की बैठक के चलते समाचारों का प्रबंधन करने की कवायद के तहत विशेष सत्र की घोषणा की गई है। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह भी कहा कि इस विशेष सत्र के दौरान भी अडाणी समूह के मामले में संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की जांच की मांग सदन के भीतर और बाहर जारी रहेगी। उन्होंने सवाल किया कि जब मानसून सत्र तीन सप्ताह पहले ही समाप्त हुआ है तो ऐसे में संसद का पांच दिवसीय विशेष सत्र क्यों बुलाया गया है? शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) की प्रियंका चतुर्वेदी ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘ गणेश चतुर्थी के महत्वपूर्ण त्योहार के दौरान संसद का विशेष सत्र बुलाना दुर्भाग्यपूर्ण है और यह हिन्दुओं की भावना के खिलाफ है। इसकी तिथियों के चुनाव को लेकर आश्चर्यचकित हूं।’’